रिपोर्ट- नकुल कुमार
पूर्वी चंपारण. पिपरा प्रखंड के सूर्यपुर पंचायत के पडौलिया गांव निवासी राजेश कुमार भारतीय सेना से रिटायर्ड फौजी हैं. आम तौर पर फौज से रिटायर होने के बाद लोग दूसरी नौकरी में चले जाते हैं, लेकिन राजेश कुमार ने पहले तो खेती करने का फैसला करके सबको चौंका दिया. अब वे पपीते की खेती से हो रहे मोटा मुनाफा कमा कर फिर से सबको चौंका रहे हैं. राजेश ने अपनी खेत में ताइवानी किस्म के पपीता ‘रेड लेडी 786’ का प्लांटिंग किया हुआ है. इसके साथ ही साथ पपीता के साथ केला की खेती एवं सीजन अनुकूल कभी अदरक तो कभी गेंदा फूल की खेती कर रहे हैं. कुल मिलाकर वे मात्र एक एकड़ खेत से सालाना 10 लाख तक मुनाफा कमा रहे हैं.
प्रति एकड़ डेढ़ लाख तक का है खर्च
राजेश कहते हैं कि पपीता की खेती के लिए सबसे उपयुक्त सीजन मार्च-अप्रैल या जून-जुलाई अथवा सितंबर है. इस समय पौधे का ग्रोथ काफी अच्छा होता है. पपीता की खेती में एक एकड़ में लगभग डेढ़ लाख रुपए की लागत आती है. वे बताते हैं कि मैंने जिला उद्यान कार्यालय से 20 रुपए कीमत वाले ताइवानी किस्म के ‘रेड लेडी 786’ का पौधे लगाए थे. इस पर उद्यान कार्यालय से 14 रुपए का अनुदान भी मिला. एक एकड़ में उन्होंने 1200 पौधा लगाया था. अन्य खर्च में लेबर कॉस्ट, कंपोस्ट खाद एवं पपीते को फंगस, व्हाइटफ्लाई कीट से बचाने के लिए दवा का छिड़काव करना पड़ता है.
6 माह के बाद शुरू हो जाता है हार्वेस्टिंग
वे बताते हैं कि पपीता का प्लांट लगाने के 6 माह बाद से हार्वेस्टिंग शुरू हो जाती है. वे कहते हैं कि उन्होंने मार्च के महीने में पपीता का प्लांट लगाया था. सितंबर से विस्टिंग शुरू हो गय. हर दो-तीन दिन में 4 से लेकर 10 क्विंटल तक पपीता तोड़ते हैं. उन्होंने एक एकड़ में 1200 पौधा लगाया था. इससे एक साल में लगभग 12 लाख रुपया कमाया. यदि लागत को निकाल दिया जाए, तो शुद्ध 10 लाख का मुनाफा कमाया.
आम मिश्रित है पपीते का स्वाद
किसान राजेश कहते हैं कि अमूमन पपीते के स्वाद से सभी वाकिफ हैं. लेकिन ताइवानी किस्म के रेड लेडी 786 पपीते का स्वाद आम एवं पपीता मिश्रित होता है. राजेश की इस सफलता के बाद उनके पिता बलराम यादव कहते हैं कि फौज से रिटायर होने के बाद उनके बेटे ने पपीता, केला की खेती की एवं मुर्गी फार्म खोला. तब किसी को यह काम पसंद नहीं आया. अब मुनाफा देख गांव वाले भी कहते हैं कि अच्छा काम कर रहा है.
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