रिपोर्ट-गुलशन सिंह
बक्सर. कहते हैं कि बीमार व्यक्ति को ठीक होने के लिए दवा के साथ-साथ दुआ भी काम आता है. दुआ के साथ जब लोग बीमार के लिए इलाज के आर्थिक मदद भी करने लगे तो ईश्वर भी उसे सकुशल घर पहुंचा देता है. कुछ ऐसी ही कहानी जिले के सिमरी प्रखंड के धनहा गांव निवासी नित्यानंद की है. अस्पताल में भर्ती नित्यानंद को इलाज के लिए 5 लाख रुपए की जरूरत थी. लेकिन गरीबी के कारण जब उनसे रुपए का इंतजाम नहीं हो रहा था, तो फिर फरिश्ता के रूप में एक समाजसेवी युवक सामने आए और देखते ही देखते सारे रुपए का इंतजाम हो गया.
इलाज का खर्च सुन घरवालों के उड़ गए होश
दरअसल, 15 जनवरी को नित्यानंद अचानक मूर्च्छित होकर गिर पड़ा. मूर्छित हालत में ग्रामीणों के सहयोग से उसे अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने ब्रेन हेमरेज होने की बात कह कर वाराणसी रेफर कर दिया. जहां एक निजी अस्पताल में युवक को दाखिल कराया गया.
परंतु इलाज का खर्च सुनकर परिजनों के होश उड़ गए. उसकी विधवा मां को लगा कि बेटे को बचाना उसके बूते की बात नहीं है. धीरे-धीरे यह बात गांव सहित आसपास के इलाके के लोगों तक पहुंची. फिर क्या, पीड़ित मानवता की सेवा लिए लोगों का कारवां बनता चला गया.
सोशल मीडिया पर अभियान चला युवाओं ने जुटाए पैसे
बीमार युवक को मौत के मुंह से बाहर निकालने के लिए मझवारी गांव के सामाजिक कार्यकर्ता कवींद्र यादव ने सोशल मीडिया पर मदद के लिए अभियान चलाया. इसके बादवाराणसी के जार्जियन अस्पताल में जीवन मौत से जूझ रहे नित्यानंद का जीवन बचाने के लिए चलाये जा रहे अभियान को गति मिलने लगी और लोग सहयोग के लिए आगे आने लगे.
कवींद्र बताते हैं कि अस्पताल का कुल बिल 5 लाख का आया था. ग्रामीणों के सहयोग से चार लाख रुपए जमा हो गए. कुछ राशि अन्य जगहों से जुगाड़ कर नित्यानंद को अस्पताल से मुक्त करा लिया गया. 18 दिनों तक हॉस्पिटल में भर्ती रहने के बाद जब नित्यानंद सकुशल अपने घर लौटा, तो गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है. लोग नित्यानंद से मिलने उसके घर आ रहे हैं.
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