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Woman Success Story: गया के फल्गु नदी की रेत से नई इबारत लिख रहीं महिलाएं, सैंड आर्ट से बदली तकदीर 

फल्गु नदी के बालू को गया की महिलाओं ने रोजगार का साधन बनाया है. सैंड आर्ट के जरिए वो अच्छी कमाई कर रही है. स्वयं सहायता ...अधिक पढ़ें

    कुंदन कुमार

    गया. भारत सरकार के दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन शहरी क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए लाया गया था. बिहार के गया में यह योजना कारगर साबित हो रही है. यहां की महिलाएं इस योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार से जुड़ रही हैं. गया के बोधगया की महिलाएं भारत सरकार के एसडीआरसी और आईआईई के द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर सैंड आर्ट के जरिए अच्छी कमाई कर रही हैं.

    बोधगया के भगवानपुर मोहल्ले में महिला समूह के द्वारा सैंड आर्ट के जरिये भगवान बुद्ध व अन्य धर्मों के आराध्य की चित्र बनाई जाती है. इनको मार्केट में सेल करने से इन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है.

    बता दें कि, बोधगया और गया बौद्ध एवं हिंदू धर्म के लिए विशेष महत्व रखता है. यहां के फल्गु नदी के बालू का महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि यहां गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. वहीं, गया में भगवान विष्णु स्वयं पधारे थे. इसी फल्गु नदी के रेत से माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया था.

    महीने में 3-4 हजार रुपये की होती है कमाई 

    फल्गु नदी के बालू को गया की महिलाओं ने रोजगार का साधन बनाया है. सैंड आर्ट के जरिए वो अच्छी कमाई कर रही है. स्वयं सहायता समूह में तकरीबन 10 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. इनमें से अधिकांश महिलाएं मुस्लिम हैं. वो भी भगवान बुद्ध के अलावा अन्य धर्मों के आराध्य का चित्र बनाने में जुटी हुई हैं. इस सैंड आर्ट के जरिए इन महिलाओं को महीने में तीन से चार हजार रुपये की कमाई हो जाती है. पर्यटन सीजन में विदेशों से आए लोग इनके सैंड आर्ट को पसंद करते हैं तो इनकी आमदनी बढ़ जाती है. बोधगया आने वाले विदेशी पर्यटक अपने साथ इस आर्ट को जरुर लेकर जाते है.

    सैंड आर्ट के काम से महिलाओं को मिला स्वरोजगार

    समूह की महिला सुधा कुमारी बताती हैं भारत सरकार के एसडीआरसी और आईआईई के द्वारा इनके समूह को प्रशिक्षण दिया गया है. इन्हें डे एनयूएलएम के द्वारा 10,000 रुपये की सहायता राशि मिली है जिससे वो इस रोजगार को बढ़ा रही हैं.

    फल्गु नदी के बालू को पवित्र माना जाता है. विदेशी लोग अपने साथ बालू लेकर जाते हैं. इसलिए इन महिलाओं ने बालू को रोजगार से जोड़ते हुए सैंड आर्ट का हुनर सीखा और इसे अपना व्यवसाय बना लिया. विदेशी लोग इनके सैंड आर्ट को खूब पसंद करते हैं और खरीद कर अपने साथ ले जाते हैं. सुधा ने बताया कि इनके पास 300 रुपये से लेकर 2,000 रुपये तक के सैंड आर्ट उपलब्ध हैं.

    बता दें कि, भारत सरकार का बोधगया उद्यमिता विकास परियोजना का क्रियान्वन इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एंट्रेप्रेन्योरशिप (आईआईई) के द्वारा किया जा रहा है. सिद्ध डेवलपमेंट रिसर्च ऐंड कंसल्टेंसी (SDRC) स्थानीय क्रियान्वन संस्था है, जो बोधगया में सूक्ष्म और छोटे व्यवसायों को मार्गदर्शन और प्रोत्साहित करता है. साथ ही डे एनयूएलएम के तहत जुड़े समूह की महिलाओं को हस्तनिर्मित प्रोडक्ट का ट्रेनिंग एसडीआरसी कार्यालय में दिया जाता है. उनको उद्यमी बनाया जाता है, ताकि वो अपना जीवन यापन बेहतर ढंग से कर सकें.

    Tags: Bihar News in hindi, Gaya news, Womens Success Story

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