बिहार में चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानि एईएस) से अब तक हुई 141 बच्चों की मौत से हाहाकार मचा हुआ है. जबकि इन मौतों के कारण ना सिर्फ नीतीश सरकार बल्कि विपक्ष भी घिरता जा रहा है. जी हां, सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक हर कोई पूछ रहा है कि इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव चुप क्यों हैं और कहां हैं. इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा तेजस्वी यादव को लेकर दिए गए बयान ने अच्छी खासी हलचल पैदा कर दी है.
ये बोले रघुवंश प्रसाद सिंह
बुधवार को जब रघुवंश प्रसाद सिंह से पत्रकारों ने सवाल पूछा कि क्या इंसेफेलाइटिस से हो रही मौतों पर सरकार के साथ विपक्ष की भी संवेदना मर गई है. अभी तक विपक्ष के नेता का बयान क्यों नहीं आया?
रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा, 'अब मुझे पता नहीं है कि वह (तेजस्वी) यहां हैं या नहीं, लेकिन हम अनुमान लगाते हैं कि वर्ल्ड कप चल रहा है तो वह वहीं गए होंगे. हम अनुमान लगाते हैं. हालांकि कोई जानकारी नहीं है.'
आम लोगों में पनपा असंतोष
बीते कुछ दिनों में राज्य सरकार की चमकी बुखार को लेकर बरती गई ढिलाई से सूबे के आम लोगों के अंदर नाराज़गी पनपी है और यही वजह है कि मंगलवार को जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी मुजफ्फरपुर के एसकेसीएचएम अस्पताल में हालात का जायजा लेने पहुंचे तो वहां मौजूद लोगों ने विरोध में 'मुख्यमंत्री वापस जाओ, नीतीश गो बैक के नारे लगाए.
विपक्ष भी हुआ नाकाम
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार का विपक्ष इन मुद्दों को सरकार की नाकामी के तौर पेश करने में खुद ही नाकाम है. जाहिर है ऐसी भयावह परिस्थितियों के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए सरकार से सवाल पूछे जाएंगे, लेकिन ये सवाल उसी विपक्ष को पूछने थे जो इन दिनों एकदम ख़ामोश सा हो गया है. सबसे बड़ा सवाल यह बन गया है कि इस समय बिहार की राजनीतिक विपक्ष के चेहरे और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव कहां हैं?
इस दिन से 'गायब' हैं तेजस्वी यादव
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद लालू यादव के छोटे बेटे और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव 28 मई को पार्टी की समीक्षा बैठक में शिरकत करने के बाद से लगातार 'गायब' हैं. तेजस्वी कहां हैं? यह किसी को भी पता नहीं है. 11 जून को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के मौके पर दिल्ली में पार्टी दफ्तर में बर्थडे केक काटा गया. लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती वहां पहुंचीं और उन्होंने केक काटा, लेकिन लालू की राजनीतिक विरासत संभाल रहे तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे. हालांकि लालू यादव के जन्मदिन पर तेजस्वी ने एक ट्वीट जरूर किया, जिसमें उन्होंने पिता लालू यादव को बधाई दी. लेकिन सवाल ये है कि पूरे चुनाव के दौरान सबसे मुखर रहने वाले, नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी को कोसने वाले, बिहार के भविष्य के नेता कहे जाने वाले, तेज-तर्रार तेजस्वी अचानक गुम क्यों हो गए हैं?
क्या बड़बोलेपन के शिकार हो गए तेजस्वी?
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने बड़बोलेपन के कारण हुई फजीहत से अपना मुंह छिपाए बैठे हैं. दरअसल, पूरे चुनाव के दौरान जिस तरह से उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 'पलटू चाचा' और 'चाचा 420' जैसी बातों से संबोधित किया. लोकसभा चुनाव नतीजों में जनता ने जिस अंदाज में महागठबंधन को मुंह की दिखाई, इससे तेजस्वी यादव परेशान हैं. वो मीडिया और लोगों के सामने आने से लगातार बच रहे हैं. जबकि चुनाव खत्म होने के बाद 29 मई को हुई महागठबंधन की बैठक का कांग्रेस ने जिस अंदाज में बॉयकॉट किया, यह भी तेजस्वी के गुम होने का एक बड़ा कारण है.
दरअसल, कांग्रेस ने परोक्ष रूप से ही सही तेजस्वी यादव को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा दिया है. इसके पीछे कारण ये है कि राहुल गांधी ने कई बार कहा था कि बिहार में पार्टी तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रही है. लेकिन चुनाव नतीजों ने तेजस्वी के नेतृत्व क्षमता की पोल खोल दी. वहीं, 31 मई को हार की समीक्षा के लिए बुलाई गई हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) की बैठक में पार्टी के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता मानने से इनकार कर दिया था.
लालू परिवार के भीतर मचा है घमासान
लालू यादव की गैर-मौजूदगी में जिस तरह से तेजस्वी यादव ने पार्टी की कमान संभाली, इससे परिवार के भीतर ही घमासान मच गया. मीसा भारती को पाटलिपुत्र संसदीय सीट से चुनाव लड़ने या न लड़ने को लेकर जिस तरह की बहसबाजी हुई. तेजस्वी अपनी बड़ी बहन और बड़े भाई को अनुशासन का पाठ पढ़ाने लगे, यह भी एक बड़ा कारण है. दरअसल जिस तरह से पार्टी की करारी हार हुई इसके एकमात्र जिम्मेदार अब तेजस्वी ही माने जा रहे हैं.
तेजप्रताप की उपेक्षा तेजस्वी पर पड़ी भारी
28 मार्च को न्यूज़18 से बात करते हुए तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप ने कहा था कि वो सिर्फ उन्हें सुझाव देने की हैसियत रखते हैं न कि कोई निर्णायक भूमिका की. उन्होंने पार्टी में हो रही अपनी उपेक्षा की पीड़ा जाहिर कर दी थी. लेकिन चुनाव नतीजों के बाद उन्होंने छात्र राजद का चुनाव करवाकर अपनी सक्रियता के सबूत दे दिए हैं. अब जबकि तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन की करारी शिकस्त हुई है, ऐसे में तेजप्रताप की उपेक्षा करना तेजस्वी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.
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FIRST PUBLISHED : June 19, 2019, 13:58 IST