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Buxar: भक्तों का दावा- इस सरोवर में स्नान करने से चर्म रोग से मिलती है मुक्ति! अमावस्या व पूर्णिमा को लोग लगाते हैं डुबकी

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बक्सर

बक्सर के कवलदह सरोवर से जुड़ी है पौराणिक मान्यताएं

स्थानीय सौरव चौबे ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से इस सरोवर में अमावस्या व पूर्णिमा को चर्म रोग से मुक्ति के लिए श्रद्धालु ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट- गुलशन सिंह
बक्सर. मिनी काशी के नाम से मशहूर बक्सर जिला अपने गौरवशाली इतिहास को लेकर आज भी महत्वपूर्ण है. पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां अनेक ऋषि-मुनियों का आश्रम हुआ करता था. गायत्री मंत्र के जनक महर्षि विश्वामित्र की तपोस्थली भी इसी धरा को मना जाता है. हालांकि सरकार के द्वारा यहां के ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई. वहीं जिला मुख्यालय में स्टेशन रोड के निकट कवलदह नाम से एक सरोवर आज भी मौजूद है, जिसको लेकर कई मान्यताएं प्रचलित है. लोगों में मान्यता है कि इस सरोवर के जल में स्नान करने से चर्म रोग से मुक्ति मिल जाती है.

स्थानीय सौरव चौबे ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से इस सरोवर में अमावस्या व पूर्णिमा को चर्म रोग से मुक्ति के लिए श्रद्धालु डुबकी लगाते आ रहे हैं. लेकिन विगत कुछ वर्षों से सरोवर का जल गंदा होने के कारण श्रद्धालुओं की संख्या बेहद कम हो चुकी है. उन्होंने बताया कि स्थानीय जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण इस सरोवर के अस्तित्व पर ग्रहण लग रहा है. उन्होंने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार वेदशिरा नाम के एक ऋषि हुआ करते थे. जिनका आश्रम इसी सरोवर के आस-पास हुआ करता था. उन्होंने बताया कि वेदशिरा ऋषि जन्म से ही बाघ की आवाज निकालने में माहिर थे. जब किशोरावस्था में पहुंचे तो उस वक़्त दुर्वासा ऋषि तपस्या में लीन थे. तभी वेदशिरा ऋषि ने उनके पास जाकर बाघ की तरह आवाज निकाल कर ऋषि के साथ मजाक कर दिया था.

ऋषि को मिली थी श्राप से मुक्ति
सौरभ चौबे ने बताया कि तपस्या भंग होने पर दुर्वासा ऋषि क्रोधित होकर वेदशिरा ऋषि को श्राप दे दिया कि आज से आधा चेहरा बाघ की तरह दिखेगा. कहा जाता है कि उसके बाद वेदशिरा ऋषि को ब्याघ्रसर भी कहा जाने लगा. पौराणिक कथाओं के मुताबिक बक्सर का नाम भी व्याघ्रसर पड़ा था जो बाद में चलकर बक्सर बना. सौरभ चौबे ने बताया कि वेदशिरा ऋषि अपने बाघ जैसा श्रापित चेहरा को लेकर काफी परेशान थे. इस से मुक्ति पाने के लिए कठोर तपस्या की. जिसमें उन्हें भगवान ने श्राप से मुक्ति के लिए कवलदह सरोवर के जल में स्नान करने का उपाय बताया गया. वेदशिरा ऋषि जब इस सरोवर में में स्नान किया तो उनको श्राप से मुक्ति मिल गई और उनका चेहरा पुनः मनुष्य की तरह हो गया. तब से यह मान्यता है कि इस सरोवर में स्नान करने से चर्म रोग से मुक्ति मिल जाती है.

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