पर्यावरण के जूनून ने रंजीत महतो को बनाया ट्री-मैन, बंजर भूमि पर उगा चुके हैं हजारों पेड़...

बाजितपुर के रहने वाले रंजीत महतो के जूनून ने उन्हें ट्री मैन के रूप में पहचान दिलाई
रंजीत महतो ने अपना पूरा जीवन वृक्षारोपण को समर्पित कर दिया है. रंजीत ने अथक परिश्रम से बंजर जमीन (barren land) पर हजारों पेड़ लगाकर पर्यावरण को बचाने का कार्य किया. कौआ कोल के कई इलाकों में रंजीत ने हजारों पेड़ लगाए हैं
- News18 Bihar
- Last Updated: June 11, 2020, 5:51 PM IST
नवादा. इस साल तमाम प्राकृतिक आपदाओं के बीच विश्व पर्यावरण दिवस का थीम 'प्रकृति के लिए समय' (Time for nature) था जिसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करना था. बिहार (Bihar) के नवादा के कौआकोल प्रखंड के बाजितपुर के रहने वाले रंजीत महतो (Ranjeet Mahto) भी अपनी मेहनत से पर्यावरण की रक्षा करने में जोर शोर से जुटे हुए हैं. पेड़ों के प्रति अपने प्रेम को लेकर क्षेत्र में लोग रंजीत महतो को ट्री मैन (Tree Man) के नाम से जानते हैं. इनका नाम ट्री मैन पड़ने के पीछे भी एक बेहद ही संघर्षपूर्ण जिन्दगी है.
क्यों हुए ट्री मैन नाम से मशहूर
दरअसल रंजीत महतो ने अपना पूरा जीवन वृक्षारोपण को समर्पित कर दिया है. रंजीत ने अथक परिश्रम से बंजर जमीन (barren land) पर हजारों पेड़ लगाकर पर्यावरण को बचाने का कार्य किया. कौआ कोल के कई इलाकों में रंजीत ने हजारों पेड़ लगाए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस कार्य के लिए रंजीत ने किसी की मदद भी नहीं ली और निजी खर्च पर वृक्षारोपण का काम किया. शुरुआत में इनके द्वारा किये गए कार्य को लोगों ने नहीं सराहा और इन्हें पागल तक करार दे दिया. ऐसे समय में रंजीत ने अपनी साइकिल को ही अपना साथी बना लिया और आज वो सैकड़ों पेड़ लगा चुके हैं. इलाके में इन्हें अब लोग साइकिल वाले ट्री मैन के नाम से जानते हैं. इनकी खुद की एक नर्सरी भी है जहां शुरुआती दौर में वो पौधा तैयार कर उसे अलग अलग जगह लगाते हैं. पेड़ लगाना अब इनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य बन गया है और पौधों की देखभाल उनकी रोजाना की दिनचर्या में शामिल हो गया है.
रंजीत महतो बताते हैं कि 18 वर्ष पूर्व इनके गांव में गायत्री परिवार का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ. उस कार्यक्रम में गायत्री मंदिर के संचालक सुरेश यादव पहुंचे थे. साइकिल पर बंधे लाउडस्पीकर के जरिए पर्यावरण बचाने की आवाज उनके कानों तक पहुंची और उसी दिन से उनके अंदर पेड़ लगाने की धुन सवार हुई. पूरे इलाके की सरकारी और निजी जमीन पर अब तक वो हजारों पेड़ लगा चुके हैं.ये भी पढ़ें- COVID-19 के सैम्पल ले जाने के लिए इंदौर के स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं हैं आइस पैक, टॉयलेट के पानी से धोई जा रही एम्बुलेंस

क्यों हुए ट्री मैन नाम से मशहूर
दरअसल रंजीत महतो ने अपना पूरा जीवन वृक्षारोपण को समर्पित कर दिया है. रंजीत ने अथक परिश्रम से बंजर जमीन (barren land) पर हजारों पेड़ लगाकर पर्यावरण को बचाने का कार्य किया. कौआ कोल के कई इलाकों में रंजीत ने हजारों पेड़ लगाए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस कार्य के लिए रंजीत ने किसी की मदद भी नहीं ली और निजी खर्च पर वृक्षारोपण का काम किया. शुरुआत में इनके द्वारा किये गए कार्य को लोगों ने नहीं सराहा और इन्हें पागल तक करार दे दिया. ऐसे समय में रंजीत ने अपनी साइकिल को ही अपना साथी बना लिया और आज वो सैकड़ों पेड़ लगा चुके हैं. इलाके में इन्हें अब लोग साइकिल वाले ट्री मैन के नाम से जानते हैं. इनकी खुद की एक नर्सरी भी है जहां शुरुआती दौर में वो पौधा तैयार कर उसे अलग अलग जगह लगाते हैं. पेड़ लगाना अब इनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य बन गया है और पौधों की देखभाल उनकी रोजाना की दिनचर्या में शामिल हो गया है.
रंजीत महतो बताते हैं कि 18 वर्ष पूर्व इनके गांव में गायत्री परिवार का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ. उस कार्यक्रम में गायत्री मंदिर के संचालक सुरेश यादव पहुंचे थे. साइकिल पर बंधे लाउडस्पीकर के जरिए पर्यावरण बचाने की आवाज उनके कानों तक पहुंची और उसी दिन से उनके अंदर पेड़ लगाने की धुन सवार हुई. पूरे इलाके की सरकारी और निजी जमीन पर अब तक वो हजारों पेड़ लगा चुके हैं.ये भी पढ़ें- COVID-19 के सैम्पल ले जाने के लिए इंदौर के स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं हैं आइस पैक, टॉयलेट के पानी से धोई जा रही एम्बुलेंस