होम /न्यूज /बिहार /गांधी जयंती विशेष: पंडित राजकुमार शुक्ला के बुलावे पर चम्पारण पहुंचे मोहनदास और बापू कहलाए!

गांधी जयंती विशेष: पंडित राजकुमार शुक्ला के बुलावे पर चम्पारण पहुंचे मोहनदास और बापू कहलाए!

चम्पारण में नील की खेती के खिलाफ आंदोलन ने महात्मा गांधी को एक नई दिशा दिखाई.

चम्पारण में नील की खेती के खिलाफ आंदोलन ने महात्मा गांधी को एक नई दिशा दिखाई.

Gandhi Jayanti Special: चम्पारण नील की खेती के लिए प्रसिद्ध रहा था. किसानों पर तीनकठिया प्रथा लागू कर अंग्रेज जबरन नील ...अधिक पढ़ें

मोतिहारी. नील के खेती के लिए अंग्रेजी सत्ता चम्पारण की जमीन को उपयुक्त मानती थी. जिस कारण यहां कि किसानों से जबरन नील की खेती कराकर बडा मुनाफा अंग्रेज कमाते थे. अथिक मुनाफे की लालच में अंग्रेज किसानों पर जुल्म करते थे. दरअसल, उस समय यूरोपीय देशों में नील की बडी मांग थी. चम्पारण की भूमि नील उत्पादन के लिए उपयुक्त थी और मुफ्त में मेहनती किसानों मिल रहे थे. जिस कारण अंग्रेजी सत्ता ने किसानों का दोहन शुरू किया और नील की खेती को बढाने के लिए तरह तरह के कानून को लागू कर शोषण करना शुरू किया.  पहले तो चम्पारण में तीनकठिया कानून लागू किया गया. इस कानून मे किसानों को एक बीघा जमीन में से तीन कट्ठा जमीन में नील की खेती करना अनिवार्य कर दिया गया.

नील की उपज होने से एक दो फसल के बाद जमीन बंजर हो जाती थी, जिससे किसान नील के खेती करना नहीं चाहते थे. चम्पारण के किसानों के उत्पादन नील के बीज की पेराई का काम घोडासहन प्रखंड के भेलवा कोठी में किया जाता था. यहां किसान कंधे के सहारे पत्थर के बने बडे रोलर को बीज पर चलाते थे. बीज से निकलने वाले रस को जमाकर सुखाया जाता और फिर उसकी टिकिया बनाकर घोडासहन से ट्रेन के माध्यम से निर्यात किया जाता था.

नील के खेत हो जाते बंजर
भेलवा के पूर्व मुखिया जयप्रकाश सिंह उर्फ चुन्नु सिंह कहते हैं कि उऩके दादा अंग्रेजों के शोषण के शिकार होने वाले किसानों में से एक थे, वे बताते थे कि अंग्रेज किसानों से जबरन नील की खेती कराते और खेती नहीं करने वाले किसानों को तरह तरह की यातनाएं दी जाती थीं, जबकि नील की खेती करने से खेत बंजर हो जाते.

जमीन नीलाम कर देते अंग्रेज
इस प्रकार एक बीघा जमीन में तीन कट्ठा में नील की खेती होने से खेत बंजर होने के बाद किसान अंग्रेजों की यातना से बचने के लिए दूसरे तीन कट्ठा जमीन में नील की खेती करते और इस प्रकार पूरा खेत बंजर हो जाता. तब नील की खेती नहीं करने और लगान के रुप में नील नहीं मिलने पर अंग्रेजी हुकूमत जमीन की नीलाम कर देती.

फिर हुई चम्पारण सत्याग्रह की शुरुआत
महात्मा गांधी सेवा समिति भेलवा के सचिव डॉ सुरेश प्रसाद सिंह बताते हैंं कि अंग्रेज किसानों पर जुल्म करते थे, जिस कारण किसानों ने एकजुट होकर महात्मा गांधी को बुलाया था. महात्मा गांधी ने किसानों के साथ बैठक की और फिर निलहे गोरों के खिलाफ अवज्ञा आन्दोलन और फिर चम्पारण सत्याग्रह के नाम से आन्दोलन शुरू किया.

देश की आजादी का पहला आंदोलन
कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में चम्पारण के किसानों का प्रतिनिधि मंडल पं. राजकुमार शुक्ला के नेतृत्व में महात्मा गांधी से मिला. जहां किसानों ने अंग्रेजों के जुल्म की गाथा को उन्हें सुनायी और महात्मा गांधी को चम्पारण आऩे का न्योता दिया था. किसानों के बुलावे पर महात्मा गांधी 11 अप्रैल 1917 को मोतिहारी पहूुंचे और किसानों के साथ बैठक कर चम्पारण सत्याग्रह को शुरू किया था. यह देश की आजादी का पहला आन्दोलन साबित हुआ.

महात्मा गांधी के नेतृत्व से मिली ऊर्जा
चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह के अध्यक्ष प्रो. चन्द्रभूषण पाण्डेय बताते हैं कि नील की खेती से जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म होती जाती थी, जिससे किसान नील की खेती नहीं करना चाहते थे. खेती नहीं करने पर अंग्रेस उन्हें तरह-तरह की यातनाएं देते. यातना से परेशान किसान एकजुट हुए और महात्मा गांधी का नेतृत्व मिलते ही आन्दोलन को शुरू किया था.

पंडित राजकुमार शुक्ला के बुलावे पर पहुंचे चम्पारण
कहा जाता है कि गांधी जी को बापू नाम बिहार के चम्पारण जिले  के रहने वाले गुमनाम किसान से मिला था. दरअसल राजकुमार शुक्ला ने गांधी जी को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी ने ही उन्हें को चम्पारण  आने पर विवश कर दिया था. उस गुमनाम किसान को आज दुनिया राजकुमार शुक्ल के नाम से जानती है. बता दें कि बिहार के चंपारण जिले में गांधी जी ने निलहा अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों पर किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी.

चम्पारण की धरती से मिला बापू का उपनाम
जानकारों के अनुसार सही मायनों में अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ बापू के आंदोलन की शुरुआत चम्पारण से ही हुई थी. गांधी जी जब चम्पारण पहुंचे तो यहां एक कमरे वाले रेलवे स्टेशन पर अपना कदम रखा उस वक्त किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि इस धरती से मिलने वाला प्यार उन्हे देशभर में बापू के नाम से मशहूर बना देगा.

Tags: Champaran news, East champaran, Gandhi Jayanti, Mahatma Gandhi news, Maneka Gandhi, Motihari news

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें