दरभंगा राज किला पर 59 साल बाद फहराया तिरंगा, खंडहर होते धरोहर को संजोने की दिखी ललक

Darbhanga News: दरभंगा के किले पर राजघराने के वारिस कुमार कपिलेश्वर सिंह ने तिरंगा झंडा फहराया.
बिहार के दरभंगा में स्थित ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर पर गणतंत्र दिवस के मौके पर 59 साल के बाद फहराया गया तिरंगा. MSU की पहल पर राजघराने के वंशज कुमार कपिलेश्वर सिंह ने झंडारोहण किया.
- News18 Bihar
- Last Updated: January 26, 2021, 8:05 PM IST
दरभंगा. देश के 72वें गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर आज दरभंगा के लालकिले पर 59 साल के बाद तिरंगा झंडा फहराया गया. दरभंगा (Darbhanga News) राजघराने के वंशज कुमार कपिलेश्वर सिंह ने रामबाग स्थित किले पर ध्वजारोहण किया. देखरेख और रखरखाव के अभाव में खंडहर होती बुलंद इमारत पर दशकों बाद तिरंगा लहराते देख सैकड़ों की संख्या में मौजूद स्थानीय लोग खुश दिखे. उनकी आंखों में इस धरोहर को संजोकर रखने की ललक भी दिखी. आपको बता दें कि दरभंगा के किले के पुनरुद्धार और इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए स्थानीय छात्र संगठन MSU कई वर्षों से प्रयासरत है. संगठन की इस पहल के तहत ही आज यहां झंडारोहण किया गया.
साल 2021 से पहले आखिरी बार इस राज किले पर राज परिवार की ओर से 1962 में ध्वजारोहण किया गया था. दरभंगा के पूर्व महाराजा कामेश्वर सिंह (Maharaja Kameshwar Singh) ने राज किला पर तिरंगा फहराया था. गुंबद समेत इस किले की ऊंचाई 84 फीट है. इसका निर्माण 1940 के दशक में शुरू हुआ था, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया. 1947 में देश को आजादी मिलने के कुछ साल बाद ही जमींदारी प्रथा का अंत हो गया और यह किला कभी पूरा नहीं हो सका. राजघराने के वंशज कुमार कपिलेश्वर सिंह ने ध्वजारोहण के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि 59 साल के बाद किले पर झंडा फहराते हुए देखना सुखद क्षण है. अब यह सिलसिला जारी रहेगा. साथ ही किले का जीर्णोद्धार कर इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा.

मिथिला स्टूडेंट यूनियन लगातार धरोहर बचाओ अभियान के तहत दरभंगा के लाल किला को सुरक्षित रखने की लड़ाई लड़ता आ रहा है. इसी क्रम में वर्ष 2018 में 15 अगस्त को कई दशकों बाद मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सदस्यों ने दरभंगा के इस किले पर झंडा फहराया था. इसके बाद प्रत्येक वर्ष मिथिला स्टूडेंट यूनियन 15 अगस्त और 26 जनवरी को यहां ध्वजारोहण करता रहा है. संगठन की इसी मुहिम का असर है कि इस साल दरभंगा राजघराना भी इस काम में भाग लेने आगे आया.
मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सदस्य गोपाल चौधरी ने बताया कि आज 26 जनवरी के मौके पर राजघराने की ओर से न सिर्फ तिरंगा फहराया गया, बल्कि किले को विकसित किए जाने की भी बाक कही गई. यह MSU के हर सदस्य के लिए गौरव का क्षण है. अब हम लोगों को उम्मीद की किरण नजर आ रही है कि दरभंगा के लाल किले का दिन बदलेगा और यह भी पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सकेगा.
साल 2021 से पहले आखिरी बार इस राज किले पर राज परिवार की ओर से 1962 में ध्वजारोहण किया गया था. दरभंगा के पूर्व महाराजा कामेश्वर सिंह (Maharaja Kameshwar Singh) ने राज किला पर तिरंगा फहराया था. गुंबद समेत इस किले की ऊंचाई 84 फीट है. इसका निर्माण 1940 के दशक में शुरू हुआ था, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया. 1947 में देश को आजादी मिलने के कुछ साल बाद ही जमींदारी प्रथा का अंत हो गया और यह किला कभी पूरा नहीं हो सका. राजघराने के वंशज कुमार कपिलेश्वर सिंह ने ध्वजारोहण के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि 59 साल के बाद किले पर झंडा फहराते हुए देखना सुखद क्षण है. अब यह सिलसिला जारी रहेगा. साथ ही किले का जीर्णोद्धार कर इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा.

दरभंगा के लाल किले पर तिरंगा झंडा को सलामी देते लोग.
MSU की मुहिम रंग लाई
मिथिला स्टूडेंट यूनियन लगातार धरोहर बचाओ अभियान के तहत दरभंगा के लाल किला को सुरक्षित रखने की लड़ाई लड़ता आ रहा है. इसी क्रम में वर्ष 2018 में 15 अगस्त को कई दशकों बाद मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सदस्यों ने दरभंगा के इस किले पर झंडा फहराया था. इसके बाद प्रत्येक वर्ष मिथिला स्टूडेंट यूनियन 15 अगस्त और 26 जनवरी को यहां ध्वजारोहण करता रहा है. संगठन की इसी मुहिम का असर है कि इस साल दरभंगा राजघराना भी इस काम में भाग लेने आगे आया.
मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सदस्य गोपाल चौधरी ने बताया कि आज 26 जनवरी के मौके पर राजघराने की ओर से न सिर्फ तिरंगा फहराया गया, बल्कि किले को विकसित किए जाने की भी बाक कही गई. यह MSU के हर सदस्य के लिए गौरव का क्षण है. अब हम लोगों को उम्मीद की किरण नजर आ रही है कि दरभंगा के लाल किले का दिन बदलेगा और यह भी पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सकेगा.