होम /न्यूज /बिहार /Gaya News: मौत के बाद अगली पीढ़ी के लिए लकड़ी का इंतजाम, गया में 25 साल से परंपरा 

Gaya News: मौत के बाद अगली पीढ़ी के लिए लकड़ी का इंतजाम, गया में 25 साल से परंपरा 

गया का एक ऐसा गांव है, जहां मरने के बाद उनके परिजनों के द्वारा श्मशान घाट पर एक वृक्ष लगाने की परंपरा है.

    रिपोर्ट -कुंदन कुमार

    गया. सनातन धर्म में किसी मनुष्य के मरने के बाद उसका दाह संस्कार किया जाता है. दाह संस्कार में लकड़ियों की जरूरत होती है, लेकिन इन दिनों शव जलाने के लिए लोगों को सही से लकड़ी भी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में गया का एक ऐसा गांव है, जहां मरने के बाद उनके परिजनों के द्वारा श्मशान घाट पर एक वृक्ष लगाने की परंपरा है.

    यह परंपरा पिछले 25 वर्षों से लगातार चली आ रही है. यहां 100 से अधिक पेड़ लगाए जा चुके हैं. यह गांव बांके बाजार प्रखंड के रोशनगज पंचायत का भलुहार गांव है. जहां के लोग अपनी जिंदगी में पर्यावरण के लिए तो कुछ करते ही हैं मरने के बाद भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश छोड़ कर जाते हैं. किसी व्यक्ति के निधन के बाद श्मशान परिसर में पौधे लगाए जाते हैं.

    1997 से शुरू हुई परंपरा आज भी कायम

    इस परंपरा की शुरुआत भलुहार गांव के एक व्यक्ति की मौत के बाद से हुई. उसकी संस्कार के लिए लकड़ी नहीं मिल रही थी. यह घटना 1997 की है. गांव का ही एक बुजुर्ग अनुसूचित जाति का गरीब बाठा भुइयां की मौत हो गई. उसके परिजन को संस्कार के लिए लकड़ी की समस्या उत्पन्न हुए थी. गरीब होने के नाते गांव सामर्थवान लोगों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला. यह जानकारी जब गांव के विष्णुपद यादव को हुई तो उनके दिमाग में इस समस्या के प्रति गंभीर हुए और समाधान के लिए अपने गांव के अन्य लोगों के समक्ष बात रखी और इस समस्या के समाधान के लिए नवयुवक संघ का गठन हुआ. अध्यक्ष विष्णुपद यादव को ही बनाया गया. संघ में निर्णय हुआ कि मृतक के नाम पर पौधा लगाया जाए. इससे पर्यावरण का संरक्षण होगा और दाह संस्कार में पौधों की टहनियां काम आएंगी.

    अंतिम यात्रा में प्रत्येक घर से एक व्यक्ति होते हैं शामिल

    कुछ दिनों के बाद ही गांव के एक सम्पन्न परिवार में मौत हुई. उनके स्वजनों ने इस परंपरा का विरोध भी किया लेकिन विष्णुपद यादव के नेतृत्व में नवयुवकों का यह प्रयास कायम रहा. नवयुवक संघ के अध्यक्ष विष्णुपद यादव की माता सम्मुख कुंवर का निधन हुआ. इन्होंने अपनी माता की याद में प्रथम पौधा लगाया था. श्मशान परिसर मे शोक सभा की गई. एक रजिस्टर पर दाह संस्कार में शामिल लोगों का हस्ताक्षर भी लिया गया. रजिस्टर में मृतक का पूरा हुलिया लिखा गया. उसी दिन प्रस्ताव लेकर गांव के किसी की अंतिम यात्रा में प्रत्येक घर से एक व्यक्ति के शामिल होने को अनिवार्य किया गया. यह परंपरा लोगों को अच्छी लगी और तब से आज तक यह परंपरा जारी है.

    पांच प्रकार के वृक्ष लगे, जिसका दाह संस्कार में होता है इस्तेमाल

    भलुहार गांव के इस श्मशान घाट पर पांच प्रकार के वृक्ष लगाए गये है. जिसका इस्तेमाल दाह संस्कार मे किया जाता है. मुख्य रुप से इसमे पीपल, नीम, पाकर, बेल आदि लगाया गया है. गांव को इस काम के प्रति प्रेरणा देने वाले विष्णुपद यादव कहते हैं कि मेरे गांव मे इस परंपरा को बल देने में नवयुवक संघ का पूरा सहयोग है. मेरी सोच को आज भी लोग जारी रखे हुए हैं. मृतक की याद में पौधे लगाए जाते हैं. अब श्मशान में लगे पौधों की सुखी टहनियां संस्कार में काम आते हैं. श्मशान परिसर के सैंकड़ो हरे भरे पौधे पर्यावरण की संरक्षण में सहायक हैं. साथ ही भविष्य मे अगर किसी की मौत होती है तो इन पेड़ की सुखी टहनियो का इस्तेमाल उसके दाह संस्कार में किया जा सके.

    Tags: Bihar News, Gaya news

    टॉप स्टोरीज
    अधिक पढ़ें