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Holi 2023: नालंदा के इस गांव में भगवान बुद्ध के साथ खेली जाती है होली, जानिए सदियों पुरानी परंपरा

Nalanda के एक गांव में लोग भगवान बुद्ध के साथ होली खेलते हैं. इस गांव में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. गांव के लोग ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: मो.महमूद आलम

नालंदा: देश में होली मनाने की अलग-अलग परंपराएं हैं. इसी कड़ी में बिहार के नालंदा में बुद्ध भगवान के साथ होली मनाने की सदियों पुरानी परंपरा है. बिहार शरीफ से 10 किमी दूर स्थित तेतरावां गांव में यह अनूठी परंपरा हर साल मनाई जाती है. बताया जाता है कि यह परंपरा पालकाल से ही चला आ रही है. ग्रामीण भगवान बुद्ध की प्रतिमा को बाबा भैरो के नाम से भी पुकारते हैं. होली का समापन बुद्ध की विशाल काले पाषाण की मूर्ति के साथ सामूहिक रूप से रंग-गुलाल खेलकर किया जाता है.

जानकार राजीव रंजन पांडे बताते हैं कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में जब पढ़ाई होती थी तब उस दौरान मूर्ति कला की पढ़ाई इसी तेतरावां गांव में हुआ करती थी. भगवान बुद्ध की यह मूर्ति उसी समय की बताई जाती है. स्थानीय लोग भगवान बुद्ध को भैरो बाबा कहकर बुलाते हैं. कोई भी शुभ कार्य होता है तो ग्रामीण यहां जरूर आते हैं. मान्यता है कि यहां जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वह जरूर पूरी होती है.

ऐसे होती है होली 
राजीव पांडे ने बताया कि होली के दौरान यहां भगवान बुद्ध की प्रतिमा को विधिवत रूप से गांव वाले साफ करते हैं. फिर उन्हें मीठा रावा और देसी घी का लेप लगाया जाता है. फिर सफेद चादर चढ़ा कर भगवान बुद्ध की प्रतिमा को गांव के लोग रंग, गुलाल और अबीर लगाते हैं. इसके बाद समूह में बैठक कर भजन-कीर्तन करते हैं.

काले पत्थर की सबसे बड़ी प्रतिमा
मंदिर के पुजारी रविंद्र पांडे बताते हैं कि यह भगवान बुद्ध की प्रतिमा वर्षों पुरानी है. इसकी देखरेख तीन पुश्तों से करते आ रहे हैं. यहां पहले बड़ी संख्या में देसी-विदेशी बौद्ध श्रद्धालु घूमने आते थे. संभवतः यह भी कहा जाता है कि यह काले पत्थर की प्रतिमा एशिया में सबसे बड़ी भगवान बुद्ध की मूर्ति है. यहां के लोग होली खेलने के बाद प्रार्थना करते हैं कि पूरा साल सुख, स्मृद्ध और शांति प्रदान करे.

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