रिपोर्ट- सिद्धांत राज
मुंगेर. सरकार लोगों को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं चल रही रही है. लेकिन जरूरतमंदों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. खासकर समाज के अंतिम पायदान पर बैठे लोगों तक योजना का लाभ पहुंचाने में न तो जनप्रतिनिधि दिलचस्पी ले रहे हैं और न ही अधिकारी इसमें कोई मदद कर रहे है. जिस कारण उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है और कठिनाइयों से अपना जीवन यापन करना पड़ता है. कमोबेश यही स्थिति मुंगेर जिले के तारापुर अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत पढभारा पंचायत के वार्ड नंबर चार की है. इस महादलित टोले में महत्वाकांक्षी योजना जैसे नल-जल, गली-नली और आवास योजना का भी सही रूप से लाभ नहीं मिल रहा है. यहां 40 से अधिक परिवार के लोग रहते हैं. जिनकी सामूहिक रूप से शिकायत है कि कोई ध्यान देने वाला नहीं है.
एक महीने के अंदर ही टूट कर बिखरने लगी सड़क
इस गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए सात निश्चय योजना से सड़क तो बनी, लेकिन गुणवत्ता का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा गया. सड़क बनने के कुछ ही दिन बाद ही गली-नाली वाली सड़क लगभग टूट चुकी है और जगह-जगह रास्ते में ही नाले के स्लैब टूट चुके हैं. साथ हीं खतरनाक गड्ढे उभर आए हैं. इस टोले में वास करने वाले लोगों के साथ-साथ छोटे बच्चे और बुजुर्गों के साथ कई बार दुर्घटना हो चुकी है. इसके बावजूद मुखिया से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं.
गांव में नहीं हैं सामुदायिक भवन और विद्यालय
महादलित टोला में रहने वाले विनोद रविदास, शंकर रविदास, खुसाली देवी, कैलास रविदास, रुको देवी सहित अन्य ने बताया कि एक भी विकास का काम ढंग से नहीं हुआ है. सरकार बोलती है कि सभी योजना का लाभ मिल रहा है. लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं है. यहां के लोगों को किसी भी योजना का लाभ सही रूप से नहीं मिल रहा है. इस टोले में किसी भी घर में नल जल का पानी नहीं आता है. सड़क भी टूटी हुई है, जिससे चलने में दिक्कत होती है. आगे उन्होंने बताया कि गांव में यदि अपने बेटे-बेटियों की शादी करनी होती है, तो बारात के ठहरने के लिए लिए सामुदायिक भवन भी नहीं है. बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल तक नहीं है. गांव में सामुदायिक शौचालय बनाया गया, लेकिन न उसमें पानी की व्यवस्था है और न ही किसी तरह की अन्य व्यवस्था. संसाधन के अभाव में बेकार हीं पड़ी है.
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