काजल नाम की परीक्षार्थी की मां का आज सुबह निधन हो गया, फिर भी वह करीब 1 बजे मैट्रिक परीक्षा देने के लिए एग्जाम सेंटर पर पहुंच गयी.
नवादा. कहते हैं हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हो अगर मन में दृढ़ संकल्प और बुलंद हौसला हो तो इंसान लाख परेशानियों के बाद भी अपनी मंजिल की ओर जरूर बढ़ता है. कुछ ऐसी ही तस्वीर मैट्रिक परीक्षा (Bihar Board Matric Exam) के दौरान 15 फरवरी को बिहार के बांका (Banka) जिले में देखने को मिली थी, जब एक मां अपने बच्चे को जन्म देने के महज 3 घंटे बाद परीक्षा देने पहुंच गईं थी. वहीं शुक्रवार को फिर से एक दूसरी तस्वीर बिहार के नवादा (Nawada) जिले से सामने आ रही है, काजल (Kajal) नाम की परीक्षार्थी की मां का आज सुबह निधन हो गया, फिर भी वह करीब 1 बजे मैट्रिक परीक्षा देने के लिए एग्जाम सेंटर पर पहुंच गयी.
मिली जानकारी के अनुसार काजल की मां लाल मुनी देवी का आज सुबह लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया. इस घटना के बाद वह पूरी तरह टूट चुकी थी. लेकिन, गांव की सहेलियां और ग्रामीणों के समझाने के बाद काजल हिम्मत दिखाते हुये परीक्षा देने के लिए राजी हुई और तय समय पर अपने परीक्षा केंद्र जीवन ज्योति स्कूल (Jeevan Jyoti School) पहुंच गयी. इस दौरान उसके रिश्तेदारों, पड़ोसियों, केंद्र पर मौजूद पुलिस और परीक्षा कार्य में लगे लोगों ने उसे ढाढ़स बंधाया और परीक्षा में शामिल होने के उसके जज्बे को सलाम किया.
बेहद गरीब परिवार से आती है काजल
बता दें, काजल का घर ओरैना है, काजल के पिता गोरेलाल सिंह भी इस घटना के बाद पूरी तरह से टूट गए थे. मगर ग्रामीणों ने उन्हें संभाला. ओरैना पंचायत के पूर्व मुखिया पति बिनोद सिंह ने बताया कि काजल का परिवार बेहद ही गरीब है. अंतिम संस्कार के लिए ग्रामीणों ने ही चंदा कर सभी सामग्रियां जुटाई. वहीं ग्रामीण गांव की कुछ अन्य लड़कियों के साथ काजल को परीक्षा देने के लिए नवादा लेकर पहुंचे. उन्होंने कहा कि सच में काजल की जितनी तारीफ की जाए कम होगी, काजल बेटी तुम पर सभी को गर्व है.
बांका से भी आई थी सलाम करने वाली तस्वीर
बता दें, इस बार मैट्रिक परीक्षा के दौरान अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. बीते दिनों भी मैट्रिक परीक्षा के दौरान बांका जिले से एक तस्वीर सामने आई थी, जहां मैट्रिक परीक्षा के दौरान रुकमिणी नामक महिला ने अपने बुलंद इरादे का परिचय देते हुए बच्चे के जन्म के करीब 3 घंटे बाद ही मैट्रिक की परीक्षा देने पहुंच गयी थी. दरअसल रुकमिणी ने 14 फरवरी को दिन में मैट्रिक का पहला पेपर दिया था. फिर उसी दिन उन्हें रात में प्रसव पीड़ा हुई थी, जिसके बाद सुबह 6 बजे वह मां बनीं थी. फिर करीब 3 घंटे बाद वह 9 बजे परीक्षा देने पहुंच गईं थीं.
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