रिपोर्ट-नकुल कुमार
पूर्वी चंपारण. कहते हैं कि असफलता हमें अपनी कमियों को दूरूस्त करने का मार्ग दिखाता है. जिसने अपनी कमियों को दूरुस्त कर लिया, उसे सफलता जरूर मिलती है. ऐसी ही कहानी जिले के पकड़ीदयाल के रहने वाले विवेक कुमार की है. बार-बार के असफलताओं के बावजूद उसने IIT JAM 2023 में 295वां रैंक लाया है.
विवेक के पिता सुगौली चीनी मिल में कार्यरत हैं, जबकि मां आंगनबाड़ी सेविका हैं. विवेक की प्रारंभिक शिक्षा पकरीदयाल प्रखंड के सिरहा गांव के ही प्राइमरी स्कूल से हुई. नवोदय में छठी कक्षा में एडमिशन के लिए उसने तैयारी की, लेकिन असफल रहा. इसके बाद नवमीं कक्षा के लिए नवोदय में उसका एडमिशन हो गया. दसवीं तक की पढ़ाई नवोदय विद्यालय से करने के बाद उसने 12th मधुबन के भगवान सिंह कॉलेज से पास की.
असफलताओं से नहीं मानी हार
विवेक की माने तो नवोदय स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही उसने आईआईटी करने का सपना देखा था. इसके लिए दिल्ली भी गया, तैयारी भी की, लेकिन पास नहीं हुआ. घरवालों से जिद करके कोटा जाने का आग्रह किया. वहां जाकर तैयारी की, लेकिन असफल रहा. फिर मोतिहारी के मुंशी सिंह कॉलेज से ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया. लेकिन हिम्मत नहीं हारी. विवेक ने बताया कि ग्रेजुएशन के दौरान उसने सेल्फ स्टडी जारी रखा. अब जाकर AIR 295वां रैंक आया.
पढ़ाने को पिता ने गिरवी रख दी जमीन
विवेक कहते हैं कि तैयारी के दौरान ढेर सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. दिल्ली में रहकर पढ़ना काफी खर्चीला था. मिड्ल क्लास फैमिली से होने के कारण रुपए जुटा पाना उसके परिवार के लिए आसान नहीं था. हालांकि घरवालों ने उसे कभी आर्थिक परेशानी महसूस नहीं होने दी. बाद में पता चला कि उसे पढ़ाने के लिए पिता ने जमीन तक गिरवी रख दी थी.
एग्जाम से पहले पिता का हो गया था एक्सीडेंट
विवेक कहते हैं कि एग्जाम के पहले पिताजी का एक्सीडेंट हो गया था. इस कारण उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं लग पा रहा था. फिर भी उन सभी बातों से उबरते हुए तैयारी को जारी रखा. विवेक कहते हैं कि आगे चलकर वह मॉडर्न अलजेब्रा के Group Theory पर रिसर्च करना चाहते हैं.
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