दलित बस्ती को अक्षर ज्ञान से प्रकाशित कर रही युवाओं की टोली, मुफ्त टीचिंग से बच्चे सीख रहे ककहरा
News18 Bihar Updated: November 16, 2019, 2:48 PM IST

युवाओं की एक टोली गया के शास्त्रीनगर स्थित दलित बस्ती में मुफ्त टीचिंग कर रही है.
दलित बस्ती रहने वाले लोग कह रहे हैं कि युवाओं द्वारा शुरू की गयी पाठशाला से कुछ जागरूकता बढ़ रही है और सभी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने की बात करने लगे हैं.
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- Last Updated: November 16, 2019, 2:48 PM IST
गया. ज्ञानस्थली के रूप में विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगरी गया (Gaya) में देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु और पर्यटक भ्रमण के लिए आते रहते हैं. इस इलाके में एक बड़ी आबादी महादलित परिवारों (Mahadalit Families) की है. यही वजह है कि इनमें से अधिकांश परिवार के बच्चे स्कूली शिक्षा से से वंचित हैं. इन बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए सरकारी प्रयास तो हो रहे हैं पर जागरूकता की कमी की वजह से यह पूरे तौर पर धरातल पर नहीं उतर पा रहे हैं. ऐसे में यहां के कुछ युवक और युवतियां मिलकर इस बस्ती में बच्चों के मुफ्त में पढ़ा रहे हैं. इसके साथ ही उनके अभिभावकों को भी शिक्षा के प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं.
युवाओं की इस टोली ने स्वामी विवेकानंद और भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से प्रेरणा लेते हुए मुफ्त पाठशाला शुरू की है. युवाओं की इस टीम में युवक और युवती दोनों हैंं. टीम को लीड कर रहे युवा छात्र दीपक कुमार ने बताया कि यहां दोपहर में 3 बजे से 5 बजे तक बच्चों को मुफ्त टीचिंग दे रहे हैं.
दीपक बताते हैं कि इस टीचिंग मे किताबी ज्ञान के साथ ही दिन प्रतिदिन उपयोग होने वाली व्यवहारिक जानकारी भी दी जा रही है. उन्हें नियमित रूप से स्कूल जाने, माता-पिता एवं अपने शिक्षक के प्रति आदर का भाव रखने और अपने शरीर के साथ आस-पास के इलाके में साफ-सफाई रखने के लिए प्ररित करते हैं.
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टीम के ही सदस्य चंदन कुमार सिंह ने बताया कि ये बच्चे आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं. इनमें से कई मजदूरी भी करते हैं. इसलिए उनकी टीम ऐसे बच्चे को मुफ्त में पाठ्य समाग्री यथा किताब-कॉ़पी, पेंसिल और कलम भी मुहैया करा रही है.
गौरतलब है कि शास्त्री नगर दलित बस्ती में में अधिकांश जमीन केन्द्रीय कारागार की है और ये लोग आज से करीब 40-50 साल पहले यहां आकर बसे हैं. यहां रहने वाले करीब 75 परिवारों में से अधिकांश के पास अपनी जमीन और मकान नहीं है. पर युवाओं द्वारा उनकी बस्ती में मुफ्त पाठशाला खोले जाने से स्थानीय लोग बेहद उत्साहित हैं.
इसी दलित बस्ती ने जन्म लेने वाले 45 वर्षीय भोलालाल ने कहा कि युवाओं द्वारा शुरू की गयी पाठशाला से कुछ जागरूकता बढ़ रही है और सभी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने की बात करने लगे हैं.
वहीं, मालती देवी ने बताया कि गरीबी के कारण बच्चों को ट्यूशन या कोचिंग नहीं पढ़ा पाते हैं, ऐसे में इन लोगों के पाठशाला शुरू करने से बच्चों को काफी सहूलियत मिल रही है.

युवाओं की पहल की लोग सराहना कर रहे हैं और दलित बस्ती के लोग उत्साहित होकर अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए भेज रहे हैं.
गौरतलब है कि मुफ्त पाठशाला पहले पेड़ के नीचे शुरू की गयी थी पर स्थानीय लोगों ने 2015 में निर्मित बेकार पड़े यहां के सामुदायिक भवन में संचालित करने का निर्णय लिया है. बहरहाल विभिन्न वजहों से अभी भी एक बड़ी आबादी अक्षर ज्ञान से काफी दूर है. ऐसे में इन युवाओं की पहल से निश्चित रूप से सराहनीय है.
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First published: November 16, 2019, 2:46 PM IST
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