किशनगंज में बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक के बाद तेज हुई सियासी गहमागहमी
किशनगंज में दो दिवसीय भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के बाद सीमांचल में कई तरह की चर्चा शुरु हो गई है. इस मामले पर अल्पसंख्यक नेताओं की प्रतिक्रियाएं लगातार आ रही हैं और वे इसे बेजा राजनीति और हिन्दू मतों को राजनीतिक रूप से एकजुट करने की सियासी चाल बता रहे हैं.
- ETV Bihar/Jharkhand
- Last Updated: May 5, 2017, 10:03 AM IST
किशनगंज में दो दिवसीय भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के बाद सीमांचल में कई तरह की चर्चा शुरु हो गई है. इस मामले पर अल्पसंख्यक नेताओं की प्रतिक्रियाएं लगातार आ रही हैं और वे इसे बेजा राजनीति और हिन्दू मतों को राजनीतिक रूप से एकजुट करने की सियासी चाल बता रहे हैं.
माले ने भी राजद और जदयू के अल्पसंख्यक नेताओं की तरह ही किशनगंज में हुई बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी को अपने हिसाब से जरुरी मुद्दों से भटकाने की राजनीति करार दिया है. जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्णिया के पूर्व जदयू जिलाध्यक्ष महमूद अशरफ ने कहा कि इस तरह की बैठकों और कार्यक्रमों से मुसलमान डरने वाले नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि मुसलमान अब न तो मंदिर-मस्जिद के झमेले में फंसना चाहते हैं और ना ही किसी के बहकावे में आने वाले हैं. उनके मुताबिक 'मुसलमानों को अब तालीम और विकास चाहिए. आजतक सभी दलों के नेताओं ने मुसलमानों को ठगने का काम किया है. अब जो इनके बारे में सोचेंगे मुसलमान उन्हीं के तरफ जाएंगे.'
वहीं इस कार्यक्रम के बाद सीमांचल के अल्पसंख्यक नेताओं में भी कई चर्चाएं हैं. 'आपको इस आयोजन के बाद कोई डर तो नहीं लग रहा' जैसे सवाल के जबाव में इन नेताओं ने अपनी बातें सामने रखी हैं.
माले ने भी राजद और जदयू के अल्पसंख्यक नेताओं की तरह ही किशनगंज में हुई बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी को अपने हिसाब से जरुरी मुद्दों से भटकाने की राजनीति करार दिया है. जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्णिया के पूर्व जदयू जिलाध्यक्ष महमूद अशरफ ने कहा कि इस तरह की बैठकों और कार्यक्रमों से मुसलमान डरने वाले नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि मुसलमान अब न तो मंदिर-मस्जिद के झमेले में फंसना चाहते हैं और ना ही किसी के बहकावे में आने वाले हैं. उनके मुताबिक 'मुसलमानों को अब तालीम और विकास चाहिए. आजतक सभी दलों के नेताओं ने मुसलमानों को ठगने का काम किया है. अब जो इनके बारे में सोचेंगे मुसलमान उन्हीं के तरफ जाएंगे.'
वहीं इस कार्यक्रम के बाद सीमांचल के अल्पसंख्यक नेताओं में भी कई चर्चाएं हैं. 'आपको इस आयोजन के बाद कोई डर तो नहीं लग रहा' जैसे सवाल के जबाव में इन नेताओं ने अपनी बातें सामने रखी हैं.