आशीष सिन्हा
किशनगंज. बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून सक्रिय हो चुका है. इसके चलते प्रदेश के सीमाई जिलों में तेज बारिश हो रही है. पड़ोसी देश नेपाल के तराई के इलाकों में भी लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है. इससे स्थानीय नदियां उफान पर हैं. पिछले कुछ दिनों में नदियों के जलस्तर में कमी देखी गई है, लेकिन जमीन के कटाव की रफ्तार काफी तेज हो गई है. इसके कारण कई मकान, खेत, बिजली के खंभे आदि नदी में समा चुके हैं. अब लाखों लोगों के लिए लाइफलाइन रामपुर पुल और सीमा सड़क के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है. ऐसे में मौजूदा हालात को देखते हुए अंचलाधिकारी ने कलेक्टर को पत्र लिखकर परिस्थितियों से अवगत कराया है. अंचलाधिकारी ने बताया कि जल्द ही पथ निर्माण एवं पुल निगम द्वारा काम शुरू कर दिया जाएगा.
जानकारी के अनुसार, किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र से बहने वाली नदियों के जलस्तर में कमी तो आई है, पर नदी द्वारा कटाव की रफ्तार तेज हो गई है. कटाव की रफ्तार तेज होने से रामपुर पुल एवं सीमा सड़क का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. ये कभी भी नदी के गर्भ में समा सकते हैं. रामपुर पुल क्षेत्र वासियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. रामपुर पुल प्रखंड मुख्यालय, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, पटना एवं अन्य जगहों के आवागमन के लिए मुख्य मार्ग है. यदि इस पुल के लिए खतरा पैदा होता है तो इससे लाखों की आबादी प्रभावत होगी. लोगों के आवश्यक कार्य ठप पड़ने की आशंका बढ़ने लगी है. यह पुल प्रखंड वासियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. रामपुर पुल को नुकसान पहुंचने की स्थिति में लोग पहले की स्थिति में पहुंच जाएंगे.
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आवश्यक वस्तुओं के लाने-ले जाने के लिए महत्वपूर्ण
रामपुर पुल द्वारा प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न स्थानों के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की जाती है. खाद्य सामग्री, दवाएं, शिक्षा सामग्री आदि इसी मार्ग के जरिये लोगों तक पहुंचाई जाती हैं. पुल को नुकसान पहुंचने से प्रखंड में विकास कार्य के बाधित होने की आशंका है. इससे लोगों की समस्याएं बढ़ सकती हैं.
नदी किनारे बसे लोगों की बढ़ी परेशानी
कटाव के कारण नदी किनारे बसे लोगों के घर, खेत और बिजली के खंभे नदी के गर्भ में समा रहे हैं. ऐसे में आमजन दोगुनी मार झेलने को मजबुर हैं. लोगों का आरोप है कि अभी तक प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं पहुंचाई गई है और न ही कोई ठोस कदम उठाया गया है. फुलवरिया निवासी तारकेश्वर तिवारी ने बताया कि उनका खेत भी नदी के कटाव की भेंट चढ़ रहा है. साथ ही यह भी बताया है कि बाढ़ की समस्या से निपटने पर चर्चा तो होती है, लेकिन उससे निपटने के लिए सार्थक पहल नहीं की जाती है.
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