रिपोर्ट- राजाराम मंडल
मधुबनी. मिथिला पेंटिंग का दौर बहुत समय से चला आ रहा है, लेकिन क्या खास बात है इस पेंटिंग की जो इंटरनेशनल स्तर पर भी लोगों को पसंद आ रहा है. इस पेंटिंग की सबसे खास बात यह है कि इसे बिहार के मिथिलांचल में बनाया जाता है. मिथिला पेंटिंग भारतीय चित्रकला की एक शैली है, जो अपने आप में एक अनोखे राज को दर्शाता है. इस पेंटिंग को बनाने में उंगलियों, टहनियों, ब्रश, नीब-पेन, माचिस की तीली और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है.
भारतीय संस्कृति को बढ़ाने की कवायद
जैसा कि आप सब जानते हैं कि नाम, पहचान और दाम नहीं मिलने के कारण पिछले कुछ वर्ष तक भारत की कई संस्कृति और कला लुप्त होती जा रही थी. सोशल मीडिया के जमाने में पुरानी कलाओं से जैसे-जैसे देश-विदेश के लोग रूबरू हो रहे हैं, इन कलाओं के कद्रदान होते चले जा रहे हैं.
यही कारण है कि कुछ ऐसे लोग अभी भी हैं, जो अपने राज्य और देश की संस्कृति को बचाने में लगे हुए है. ऐसा ही कुछ हाल रामबाबू यादव का भी है. वे कहते हैं कि हमें अपनी संस्कृति को बचा कर रखना चाहिए, जिससे लोगों में संस्कृति को लेकर प्रेरणा जागृत होते रहे. साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोग एक बार फिर अपनी संस्कृति एव लुप्त हुए कलाओं को सीखना शुरू कर सकें.
एक लाख तक की है पेंटिंग
रामबाबू यादव मिथिला पेंटिग से अच्छी कमाई कर लेते हैं. वे बताते हैं कि लगभग 10 वर्षों से इस काम को कर रहे हैं. अपनी कला के माध्यम से अनोखी डिजाइन वाली पेंटिंग लोगों तक पहुंचा रहे हैं. फिलहाल रामबाबू के पास लगभग 3000 डिजाइन के पेंटिंग हैं. सभी की कीमत अलग-अलग है. सबसे कम कीमत की पेंटिंग 100 रुपए की और सबसे महंगी पेंटिंग एक लाख रुपए की है. रामबाबू को इस बात से खुशी मिलती है कि वे अपनी कला के जरिए अपने राज्य की शान मिथिला पेंटिंग को आगे बढ़ा रहे हैं. रोजगार के लिए भी उन्हें दूसरे राज्यों का रूख नहीं करना पड़ता है.
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