नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की होगी पूजा-अर्चना
रिपोर्ट – अविनाश सिंह
लखीसराय : माता दुर्गा के प्रथम स्वरूप को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. माता शैलपुत्री पर्वत राज हिमालय की पुत्री हैं. पर्वतराज हिमालय के घर पैदा होने के करण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. साधक इनकी आराधना कर मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं.
शैलपुत्री अत्यंत कोमल हृदय की और दयालु स्वभाव की मानी जाती हैं. इसलिए साधक इनकी साधना करते हैं और इनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इनकी आराधना के लिए नवरात्रि के प्रथम दिन ब्रह्ममुहुर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और फिर माता के आसान वाले स्थान को गंगा जल से शुद्ध करें.
इसके बाद आसान पर लाल कपड़ा बिछाकर माता का फोटो या मूर्ति रखें. अब साफ सुथरी और पवित्र जगह मिट्टी को वृताकार में रखें ध्यान रहे की मिट्टी उतना जरूर डालना है जिसमें जौ का बीज अंकुरित हो जाए उसके बाद बीच में मिट्टी या पीतल के कलश को रखें अगर संभव हो तो आप स्वर्ण कलश भी रख सकते हैं.
मां शैलपुत्री की षोडशोपचार विधि से की जाती है पूजा
पूरे विधि-विधान और सावधानी से कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री का ध्यान करते हुए नौ दिन व्रत का संकल्प लें. तत्पश्चात प्रथम पूज्य गणपति का आह्वान करें. आपको बता दें कि मां शैलपुत्री का पूजा षोडशोपचार विधि से की जाती है. जिसमें सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का भी आह्वन किया जाता है. अब आपको माता के श्री चरणों में कुमकुम अर्पित करना है और अक्षत चढ़ना है.
इस पूजा में माता को सफेद फूल अर्पित किए जाते हैं अगर आपको सफेद फूल उपलब्ध नहीं हो पता है तो वैसी स्थिति में पीले या लाल फूल भी अर्पित कर सकते हैं. इतने के बाद धूप दीप आदि दें और इसके बाद अब बारी आती है माता को भोग लगाने की यूं तो अमूमन माता शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाया जाता है.
इसका भोग लगाने से माता होती है अति प्रसन्न
ऐसी मान्यताएं हैं कि माता को गाय के घी का भोग लगाने से आरोग्य लाभ की प्राप्ति होती है. लेकिन इस दिन आप माता को एक विशेष भोग भी लगा सकते हैं जिससे माता अति प्रसन्न होती हैं और सदैव आपके साथ-साथ आपके पूरे परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है. इसके लिए पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद साधक को डंठल वाले पान के पत्ते में लौंग और इलायची रख कर माता को अर्पित करना होता है. यह माता के पसंदीदा भोगों में से एक है.
माता के पूजा के दौरान आपके काम आने वाले कुछ मंत्र
मां शैलपुत्री को ध्यान करने के लिए करें इस मंत्र का जप करें “वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।। पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥” आपको बता दें कि इस मंत्र का कम से कम 11 बार जप करना चाहिए.
मनोकामना पूर्ति के लिए साधक हाथ में उजला पुष्प लेकर “ॐ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:” का कम से कम 108 बार जाप करनी चाहिए. जिसके बाद हांथ का पुष्प मां के चरणों में अर्पित कर दें . वहीं धन धान्य और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए आप इसी विधि से इस मंत्र का जाप कर सकते हैं “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।”
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