रिपोर्ट- आलोक कुमार पाठक
कैमूर. जिले में इन दिनों फसलों की बर्बादी से किसान परेशान हैं. नीलगायों के आतंक से किसान काफी परेशान हैं. हर सीजन में फसलों की बर्बादी होते हुए किसान अपनी आखों से देखते रहते हैं. फसल चाहे रबी की हो या चाहे खरीफ की, नीलगायों के झुंड कुछ खाकर तो कुछ पैरों तले रौंदकर बर्बाद कर रहा है.किसान इन्हें भगाकर थक गए हैं. एक खेत से भगाओ दूसरे खेत में पहुंच जाते हैं. किसानों का आधा समय तो फसलों की रखवाली में निकल जाता है.
खेतों में लगे फसल को नीलगाय कर रही हैं बर्बाद
भगवानपुर और भभुआ प्रखंड के दर्जनों गांवों के किसानों की यह समस्या है. अभी गेहूं, सरसों और मटर के खेतों में नीलगाय खूब पहुंच रही हैं. झुंड के झुंड खेतों में पहुंचकर नीलगाय फसलों को बर्बाद कर रही हैं. महुअत पंचायत के पियां, चौखड़ा, मदनपुरा, पोखरा, सेमरिया समेत कई गांव हैं, जहां नीलगाय खेतों में दौड़ लगाते हुए दिख जायेगी. भगाने पर ये सरसों के खेतों में छिप भी जाती हैं. किसानों के पास इन्हें अपने खेतों से भागने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है. किसानों ने इसके लिए कही कोई आवेदन या शिकायत भी नहीं दी है, लेकिन अपने दर्द को बयां जरूर करते हैं.
किसानों की फसल बर्बादी की नहीं हो रही क्षतिपूर्ति
इस संबंध में जब चौखड़ा गांव के किसान राजनाथ पाठक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि10 से 20 की झुंड में नीलगाय खेतों में पहुंचती हैं. भागने पर कभी इस खेत में तो कभी उस खेत में दौड़ लगाती है. राजनाथ ने बताया कि इस समय नीलगाय ज्यादा टमाटर और मटर के लिए आ रही है. खाने से ज्यादा पैरों से रौंदकर फसल को बर्बाद कर रही है. सरसों के खेत तो इन सब का छिपने की जगह है. उसी में बैठी रहती है. उन्होंने बताया की नीलगायों से पूरा इलाका प्रभावित है. पिछले पांच वर्षों से इधर इनका कुछ ज्यादा ही विचरण हो गया है. फसल की बर्बादी की क्षतिपूर्ति पर बताया कि भगवान भरोसे इसे छोड़ दिए हैं.
बांस और कटीले तार की मदद से फसल बचाने की हो रही कोशिश
पीयां गांव के किसान राम निवास सिंह से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने बताया की खेतों में लगे फसल को नीलगायों से बचाने के लिए हमलोग खेतों में बांस गाड़कर कटीले तारों से घेरते रहते हैं. फसल नुकसान की भरपाई कहीं से नहीं हो पाती है. इसे किसान को ही सहना पड़ता है. उन्होंने कहा कि नीलगायों से इलाके के किसानबहुत ज्यादा परेशान हैं.
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