रिपोर्ट: गुलशन सिंह
बक्सर. जिले के डुमरांवअनुमंडल इलाके में तकनीकी खेती से जुड़ कर कई किसान अपनी आर्थिक विकास कर रहे है. इसमें एक किसान नया भोजपुर गांव के रहने वाले आशुतोष पांडेय भी शामिल हैं, जो सफल किसान बन कर क्षेत्र में कई किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने गए है.
आशुतोष पांडेय गांव में ही रह कर अपनी 10 एकड़ भूमि पर विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती कर रहे हैं. साथ ही खेती में अक्सर कुछ नया प्रयोग करने के चलते चर्चा में बने रहते हैं. वे पहले से ही बेबी कॉर्न, स्ट्राबेरी, मशरूम उत्पादन को लेकर जाने व पहचाने जाते हैं, इस साल उन्होंने गुलाबी गोभी की खेती शुरू कर अपनी आमदनी बढ़ाने का नया तरीका अपनाया है.
75 से 85 दिनों में तैयार होती है गुलाबी गोभी
आशुतोष पांडेय ने बताया कि गुलाबी गोभी की खेती पहली बार कर रहे हैं. इस साल ट्रायल के तौर पर केवल 5 कट्ठे में गुलाबी गोभी कीखेती की है. उन्होंने बताया कि यह नेचुरल फार्मिंग है और इसमें जैविक उर्वरक का उपयोग किया गया है. इसकी खेती के लिए सिजेंटा कंपनी से एलिनटीला प्रजाति के गोभी का बीज मंगाया गया था. नवंबर माह में गुलाबी गोभी लगाए है. उन्होंने बताया कि यह फसल 75 से 85 दिनों में तैयार हो जाता है. वहीं गुलाबी गोभी को देखने के लिए दूर-दराज से किसान उनके खेत पर देखने के लिए पहुंच रहे हैं.
लागत से पांच गुना अधिक होता है मुनाफा
किसान आशुतोष पांडेय ने बताया कि सफेद गोभी के तुलना में गुलाबी गोभी न केवल सेहत के लिए फायदेमंद है बल्कि इससे किसान का मुनाफा भी लागत से 5 गुना बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि इस खेती को अपना कर किसान अपने आमदनी को बढ़ा सकते हैं. उन्होंने बताया कि उनके पांच कट्ठा में लगभग तीन हजार गोभी के फूल आए हैं. इस किस्म के गोभी की बड़े शहरों में अधिक डिमांड है और रेट भी सही मिल जाता है.
मेट्रो सिटी में गुलाबी गोभी की है अधिक डिमांड
किसान आशुतोष पांडेय ने बताया कि गुलाबी गोभी की पटना व मेट्रो सिटी में काफी डिमांड है. पटना और कोलकाता के बाजार में बिक्री के लिए भेजा जाता है. वहां प्रति पीस 50 से 60 रुपये का भाव मिल जा रहा है. जबकि साधारण गोभी का भाव 10 से 12 रुपये पीस है. उन्होंने बताया कि लगभग 70 हजार रुपए का खर्च प्रति एकड़ आता है. जबकि एक सीजन में तैयार फसल को बेचने पर दस गुना आमदनी होने सकती है. उन्होंने बताया कि गुलाबी गोभी का ट्रायल इस बार सफल रहा है. आने वाले साल से एक से दो एकड़ में इसका खेती करने की योजना है.
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