रिपोर्ट-नकुल कुमार
पूर्वी चंपारण. एक समय था जब बहन, अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर अपने सुरक्षा का वचन लेती थी. लेकिन बदलते समय के साथ आत्मरक्षा के लिए भाई अथवा किसी अन्य पर निर्भरता बीते दिन की बात हो गई है. अब बेटियां सेल्फ डिफेंस के लिए ताइक्वांडो आदि का प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. मोतिहारी में भी इसको लेकर जागरूकता दिख रही है.
पांचवीं की छात्रा नाजिश हुसैन खान बताती हैं कि पढ़ाई के साथ-साथ पिछले तीन साल से अब्बा के साथ अपने घर से 2 किलोमीटर दूर स्थित ताइक्वांडो सेंटर जाकर प्रशिक्षण ले रही है. वह कहती है कि सभी को अपनी बेटियों को सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण दिलाना चाहिए.
‘लड़कियां भी होती हैं स्ट्रॉन्ग’
ब्लैक बेल्ट मुस्कान बताती हैं कि वह पिछले 7 सालों से ताइक्वांडो कर रही है. शुरू से इच्छा थी कि वह self-defence का प्रशिक्षण प्राप्त करे. लेकिन घर के कुछ सदस्य ताइक्वांडो प्रशिक्षण के खिलाफ थे. इस मामले में उनके बड़े भैया का साथ मिला. वह कहती हैं कि कई पेरेंट्स सोचते हैं कि लड़के ही स्ट्रांग होते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. लड़कियां भी प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना सेल्फ डिफेंस कर सकती हैं.
‘हर किसी को दिलवाना चाहिए अपने बच्चों को प्रशिक्षण’
नाजिश के पिता नासिर हुसैन खान ने बताया कि प्रतिदिन सुबह में नमाज के बाद नाजिश को सेंटर पर लाते हैं और ट्रेनिंग के बाद वापस ले आते हैं. अपनी बेटी को सेल्फ डिफेंस की शिक्षा दिए जाने के पीछे का कारण बताते हुए वे कहते हैं कि इससे हमारी बेटी को किसी के सहारे की जरूरत नहीं होगी.
वह अपनी सुरक्षा खुद कर सकेगी. इतना ही नहीं, आने वाले समय में इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होकर जीविकोपार्जन भी कर सकती है. वेकहते हैं कि हमारे समाज में शिक्षा को लेकर काफी पिछड़ापन है. उन्होंने सभी समाज के लोगों से अपने बच्चे को शिक्षा के साथ-साथ ताइक्वांडो, कराटे आदि का प्रशिक्षण दिलाने की अपील की.
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