रिपोर्ट: अभिषेक रंजन
मुजफ्फरपुर: अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण कार्य प्रगति पर है. प्रभु श्रीराम की प्रतिमा निर्माण के लिए नेपाल के गंडकी नदी से शालिग्राम पत्थर अयोध्या ले जाया जा रहा है. जटही बॉर्डर से शुरू होकर यह यात्रा मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और गोपालगंज जिला होकर मंगलवार को आगे बढ़ी. मुजफ्फरपुर में कांटी स्थित छिन्न मस्तिका मंदिर में यह जत्था रुका था. मंगलवार को जब यह जत्था निकला, तो रामलला के भक्त सड़क के दोनों किनारे पर खड़े होकर जयघोष कर रहे थे.
मुजफ्फरपुर में यात्रा देखने आए श्रद्धालु विनोद ठाकुर ने बताया कि शालिग्राम भगवान का इतना बड़ा स्वरूप पहली बार देखा. विनोद ठाकुर आगे बताते हैं कि भगवान शालिग्राम हमारे लिए सदैव से पूजनीय रहे हैं. यह पवित्र पत्थर भगवान श्रीराम की मूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इसके दर्शन कर अयोध्या में विराजमान भगवान श्रीराम के दर्शन जितना सौभाग्य प्राप्त होने की अनुभूति हुई है. यात्रा को देखने उमड़े लोग पवित्र पत्थर को छूने के लिए सड़कों पर दौड़ लगा रहे थे. विशालकाय शालिग्राम पत्थर पर लोग पुष्प की वर्षा कर रहे थे.
शालिग्राम रूप में होती है भगवान विष्णु की उपासना
मिली जानकारी के अनुसार, जनवरी 2024 में जब प्रभु श्रीराम गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे, तब पूरी दुनिया से राम भक्त अयोध्या अपने आराध्य के दर्शन पूजन के लिए आएंगे. संभावना जताई जा रही है कि इसी शालिग्राम पत्थर से रामलला की प्रतिमा बनवाई जाएगी. मान्यता है कि भगवान विष्णु की उपासना शालिग्राम के रूप में की जाती है. शालिग्राम पत्थर नेपाल के गंडकी तट पर पाए जाते हैं. बताया जाता है कि 33 प्रकार के शालिग्राम पत्थर होते हैं, जिसमें 24 प्रकार के पत्थर की पूजा भगवान विष्णु के अवतार के रूप में की जाती है.
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