रिपोर्ट: गुलशन सिंह
बक्सर: पौराणिक रामरेखा घाट पर माघ के शुभ मुहूर्त में मुंडन संस्कार के लिए भारी भीड़ जुटी रही. इस दौरान दूर-दराज से हजारों श्रद्धालु अपने बच्चों का मुंडन कराने यहां आ रहे हैं. गाजे-बाजे संग आने वाले श्रद्धालुओं के कारण घाट की सीढ़ियों पर पैर रखने तक की जगह नहीं है. दरअसल, इस बार दिसंबर से जनवरी के बीच एक माह तक खरमास के कारण शुभ काम नहीं हो सके. इसके समाप्त होते ही मुंडन संस्कार का शुभ मुहूर्त भी शुरू हो गया.
मुंडन संस्कार को लेकर उमड़ी भीड़ के कारण यहां के पंडों और नौका चालकों की खूब चांदी भी हो रही है. नाव चालकों की मनमानी व अवैध वसूली से श्रद्धालुओं का दर्द भी छलक रहा है. अपने बच्चों का मुंडन कराने डुमरांव से आए राजाबाबू भगत एवं ब्रह्मपुर के हरिद्वार ने बताया कि यहां नौका चालकों और पंडों द्वारा मनमाने पैसे वसूले जा रहे हैं. बताया कि एक बच्चे पर नाव चालक 1700 से 3000 रुपये ले रहे हैं, जिसका कोई हिसाब नहीं है.
एक फेरे में 10 से 12 हजार कमा रहे नाविक
नाविक एक बार में नाव पर 5 अलग-अलग दलों को बैठा कर गंगा पार कराते हैं. ऐसे में नाव चालक 10 से 12 हजार रुपये एक फेरे में कमा रहे हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि सुरक्षा को ताक पर रख गंगा में धड़ल्ले से ओवरलोड नावें चलाई जा रही हैं. ऊपर से मनमानी वसूली भी, लेकिन जिला प्रशासन मौन है. इस दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा में घाट पर एक भी पुलिस के जवान व अधिकारी मौजूद नहीं दिखे. वहीं, झपटमारी की कई घटनाएं भी सामने आईं.
नगर परिषद नहीं काटता कोई रसीद
रामरेखा घाट पर अनेक दुकानें भी सजी हैं, जहां मुंडन के लिए मूंज की रस्सी से लेकर पूजा संबंधी सभी सामग्री उपलब्ध है. वहीं, घाट पर भारी भीड़ के बावजूद न तो कोई गोताखोर दिखाई दिया और न ही नौका गश्ती दल. वहीं, नाविक भी स्वीकारते हैं कि वे लोग एक बच्चे के माता-पिता से गंगा पार कराने के एवज में न्यूनतम किराया 1700 रुपये लेते हैं. नाविकों ने बताया कि स्थानीय घाट पर नगर परिषद के द्वारा कोई रसीद नहीं काटी जाती, जबकि उस पार उत्तर प्रदेश के भरौली में 20 से 50 रुपये की रसीद कटती है.
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