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Mithila Makhana: मखाना किसानों को इसलिए हो रहा नुकसान, फायदे के लिए अपनाएं ये तरीका

दरअसल, नवंबर-दिसंबर में इसमें अंकुरण आ जाता है तो फिर मखाने की गुणवत्ता खराब होने लगती है. उस समय बाजार में जो भी कीमत ...अधिक पढ़ें

    रिपोर्ट-अभिनव कुमार

    दरभंगा. मिथिला के मखाना को जीआई टैग मिलने के बाद यहां के किसानों को अच्छी आमदनी की उम्मीद जगी थी. किसान ने सोचा की मखाने की खेती में पहले की अपेक्षा 10 से 15% तक का मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन ऐसा इस बार नहीं हो सका.

    मखाना की खेती बड़े पैमाने पर करने के बाद किसानों को भारी नुकसान सहना पड़ा है. इसके पीछे का क्या कारण है और कैसे मिथिला के मखाने को अच्छे व्यवसाय के रूप में विकसित कर सकते हैं, इस पर विस्तृत जानकारी मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ.मनोज कुमार ने दी.

    उन्होंने बताया कि जब से मिथिला के मखाना को जीआई टैग मिला है, लोगों में यह उम्मीद जताई जा रही थी कि मिथिला के मखाने की कीमत में 10 से 15% तक की बढ़ोतरी होगी. लेकिन इस बार मखाने की कीमत थोड़ी कम मिली. जिससे किसानों को कुछ क्षति भी हुई है. जिसका मुख्य कारण यह देखा गया है कि मखाने की उत्पादन पर जितना जोर दिया गया, उतना किसानों को मखाने की प्रसंस्करण के प्रति नहीं मिल सका. मखाना एक ऐसा उत्पाद है जिसको आप हार्वेस्ट करने के बाद ज्यादा दिनों तक घर में नहीं रख सकते हैं.

    मखाने में अंकुरण आने के बाद गुणवत्ता होने लगती है खराब

    नवंबर-दिसंबर के महीनों में इसमें अंकुरण आ जाता है. तो फिर मखाने की गुणवत्ता खराब होने लगती है. उस समय बाजार में जो भी कीमत किसानों को मिलती है, उसी कीमत पर किसानों को अपना प्रोडक्ट बेचना मजबूरी हो जाता है. लेकिन अगर किसान प्रसंस्करण पर जोर दें तो इससे वह बच सकते हैं. और अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.

    किसान अपने घर में प्रसंस्करण कर उसे लावा के रूप में एक से डेढ़ वर्षों तक अपने घरों में रख सकता है. जिस वक्त मखाने का व्यापार में उछाल आएगा और इसका उचित मूल्य मिलेगा, तब किसान उसे बेच सकता है. इसके लिए किसानों को प्रसंस्करण का प्रशिक्षण लेना होगा.

    यह प्रशिक्षण मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा में समय-समय पर दिया जाता है. किसान अगर प्रसंस्करण का प्रशिक्षण लें तो अपने घरों में भी मखाने के दाने को लावा के रूप में बनाकर रख सकता है,और उचित मूल्य मिलने पर किसी भी वक्त मार्केट में बेच सकता है. इस बार नुकसान होने का यही कारण है कि बहुत ज्यादा संख्या में प्रसंस्करण कौशल किसान क्षेत्र में नहीं है.

    Tags: Bihar News, Darbhanga news

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