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Bihar Board 12th Result 2023: सब्जी विक्रेता की बेटी बनी टॉपर, कहा- खुद कमा कर करूंगी आगे की पढ़ाई

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बक्सर

बक्सर के सब्जी विक्रेता की बेटी इंटर के आर्ट्स में बनी बिहार का चौथा टॉपर 

Buxar News: जिले के सदर प्रखंड के नदांव गांव निवासी सब्जी विक्रेता रामपूजन सिंह और गृहणी शांति देवी की बेटी लक्ष्मी ने ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: गुलशन सिंह

बक्सर.कहा गया है कि यदि हौसला बुलंद हो तो हर मंजिल आसान हो जाती है. इसी को सच कर दिखाया है एक सब्जी विक्रेता की बेटी लक्ष्मी ने. कहते हैं कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती, जरूरत केवल उचित अवसर मिलने की होती है. उसके बाद प्रतिभाशाली व्यक्तित्व उभर कर पूरी दुनिया के सामने आ जाता है. जिले के सदर प्रखंड के नदांव गांव निवासी सब्जी विक्रेता रामपूजन सिंह और गृहणी शांति देवी की बेटी लक्ष्मी ने इंटरमीडिएट परीक्षा की कला संकाय में 466 यानि 93.2% अंक हासिल किया हैं।

लक्ष्मी ने जिले में प्रथम और राज्य में चौथा स्थान प्राप्त किया है. मंगलवार की दोपहर जब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से जब इंटरमीडिएट परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया तो बक्सर के एम.वी. कॉलेज की छात्रा लक्ष्मी ने अपनी मेहनत के बल पर आर्ट्स में टॉपर बनकर इतिहास रच दिया. खास बात यह है कि यह सफलता लक्ष्मी ने काफी मुश्किल परिस्थितियों का सामना करते हुए पाई है.

सिविल सर्विसेज में जाने का है सपना

लक्ष्मी ने बताया कि वह पढ़ाई घंटे गिनकर नहीं, बल्कि मन से पढ़ाई करती थी. सिविल सर्विस में जाने का सपना लेकर आगे की पढ़ाई करने की बात कहने वाली लक्ष्मी ने बताया कि उसकी इस सफलता में माता-पिता और गुरु रह चुके आशुतोष सर और बिहारी सर का खासा योगदान है. उनकी प्रेरणा से ही वह इस लक्ष्य को भेदने में सफल रही. उसने बताया कि खुद के सपने को पूरा करने के लिए वह जॉब कर पैसे कमाएगी और उससे आगे की पढ़ाई भी जारी रखेगी. लक्ष्मी ने बताया कि उसके पिता ने सब्जी बेचकर पढ़ाई करवाई है. ऐसे में वह आगे और मेहनत कर पढ़ाई करेगी.

बेटी की सफलता पर पिता को है गर्व

रामपूजन सिंह कुशवाहा बताते हैं कि वह बक्सर बाजार में सब्जी बेचने का काम करते हैं. उसी से होने वाली आमदनी से वह परिवार का गुजर बसर करते हैं. अपने दो बेटों व एक बेटी को पढ़ाने में कोई भेदभाव नहीं करते. हालांकि, उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बेटी के शिक्षकों से खराब आर्थिक स्थिति का हवाला दिया तो उन्होंने फ्री शिक्षा भी दी. रामपूजन सिंह कहते हैं कि उनका लक्ष्य तो बेटी को बड़ा अधिकारी बनाने का था, लेकिन देखने वाली बात होगी कि वह इस कमजोर आर्थिक स्थिति से कहां तक अपने सपने को पूरा कर पाने में सफल हो पाती है.

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