रिपोर्ट – मो.महमूद आलम
नालंदा. घोसरावां स्थित मां आशापुरी मंदिर में शारदीया और चैत्र नवरात्र में महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है. आज 22 मार्च से चैत्र नवरात्र शुरू हो गई है. बुधवार से महिलाएं बाहर से ही मां आशापुरी के दर्शन करेंगी. नवरात्र खत्म होने के बाद 10वें दिन से महिलाएं मंदिर के अंदर जाकर पूजा कर सकेंगी. मुख्यालय बिहार शरीफ से 15 किमी दूर घोसरावां गांव में मां आशापुरी का प्राचीन मंदिर है. असल में यहां नवरात्र के मौके पर तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है.
नवरात्र के मौके पर महिलाओं का प्रवेश मंदिर के अंदर निषेध है. सालाें से चली आ रही इस परंपरा को अभी तक लोग निभा रहे हैं. पूर्वजों के समय से ही शारदीया नवरात्र के दौरान महिलाओं काे मंदिर परिसर के साथ ही गर्भगृह में जाने की मनाही होती है. वहीं, चैत्र नवरात्र में मंदिर में प्रवेश तो होता है, लेकिन गर्भगृह में जाने पर प्रतिबंध रहता है. पुजारी पुरेंद्र उपाध्याय बताते हैं परंपरा चली आ रही है, जिसे सभी लोग आज भी निभा रहे हैं.
मां आशापुरी मंदिर अति प्राचीन है. मान्यता है कि यह मगध काल में बना. नौ रूपों में से एक सिद्धिदात्री स्वरूप में मां दुर्गा की पूजा यहां की जाती है. यहां मां दुर्गा की अष्टभुजा प्रतिमा स्थापित है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में सबसे पहले राजा जयपाल ने पूजा की थी. जिस जगह मां आशापुरी विराजमान हैं, वहां गढ़ हुआ करता था. यहां मंदिर बना कर श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना शुरू कर दी. हर मंगलवार को मां आशापुरी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.
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