जमुई में दिव्यांग युवक जागेश्वर मांझी बना मूर्तिकार.
जमुई. इंसान भले ही अपने शरीर के किसी अंग से लाचार हो, लेकिन उसमें अगर कुछ कर गुजरने की हिम्मत और साहस हो तो वह पहचान बना ही लेता है. कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश कर रहा है जमुई जिले के सिकंदरा इलाके के एक महादलित टोले का रहने वाला जागेश्वर मांझी (Jageshwar Manjhi). यह युवा 2 साल की उम्र में ही अपने दोनों पैर गंवा चुका था, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी. परिवार चलाने के लिए पहले उसने साइकिल और बाइक के टायर का पंक्चर बनाने का काम किया और अब मूर्तिकार (Sculptor) के रूप में अपनी पहचान बना रहा है.
जागेश्वर मांझी ने पेश की मिसाल
जमुई जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर सिकंदरा इलाके का रहने वाला जागेश्वर मांझी अपने हुनर के साथ मां सरस्वती की प्रतिमा बना रहा है. मांझी का मानना है कि अगर वह प्रतिमा बना लेता है और वह बिक जाती है तो उसे कुछ पैसे मिल जाएंगे, जिससे वह अपनी मानसिक रूप से बीमार पत्नी का इलाज करा पाएगा. साथ ही जिंदगी जीने में भी कुछ सहूलियत हो जाएगी.
आपको बता दें कि सिकंदरा इलाके के सबलबीघा पंचायत के महादलित टोले का रहने वाला 24 वर्षीय युवक जागेश्वर मांझी बचपन से ही अपने दोनों पैर से लाचार है. जब वह दो साल का था तब पोलिया के इलाज के अभाव की वजह से दोनों पर बेजान जो गए थे. गरीबी और अपनी दिव्यांगता के बाद भी मांझी ने कभी हिम्मत नहीं हारी और बढ़ती उम्र के साथ परिवार चलाने की जिम्मेदारी ने साहसी बना दिया. पहले वह सड़क किनारे दुकान खोल कर साइकिल और बाइक के पंक्चर बनाता था, लेकिन अब मूर्ति बनाने का काम भी करता है.
ट्रेनिंग के बाद जगी उम्मीद
मूर्ति बनाने की 2 महीने की ट्रेनिंग के बाद मांझी अब तक छह से अधिक मां सरस्वती की प्रतिमा बना चुका है. दोनों पैर से लाचार होने के बाद भी जागेश्वर ने कभी भीख मांगना पसंद नहीं किया. जबकि गरीब परिवार से होने के बाद भी उसे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है. मांझी ने कहा है कि अगर वह भीख मांगता तो लोग उसे ताने देते, फिर सोचा मैं खुद क्यों न कुछ करूं और फिर कुछ दिन मजदूरी की. इसके बाद पहले साइकिल और बाइक का पंक्चर बनाता था और मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण लेकर मूर्ति बना रहा हूं. इस साल सरस्वती पूजा को लेकर जो मूर्तियां बना रहा हूं उसमें से आधे की बुकिंग हो चुकी है. मैं दोनों पैर से दिव्यांग हूं दिमाग से नहीं.
ऐसा है मांझी परिवार
जगेश्वर मांझी के माता-पिता दूसरे महानगर में मजदूरी करते हैं और वह अपने टोले में मिट्टी के घर में रहकर संघर्ष कर रहा है. गांव के दिनेश पांडेय का कहना है कि दोनों पैर से दिव्यांग होने के बाद भी बांसुरी बजाने से लेकर खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए टायर पंक्चर ठीक करने की दुकान चलाने के साथ-साथ अब मूर्तिकार के रूप में भी इसकी पहचान होने लगी है. पूरे इलाके में इसकी चर्चा है.
ये भी पढ़ें-बिहार चुनाव: 2020 के लिए कांग्रेस ने बनाया नया प्लान, BJP-जेडीयू ने ली चुटकी
22 साल पहले 1500 होमगार्ड जवानों ने की थी ड्यूटी, अब होगा भुगतान
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Bihar News, Bihar police, Jamui S04p40, Nitish kumar