ब्रजेश ठाकुर (संरक्षक)- इसे आजीवन कारावास और 20 लाख का जुर्माना की सजा सुनाई गई थी.
आरोप- बालिका गृह कांड मामले का मुख्य आरोपी यही था और 6 से अधिक लड़कियों ने इस पर दुष्कर्म करने का आरोप लगा था. बालिका गृह की लड़कियों का यौन शोषण कराता था. यह बड़े अधिकारियों तक लड़कियों को पहुंचाता था. मुजफ्फरपुर और पटना में ब्रजेश ने अड्डे बना रखे थे जहां बालिका गृह की लड़कियों को भेजता था. विरोध करने वाली लड़कियों की पिटाई भी करता था.
रवि रौशन (निलंबित सीपीओ- बाल संरक्षण पदाधिकारी)- इसे आजीवन कारावास और 1.5 लाख जुर्माना की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: रवि के जिम्मे किशोरियों की सुरक्षा थी. वह बालिका गृह की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करता था. इसके साथ ही बच्चियों को छोटे कपड़े में अश्लील गानों पर डांस करने के लिए मजबूर करता था.
विकास कुमार (सीडब्लूसी - बाल कल्याण समिति सदस्य)- इसे आजीवन कारावास और 14 लाख जुर्माना की सजा सुनाई गई.
आरोप: हर मंगलवार को विकास और उसके साथ बालिका गृह में पहुंचने वाले लोग किशोरियों का यौन शोषण करते थे. यह नियमित था. मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि मंगलवार को सुबह से ही कुछ किशोरियां डरी-सहमी रहती थीं.
दिलीप कुमार (सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष)- इसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) का अध्यक्ष था। लड़कियों ने उसकी पहचान फोटो से की. लड़कियों के साथ दुष्कर्म करता था.
शाइस्ता परवीन उर्फ मधु (ब्रजेश की करीबी)- यह भी ब्रजेश ठाकुर के कुकृत्यों में बराबर की साझीदार थी. इसे भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: ब्रजेश ठाकुर की राजदार है. ब्रजेश के ज्यादातर एनजीओ का संचालन पर्दे के पीछे से शाइस्ता परवीन उर्फ मधु ही करती थी. वह एनजीओ सेवा संकल्प और विकास समिति के प्रबंधन से जुड़ी थी. लड़कियों को गंदे गाने पर डांस करने को मजबूर करती थी. मना करने वाली लड़कियों को सजा के तौर पर नमक रोटी देती थी.
गुड्डू पटेल (रसोईया)- इसे भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: बालिका गृह की बच्चियों के साथ रेप करता था और विरोध करने वाली लड़कियों को पीटता था.
किरण कुमारी (हेल्पर)- इसे भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: विरोध करने वाली बच्चियों को सजा देती थी. वह बच्चियों को भूखा रखती और अन्य कर्मियों के साथ मिलकर मारती-पीटती थी.
रामानुज ठाकुर (गेटकीपर)- इसे भी उम्रकैद की सजा मिली.
आरोप: इस पर भी बच्चियों से रेप करने और विरोध करने पर उनकी पिटाई करने का आरोप था.
मीनू देवी (हाउस मदर)- इसे भी आजीवन कारावास मिला.
आरोप: मुजफ्फरपुर बालिका गृह की हाउस मदर मीनू लड़कियों को नशे की दवा देती थी. वह विरोध करने वाली बच्चियों को पीटती थी.
विजय कुमार तिवारी (ब्रजेश का ड्राइवर)- इसे भी उम्रकैद की सजा दी गई.
आरोप: विजय ब्रजेश ठाकुर का ड्राइवर था. उस पर लड़कियों से दुष्कर्म करने, उनकी पिटाई करने का आरोप है. लड़कियों की सप्लाई में भी शामिल होने का भी आरोप था.
कृष्णा कुमार राम (सफाईकर्मी)- इसे भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: बालिका गृह की बच्चियों के साथ रेप करता था. वह विरोध करने वाली लड़कियों को पीटता था.
नेहा कुमारी (नर्स)- 10 साल की कैद मिली.
आरोप: बालिका गृह की बच्चियों को नशीली दवाएं देकर बेहोश करती थी. कई बच्चियों ने अपने बयान में कहा है कि ब्रजेश के खिलाफ बोलने पर नेहा और स्टाफ के लोग उन्हें मारते-पीटते थे.
हेमा मसीह (प्रोबेशनरी अधिकारी)- 10 साल की कैद मिली.
आरोप: हेमा मसीह बालिका गृह की प्रोबेशन पदाधिकारी थी. बालिका गृह के कागजात मेंटेन करना और अधिकारियों के सामने बालिका गृह की अच्छी छवि पेश करने का जिम्मा हेमा मसीह के पास था. इस पर बालिका गृह में हो रही गतिविधियों को छिपाने का आरोप है.
अश्विनी कुमार (कथित डॉक्टर)- 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: बच्चियां जब दुष्कर्म के कारण दर्द की शिकायत करती थी तो उन्हें दवाइयां देता था. बालिका गृह की लड़कियां इस डॉक्टर से काफी डरी रहती थीं. वह लड़कियों को बेहोश करता था. लड़कियों की बिना कपड़े के जांच करता था.
मंजू देवी (काउंसलर)- 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: मुजफ्फरपुर बालिका गृह की काउंसलर मंजू बालिका गृह के दूसरे कर्मचारियों के साथ मिलकर लड़कियों को दुष्कर्म के लिए तैयार करती थी. वह बच्चियों को नशे की दवा खिलाती थी.
चंदा देवी (हाउस मदर)- 10 साल कैद की सजा मिली.
आरोप: चंदा देवी लड़कियों को दुष्कर्म के लिए बालिक गृह के बाहर भेजती थी. बच्चियों ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए अपने बयान में रवि कुमार रोशन का जिक्र करते हुए कहा है कि चंदा आंटी उन्हें रोशन के पास भेजती थी.
रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर साहब- 10 साल की कैद मिली.
आरोप: यह ब्रजेश के पारिवारिक प्रेस का मैनेजर था। लड़कियों ने उसे गंदा आदमी बताया है. लड़कियों के साथ दुष्कर्म और पिटाई करता था.
इंदू कुमारी (अधीक्षिका)- इसे 3 साल कैद मिली.
आरोप: इंदू कुमारी मुजफ्फरपुर बालिका गृह की अधीक्षिका थी. वह लड़कियों को डराती धमकाती थी. उन्हें जबरदस्ती दुष्कर्म करवाने के लिए तैयार करती थी. विरोध करने पर पिटती थी. बालिका गृह में हो रही दरिंदगी में शामिल थी. ब्रजेश की बड़ी राजदार रही है.
रोजी रानी (तत्कालीन सहायक निदेशक)- इसे महज 6 महीने की कैद मिली थी.
आरोप: बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक थी. लड़कियों ने उसे सारी घटनाओं की जानकारी दी, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया. उस पर आरोपियों का सहयोग करने का आरोप था.
TISS की रिपोर्ट में सामने आया था मामला
बता दें कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस तब प्रकाश में आया था, जब 26 मई 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) ने बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण किए जाने का जिक्र किया गया था.
सीबीआई से जांच की सिफारिश की गई थी
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में किशोरियों के यौन शोषण और हत्या मामले में पहली बार 31 मई 2018 को सामाजिक कल्याण विभाग के सहायक निदेशक ने मुजफ्फरपुर में महिला थाने में एफआईआर कराई थी. 26 जुलाई 2018 को राज्य सरकार ने बालिका गृह कांड की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की.
दो आरोपियों को कोर्ट ने कर दिया था बरी
इसके बाद 27 जुलाई 2018 को सीबीआई ने पटना स्थित थाने में केस दर्ज किया था. इसके चलते अगस्त में सामाजिक कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को पद से इस्तीफा देना पड़ा था. उनके पति ब्रजेश के करीबी हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले की सुनवाई बिहार में न होकर दिल्ली के साकेत कोर्ट में हुई. 11 फरवरी, 2019 को 19 आरोपियों को सजा सुनाई गई जबकि दो को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था.
इन आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग 13 धाराओं में कोर्ट ने चार्जशीट दाखिल की गई थी. बरी होने वालों में शाइस्ता परवीन उर्फ मधु का रिश्तेदार विक्की और जिला बाल संरक्षण इकाई की तत्कालीन सहायक निदेशक रोजी रानी को जेजे एक्ट की धारा 75 के तहत दोषी पाते हुए उन्हें बॉन्ड पर मुक्त कर दिया गया था.
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