अयोध्या में मारे गए कार सेवक संजय कुमार का परिवार
मुजफ्फरपुर. शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या विवाद में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया. देश की शीर्ष अदालत जिस पर सभी की निगाहें टिकी थी ने विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी. इस फैसले के साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी मस्जिद के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन देने को कहा है. शनिवार को आए इस फैसले का इंतजार देशवासियों के साथ ही मुजफ्फरपुर का एक परिवार को भी पिछले 29 सालों से था.
अयोध्या में रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए जान देने वाले मुजफ्फरपुर के परिवार ने संतोष जताया है. 29 साल पहले कार सेवक के तौर पर मुजफ्फरपुर के संजय कुमार की गोली लगने से अयोध्या में मौत हो गई थी. बिहार से अयोध्या में कार सेवा में गये एकमात्र संजय कुमार की ही मौत गोली लगने से हुई थी. सु्प्रीम कोर्ट का अहम फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए जान देने वाले संजय कुमार की बेटी और उनके साथ कार सेवा में अयोध्या गये सहयोगियों ने इसे एतिहासिक क्षण बताया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के इस एैतिहासिक फैसले को देश के हर नागरिक को दिल से स्वीकार करने की अपील की
कौन थे संजय कुमार
संजय कुमार की मौत रामजन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण के लिए बतौर कारसवेक अयोध्या में गोली लगने से मौत हुई थी. मुजफ्फरपुर के कांटी थाना क्षेत्र के साईन गांव के रहने वाले युवा संजय कुमार अपने दोस्तों के साथ विश्व हिन्दू परिषद के आह्वान पर कार सेवक के तौर पर अयोध्या गये थे. पहली बार 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद परिसर में कारसेवकों का जत्था सांकेतिक तौर पर शांतिपूर्ण ढंग से पहुंचा था. उस दिन संजय कुमार मुजफ्फरपुर से साथ गये अपने सहयोगियों के साथ आन्दोलन में काफी सक्रिय था लेकिन 2 नवंबर को जब विश्व हिन्दू परिषद का आन्दोलन तेज हुआ था पुलिस द्वारा चलाई गई गोली से संजय कुमार की मौत हो गई थी.
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