लता मंगेशकर ने 1964 की मैथिली फिल्म विद्यापति का गाना गया था.
पटना. भारत की स्वर कोकिला के नाम से प्रसिद्ध भारत रत्न लता मंगेशकर (Bharat Ratna Lata Mangeshkar) अब हमारे बीच नहीं रहीं, लेकिन उनके द्वारा गाए गए गीत हमेशा हमारे दिलो दिमाग को सुकून पहुंचाते रहेंगे. कोरोना ने हमसे लता दीदी को छीन लिया जिससे बिहार में शोक की लहर है. लता दी का बिहार और बिहार की भाषा व बोली से बेहद खास नाता रहा है. हिंदी के साथ ही उन्होंने मैथिली और भोजपुरी में भी गीत गाए. वह जब गाती थीं तो पूरी बिहारी बन जाती थीं और यहां की संवेदना को अपने स्वर से व्यक्त करती थीं.
लता मंगेशकर के मैथिली में गाए गीत, सुनू सुनू रसिया… आज भी मिथिलावासियों की जुबान पर तैरने लगती है. लता दी के निधन के साथ ही एक बार फिर से यह गीत ट्रेंड करने लगा है. 1964 में रीलीज हुई फिल्म विद्यापति के इस मशहूर गीत में लता मंगेशकर का साथ तत्कालीन प्रसिद्ध गायक मलय मुखर्जी ने भी स्वर दिया था. लता मंगेशकर ने विद्यापति के गीत को जीवंत कर दिया जो आज भी लोगों के दिलों में उतर जाता है और आनंदित करता है.
बता दें कि लता मंगेशकर के निधन से पूरा बिहार मर्माहत है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी लता मंगेशकर के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है. नीतीश कुमार ने अपने शोक संदेश में कहा है कि स्वर कोकिला और भारत रत्न लता मंगेशकर का निधन शोक एवं पीड़ादायक है. नीतीश कुमार ने कहा कि प्रख्यात पार्श्व गायिका लता मंगेशकर को भारत रत्न, पदम विभूषण, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार समेत कई अन्य खिताबों से सम्मानित किया गया था. वह भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा की सदस्य रह चुकी थीं. लता जी का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है.
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