रिपोर्ट – अविनाश सिंह
लखीसराय: आधुनिकता के इस दौर में भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति विलुप्त होती जा रही है, क्योंकि हम नवीनतम चिकित्सा पद्धति को अपनाते जा रहे हैं. इस नवीनतम युग में एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति को सर्वाधिक मान्यता मिली हुई है. इन्हीं प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति में से एक है आयुर्वेद, जिससे आधुनिक विश्व अभी तक पूर्णरूपेण अलग नहीं हो पाया है.
आज के दौर में भी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेदिक सिद्धांतों और अवधारणाओं का उपयोग करना नहीं छोड़ा है. हालांकि भारत सरकार भी इस प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति को अब बढ़ावा दे रही है. आयुष मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा इसके लिए सार्थक प्रयास भी किए जा रहे हैं. इसका असर लखीसराय जिले में भी देखने को मिल रहा है.
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हलसी में इस विधि से इलाज शुरू हो गया है. बता दें कि यह चिकित्सा पद्धति लगभग पांच हजार वर्ष पुरानी है. जिसके द्वारा प्राचीन समय में जटिल से जटिलतम रोगों का सफलता पूर्वक इलाज किया जाता था और लोग इसको स्वस्थ जीवन शैली व्यतीत करने का सर्वोत्तम तरीकों में से एक मानते थे.
आयुर्वेद के साइड इफेक्ट कम
खास बात यह है कि इसके औषधि निर्माण में जड़ी-बूटी, वनस्पति एवं फल-फूल के साथ-साथ हर घर की रसोई में मौजूद रहने वाली कई सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है. यह उपचार सरल और सहज होने के साथ साथ दुष्परिणाम रहित भी है.
सरल शब्दों में कहें तो आयुर्वेद भारतीय आयुर्विज्ञान है. यह विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने के साथ-साथ उसका संबंध आयु वृद्धि से है. भारतीय आयुर्विज्ञान के तीन बड़े नाम जिसमें चरक, सुश्रुत और वाग्भट आज भी अमर हैं. चरक ऋषि का चरक संहिता, सुश्रुत ऋषि का सुश्रुतसंहिता और वाग्भट ऋषि का अष्टांगसंग्रह आयुर्विज्ञान का आज भी मानक ग्रंथ है.
अब सरकारी अस्पताल में आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ उठा सकेंगे मरीज
लखीसराय जिले के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र हलसी में आयुर्वेदिक चिकित्सा की शुरुआत की गई है. अब यहां मरीज मुफ्त में एलोपैथिक चिकित्सा के साथ-साथ जरूरत या फिर सुविधा अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सा का लाभ उठा सकेंगे. यहां इसके लिए डॉ. उदय कुमार मौजूद हैं, जो मरीजों को मुख्यतः पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से इलाज मुहैया करवाते हैं.
डॉ. उदय कुमार बताते हैं कि पंचकर्म एक विशेष चिकित्सा पद्धति है जो शरीर के दोषों को बाहर निकाल कर रोगों को जड़ से समाप्त कर देता है. यह शरीर शोधन की प्रक्रिया है, जो रोग से ग्रस्त लोगों के साथ साथ स्वस्थ मनुष्य के लिए भी काफी फायदेमंद है.
आयुर्वेद से इलाज में पांच कर्मों की प्रक्रिया अपनाई जाती है
डॉ. उदय कुमार ने बताया कि आयुर्वेद पद्धति से इलाज में मुख्य रूप सेपांच कर्मो की प्रक्रिया अपनाई जाती है. जिसमें द्वारा वमन, विरेचन, अनुवासन, आस्थापन और नस्य शामिल है. इसके द्वारा वात, पित और कफ को सामान्य अवस्था में वापस लाया जाता है और शरीर से इन्हें बाहर किया जाता है. इसके द्वारा गठिया, लकवा, पेट से जुड़े रोग, साइनस, माइग्रेन साइटिका, जोड़ों के दर्द और आंख आदि के रोगियों को भरपूर लाभ मिलता है.
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