बिहारः गया के इस स्कूल में न नल और न चापाकल, टॉयलेट के लिए पड़ोसी के घर जाते हैं बच्चे और शिक्षक

गया के डेल्हा स्थित सरकारी स्कूल में पानी का इंतजाम न होने से बच्चों और शिक्षकों को होती है परेशानी.
गया (Gaya) के सरकारी स्कूलों में नल-जल योजना (Tap water scheme) की धज्जियां उड़ रही हैं. शहर के बीचों-बीच डेल्हा स्थित राजकीय मध्य विद्यालय (Government School) में पानी का इंतजाम ही नहीं है. बच्चों और शिक्षकों को घर से लाना पड़ता है पेयजल, पड़ोसी के यहां जाते हैं टॉयलेट.
- News18 Bihar
- Last Updated: November 25, 2019, 8:43 PM IST
गया. एक तरफ जहां राज्य एवं केंद्र सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई एवं विद्यालय की स्थिति में सुधार लाने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही हैं. पंचायतों एवं शहरों में नल-जल योजना (Tap water scheme) एवं ओडीएफ (ODF) के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर गया (Gaya) के सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की ओर प्रशासन नजरें फेरे हुए हैं. शहर के डेल्हा स्थित राजकीय मध्य विद्यालय (Government School) में पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा नहीं है. यहां बच्चों और शिक्षकों को अपने-अपने घरों से पीने का पानी लेकर आना पड़ता है. इतना ही नहीं, स्कूल में सरकारी नल या चापाकल न होने के कारण यहां के शौचालय की स्थिति भी खराब है. ऐसे में बच्चों और शिक्षकों को टॉयलेट (Toilet) के लिए पड़ोसियों के घरों में जाना पड़ता है. छात्राओं और महिला शिक्षकों को स्कूल में पानी न होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है.
मिड-डे मील भी नहीं खा पाते हैं बच्चे
डेल्हा के इस सरकारी स्कूल में लगभग 500 छात्र हैं, जिसमें 300 से ज्यादा छात्राएं हैं. 13 शिक्षकों में 11 महिलाएं हैं. स्कूल की छात्राओं ने बताया कि हम लोग घर से पानी की बोतल लेकर आते हैं. अगर क्लास के समय टॉयलेट जाना हो तो जिनके घर नजदीक में नहीं हैं, उन्हें यहां-वहां भटकना पड़ता है. छात्राओं ने कहा कि इस समस्या से निजात पाने के लिए कई बार शिक्षकों को बोला गया, लेकिन वे भी सिर्फ आश्वासन ही देते हैं. स्कूल के विद्यार्थियों ने बताया कि वे लोग मिड-डे मील भी नहीं खा पाते हैं, क्योंकि खाने के बाद हाथ धोने या पीने के लिए स्कूल में पानी ही नहीं है.
शिक्षकों ने कहा- नहीं हो रही सुनवाई
स्कूल के शिक्षक धनंजय कुमार और प्रभारी प्रधानाध्यापक सुमिता कुमारी राय ने बताया कि नगर निगम उत्तरी क्षेत्र में पड़ने वाले इस स्कूल के चापाकल खराब होने की समस्या के बारे में कई बार आवेदन दिया गया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. स्कूल के आसपास रहने वाले लोग पानी देते हैं, उसी से किसी तरह काम चलता है. इस कारण छात्राओं और शिक्षकों को टॉयलेट जाने में परेशानी होती है. प्रभारी प्रधानाध्यापक ने कहा कि स्थानीय वार्ड पार्षद को भी इस बारे में कई बार बताया गया है, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला. उन्होंने बताया कि पड़ोसी के यहां से पानी लेकर मिड-डे मील बनता है.
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मिड-डे मील भी नहीं खा पाते हैं बच्चे
डेल्हा के इस सरकारी स्कूल में लगभग 500 छात्र हैं, जिसमें 300 से ज्यादा छात्राएं हैं. 13 शिक्षकों में 11 महिलाएं हैं. स्कूल की छात्राओं ने बताया कि हम लोग घर से पानी की बोतल लेकर आते हैं. अगर क्लास के समय टॉयलेट जाना हो तो जिनके घर नजदीक में नहीं हैं, उन्हें यहां-वहां भटकना पड़ता है. छात्राओं ने कहा कि इस समस्या से निजात पाने के लिए कई बार शिक्षकों को बोला गया, लेकिन वे भी सिर्फ आश्वासन ही देते हैं. स्कूल के विद्यार्थियों ने बताया कि वे लोग मिड-डे मील भी नहीं खा पाते हैं, क्योंकि खाने के बाद हाथ धोने या पीने के लिए स्कूल में पानी ही नहीं है.

डेल्हा स्थित सरकारी स्कूल के बच्चे अपने घरों से लाते हैं पानी.
स्कूल के शिक्षक धनंजय कुमार और प्रभारी प्रधानाध्यापक सुमिता कुमारी राय ने बताया कि नगर निगम उत्तरी क्षेत्र में पड़ने वाले इस स्कूल के चापाकल खराब होने की समस्या के बारे में कई बार आवेदन दिया गया, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. स्कूल के आसपास रहने वाले लोग पानी देते हैं, उसी से किसी तरह काम चलता है. इस कारण छात्राओं और शिक्षकों को टॉयलेट जाने में परेशानी होती है. प्रभारी प्रधानाध्यापक ने कहा कि स्थानीय वार्ड पार्षद को भी इस बारे में कई बार बताया गया है, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला. उन्होंने बताया कि पड़ोसी के यहां से पानी लेकर मिड-डे मील बनता है.
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First published: November 25, 2019, 8:43 PM IST