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Bhagalpur News: कहानी उस सूफी संत की जिसने फांसी को रिहाई में बदला, जिनके यहां पत्थर बांधने से होता है संतान

Bhagalpur News: भागलपुर जिला के बिहपुर प्रखंड के मिल्की गांव में सांप्रदायिक सौहार्द एवं कौमी एकता का मिसाल बन चुका है ...अधिक पढ़ें

    शिवम सिंह
    भागलपुर. 
    सैयद ना हजरत दाता मंगन शाह रहमतुल्ला अलैह का मजार करीब 250 साल पुराना है. लोगों की आस्था के कारण यहां हर वर्ष उर्स- ए- पाक पर करीब 5 लाख जायरीन पहुंचते हैं. दरगाह पर कई निसंतान दंपत्ति बाबा के दरगाह पर अपनी हाजिरी लगाते हैं. ऐसा माना जाता है कि निसंतान दंपत्ति अगर नए कपड़े पहन कर महिला का आंचल फाड़ कर मजार पर बांधती है तो जल्द महिला की गोद भर जाती है. लोग अपनी मन्नत मांगने के बाद उसने एक पत्थर बांधकर छोड़ देते हैं. जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो वहां से पत्थर खोल दिया जाता है. भागलपुर जिला के बिहपुर प्रखंड के मिल्की गांव में सांप्रदायिक सौहार्द एवं कौमी एकता का मिसाल बन चुका है दाता मंगल शाह रहमतुल्लाह अलेह का मजार.

    पहली चादर पोशी बिहपुर के हिंदू कायस्थ परिवार करते हैं
    कमेटी के सदस्य मोहम्मद इरफान आलम ने बताया कि परंपरा अनुसार पहली चादर पोशी बिहपुर के हिंदू कायस्थ परिवार के द्वारा की जाती है या परंपरा शुरुआत से ही चली आ रही है. वह बताते हैं कि दाता मंगल सा एक मुसलमान सूफी संत थे. करीब 250 वर्ष पूर्व एक हिंदू कायस्थ लालबिहारी मजूमदार के यहां रहकर पूरे दिन जनसेवा फकीरी में बिताते थे. उस हिंदू कायस्थ के परिवार के किसी सदस्य को कोलकाता हाईकोर्ट में फांसी की सजा होने वाली थी. जिस दिन वह सजा होने वाली थी उस दिन परिवार में यहां सभी शोकाकुल थे, लेकिन दाता मंगन शाह का कहना था कि जज का फैसला रिहाई में बदल जाएगा. जैसे ही फैसला आया उनके परिवार की दोषी के फांसी की सजा माफ हो गई. वह निर्दोष घर वापस आ गया.

    रिहाई के बताई सारी घटना
    एक तरफ आरोपी का कहना कि उन्होंने दाता मंगन साह को कोर्ट रूम में बैठे हुए देखा था, जहां दूसरे तरह उनका एक स्वरूप उनके दरवाजे पर थे. जैसे ही लाल बिहारी की रिहाई हुई, दूसरे दिन है वह अपने घर बिहपुर पहुंचे. जहां उन्होंने सारी घटना बताई. इसी बीच दाता मांगन शाह ने अपना देह त्याग कर दिया. उसके बाद सम्मान के साथ उन्हें दफनाया गया.

    आज भी इनके सालाना उर्स पर पहली चादरपोशी इसी हिंदू कायस्थ परिवार के वंशज करते हैं. इनके वार्षिक अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है. चादरपोशी की जाती है और कई जायरीन भारत के कोने कोने से पहुंचते हैं. यू तो भागलपुर के आसपास के जिले से भी लोग आते हैं, लेकिन अन्य राज्यों के लोगों की तादाद अधिक होती है.

    Tags: Bhagalpur news, Bihar News

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