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Buxar News: गांव के लोगों ने पेश की मानवता की मिसाल, युवक के इलाज के लिए हप्ते भर में जमा किए 2 लाख रुपये

पीड़ित की मां ने बताया कि बेटे की जब स्थिति काफी नाजुक हुई तो उसे कोमा में भर्ती करना पड़ा. इलाज के लिये पैसे नही थे. हाल ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: गुलशन सिंह
बक्सर. कहा गया है भारत गांव में ही बसता है और मानवता भी गांव में ही जिंदा बची है. इसका ताजा उदाहरण जिले के सिमरी थाना क्षेत्र के धनहा गांव में देखने को मिला है. जहां सामाजिक स्तर पर तीन गांव के लोगों ने आपस में चन्दा इकट्ठा कर गांव के एक अनाथ युवक की इलाज के लिए हप्ते भर में 2 लाख रुपए जुटाए, जो चर्चा का विषय बना गया है. दरअसल, धनहा गांव के निवासी 21 वर्षीय युवक नित्यानंद पाल न्यूरो यानी ब्रेन सम्बंधित बीमारी से जूझ रहे हैं.

पीड़ित का इलाज बनारस के एक निजी अस्पताल में चल रहा है. जहां वह जिंदगी व मौत की लड़ाई से प्रतिदिन जूझ रहा है. डॉक्टरों ने न्यूनतम खर्च 5,08,400 रुपये बताया है. इस राशि को पीड़ित के परिजन जुगाड़ करने में सक्षम नहीं है, लेकिन फिर भी बीमारी से ग्रसित नित्यानंद का इलाज जारी है.
नित्यानंद को नई जिंदगी देने के लिए मंझवारी गांव निवासी समाजसेवी कवींद्र यदुवंशी चंदा एकत्रित करने में जुटे हुए है. उनके साथ अन्य सभी साथी भी सोशल मीडिया के माध्यम से संदेश को प्रसारित कर रहे हैं. जिसका प्रतिफल यह निकला है कि पीड़ित के इलाज के लिए 2 लाख रुपये की राशि कवींद्र व उसके सहयोगियों ने इकट्ठा कर जमा करा दिया है. वही तीन गांव के ग्रामीणों की दरियादिली के कारण और युवाओं की मेहनत ने नित्यानंद को कोमा से बाहर निकाल दिया है.

स्थिति बिगड़ने पर कोमा में चला गया था नित्यानंद
पीड़ित की मां ने बताया कि बेटे की जब स्थिति काफी नाजुक हुई तो उसे कोमा में भर्ती करना पड़ा. इलाज के लिये पैसे नही थे. हालांकि डॉक्टरों ने थोड़ा रहम किया और इलाज के सबसे न्यूनतम खर्च का विवरण साझा किया. जिसमें 5,08,400 रुपये का खर्च बताया गया. इसके साथ ही इलाज शुरू हो गया. धीरे-धीरे करके अब तक जैसे-तैसे दो लाख रुपये भरे गये है और पैसों के इंतजाम के लिये मदद की गुहार है. इस अभियान को सोशल मीडिया के जरिए स्थानीय समाजसेवी भी मदद की गुहार लगा रहे है.

बकरी पालन कर मां चलाती है घर
पीड़ित नित्यानंद का परिवार बेहद गरीब है. उसके पिता का 15 साल पहले ही स्वर्गवास हो चुका है और मां पुष्पा देवी गृहणी हैं. बकरियां पालकर वह अपना और बेटे का जीविकोपार्जन करती है. पीड़ित की मां ने बताया की ऐसी दुर्बल आर्थिक स्थिति में बेटे का इलाज करा पाना काफी कठिन हो गया है. अब उसने सब भगवान भरोसे छोड़ दिया है. नित्यानंद के इलाज के लिए कवींद्र ने एक मां से उसका बेटा न जुदा हो पाए इसलिए इलाज के लिए चंदा मांग रहे हैं. जिससे उसका इलाज हो सके.

बनारस के जगजीवन हॉस्पिटल में चल रहा इलाज
पीड़ित के इलाज को आगे आये मंझवारी निवासी कवींद्र यादव ने बताया कि गरीब परिवार के युवक नित्यानंद की इलाज के लिए मझवारी, गोपालपुर, धनहा आदि गांवों के लोग आगे बढ़ कर आर्थिक मदद कर रहे है. उन्होंने बताया कि 15 जनवरी को जब नित्यानंद बीमारी से मूर्छित हो कर गिर गया था तब मोहल्ला के लोगों ने आपस मे तत्काल चन्दा इकट्ठा कर 40 हजार के करीब पैसे की इंतजाम किया था. जिसके बाद बनारस के जगजीवन हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है. शुरुआती दिनों में नित्यानंद कोमा में थे, लेकिन इलाज के लिए चन्दा इकट्ठा कर जब पैसे भेजे जाने लगे तो अस्पताल में इलाज शुरू हो गया है अब वह कोमा से भी बाहर निकल आये है. लेकिन अभी भी करीब तीन लाख रुपये इकट्ठा करना बांकी है. जिसके लिए लगातार मदद की गुहार लगाई जा रही है.

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