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लालू-तेजस्‍वी, चिराग समेत CM नीतीश कुमार के लिए खास है आज का दिन, जानें वजह

बिहार के लिए 5 जुलाई का दिन राजद लोजपा के साथ-साथ जेडीयू के लिए भी अहम है (फाइल फोटो)

बिहार के लिए 5 जुलाई का दिन राजद लोजपा के साथ-साथ जेडीयू के लिए भी अहम है (फाइल फोटो)

Bihar Politics: 5 जुलाई को एक तरफ जहां लोजपा के दोनों गुट पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रामविलास पासवान की जयंती पर अपना ...अधिक पढ़ें

पटना. 5 जुलाई का दिन बिहार की राजनीति के लिए बेहद अहम होने वाला है. एक तरफ सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत नेता रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan) की जयंती है, वहीं दूसरी तरफ राजद का 25वां स्थापना दिवस भी है. महागठबंधन के चेहरे और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने पासवान का जन्मदिन भी मनाने का निर्णय किया है. राजद ने फैसला किया है कि स्थापना दिवस के कार्यक्रम से पहले रामविलास पासवान की जयंती मनाई जाएगी. दरअसल, पार्टी की स्थापना दिवस से अधिक तेजस्वी की नजर लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के भीतर उपजे कलह और चिराग पासवान पर है. इसीलिए राजद ने रामविलास पासवान की जयंती मनाने की रणनीति तैयार की है.

दरअसल, चाचा पशुपति कुमार पारस गुट और चिराग पासवान खेमे के बीच कुर्सी को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी के भीतर खींचातानी लगातार जारी है. चिराग पासवान 5 जुलाई यानी आज से हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा पर निकलने वाले हैं. हाजीपुर दिवंगत रामविलास पासवान का गढ़ माना जाता रहा है. अब यह लोकसभा क्षेत्र चिराग के बागी चाचा पशुपति पारस का है. आशीर्वाद यात्रा के दौरान चिराग बिहार के सभी जिलों का दौरा करेंगे और यह संदेश देने की कोशिश होगी कि रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत के असली उत्तराधिकारी वह खुद हैं. माना जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान चिराग अपने दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश करेंगे.

चिराग के परिवार में उपजे कलह का तेजस्वी फायदा उठाने की कोशिश में जुटे हैं. हालांकि, चिराग और पारस ने कई बार दोहराया है कि वो NDA में बने रहेंगे. पशुपति कुमार पारस ने JDU के साथ जाने की बातों से इनकार किया है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में LJP ने बिहार NDA से अलग होकर खुद के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया था. इससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU को भारी नुकसान हुआ था. चिराग द्वारा 143 सीटों पर उतारे गए उम्मीदवारों में से मात्र एक ही जीत सके. वह विधायक भी अब नीतीश के पाले में जा चुके है. भले ही चिराग पासवान को मात्र एक सीट नसीब हुई हो लेकिन उनके वोट बैंक में बढ़ोतरी ने पार्टी को गदगद कर दिया.

फिलहाल चिराग पासवान पार्टी के भीतर सांसद और चाचा पशुपति पारस गुट द्वारा बगावत की वजह से उपजे हालात को संभालने में लगे हैं, लेकिन रार दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. चिराग पासवान को कलह की शुरुआत के दिन से ही बिहार की विपक्षी पार्टी आरजेडी का समर्थन मिल रहा है. राष्ट्रीय जनता दल RJD की अगुवाई वाली महागठबंधन की तरफ से उन्हें साथ आने का खुला न्योता मिल रहा है. तेजस्वी ने खुले तौर पर इसका आमंत्रण चिराग को दिया है कि वो महागठबंध का साथ दें.

तेजस्वी की इस साथ लाने वाली रणनीति के पीछे बिहार की जातिगत राजनीति और उस पर टिके वोट बैंक का खेल है. गत वर्ष हुए बिहार विधानसभा चुनाव में LJP को लगभग 6 फीसदी और संख्या में 26 लाख वोट मिले थे वहीं चिराग ने नीतीश का भी वोट जमकर काटा था जिसका परिणाम ये हुआ कि नीतीश कुमार बड़े भाई की भूमिका से छोटे भाई की भूमिका में आ गए. उनकी पार्टी को महज 43 सीटें मिली थी जबकि भाजपा को 74 और तेजस्वी की अगुवाई वाली पार्टी राजद को सबसे अधिक 75 सीटें मिली थी. बिहार में महागठबंधन को बहुमत 122 के मुकाबले 110 सीटें मिली थी जबकि एनडीए के खाते में 125 सीटें गई थी, ऐसे में अब देखना होगा कि तेजस्वी अपनी इस रणनीति से बिहार की आगामी सियासत को कितना साध पाते हैं क्या नीतीश का खेल चिराग तेजस्वी संग मिलकर बिगाड़ेंगे या तेजस्वी और कोई चाल चलेगें.

Tags: Bihar politics, Chirag Paswan, JDU news, Lok Janshakti Party, Nitish kumar, RJD news

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