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Success Story: पीपल के पत्तों ने महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर, मंडला आर्ट की विदेशों में भी डिमांड

Success Story: बोधगया बौद्ध धर्म का एक पवित्र स्थल माना जाता है और प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश विदेश से बौद्ध श्र ...अधिक पढ़ें

    रिपोर्ट: कुंदन कुमार

    गया. बोधगया में गौतम बुद्ध को पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. ज्ञान की प्राप्ति के बाद उन्‍होंने बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार शुरू किया. बता दें कि बोधगया बौद्ध धर्म का एक पवित्र स्थल माना जाता है और प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश विदेश से बौद्ध श्रद्धालु पहुंचते हैं. वहीं, यहां आने वाले बौद्ध श्रद्धालु अपने साथ एक पीपल वृक्ष का पत्ता लेकर जरूर जाते हैं. पीपल के पत्तों के महत्व को देखते हुए बोधगया की महिलाओं ने इसे अपना रोजगार बना लिया है. महिलाएं पीपल के पत्तों से मंडला आर्ट तैयार कर रही हैं. इसके तहत पीपल के पत्ते को करीब 2 महीने तक पानी में गलाया जाता है और उसको अच्छी तरह साफ करने के बाद पते को कलर करके आर्ट के रूप में बनाया जाता है जिसे विदेशी लोग खूब पसंद करते हैं.

    स्वयं सहायता समूह इस ग्रुप में तकरीबन 5-6 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. सभी पीपल के पत्ते से मंडला आर्ट बनाती हैं. कोई पते पर भगवान बुद्ध के चित्र, कोई बुक लीफ, कोई बुक कवर और कोई डायरी बनाने का काम करती हैं. इसे बनाकर बोधगया के बाजारों में स्टॉल लगाए जाते हैं. इसके बाद विदेशी लोग इसे खरीद कर अपने साथ ले जाते हैं. हाल के दिनों में बोधगया पहुंचे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इन महिलाओं के काम की तारीफ की थी.

    30 से लेकर 800 रुपये तक का समान होता है तैयार
    स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं आज 30 से लेकर 800 रुपये तक का समान पीपल के पत्ते से तैयार करती हैं. फिलहाल इन महिलाओं को वियतनाम से मंडला आर्ट के कई ऑर्डर आए हुए हैं. यह सभी महिलाए मंडला बनाने में जुटी हुई हैं. इससे महिलाओं के इस समूह को अच्छा खासी इनकम हो जाती है. यकीनन इससे उनका घर परिवार चल रहा है. वहीं, पर्यटन सीजन में हर एक महिला महीने में करीब 5000 रुपये तक कमा लेती है. हालांकि पर्यटन सीजन खत्म हो जाने पर इसकी बिक्री थोड़ी कम हो जाती है, लेकिन महिलाएं अन्य प्रोडक्ट बनाने का प्रशिक्षण ले रही हैं.

    पीपल के पत्ते से तैयार प्रोडक्ट की खूब डिमांड
    मंडला आर्ट के लिए महिलाओं ने भारत सरकार के एसडीआरसी, आईआईई और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत प्रशिक्षण लेकर काम शुरू किया है. इसके लिए राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तरफ से 10000 रुपये का लोन दिया गया, ताकि इस व्यवसाय को और बढ़ाया जा सके. समूह की महिला सुधा सिंह बताती हैं कि पीपल के पत्ते से तैयार प्रोडक्ट को विदेशी लोग खूब पसंद कर रहे हैं और इसे खरीदकर ले जाते हैं. इससे हमारे समूह को अच्छी इनकम भी हो रही है. हम लोगों के द्वारा 30 रुपए से लेकर 800 रुपए तक के प्रोडक्ट बनाये जाते हैं.

    Tags: Bihar News, Gautam Buddha, Gaya news, Success Story

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