होम /न्यूज /बिहार /बिहार में कुशवाहा वोटरों को लुभाने के लिए 3 नेताओं के बीच चल रही दिलचस्प राजनीतिक लड़ाई! पढ़ें इनसाइड स्टोरी

बिहार में कुशवाहा वोटरों को लुभाने के लिए 3 नेताओं के बीच चल रही दिलचस्प राजनीतिक लड़ाई! पढ़ें इनसाइड स्टोरी

बिहार के 3 बड़े नेता कुशवाहा पॉलिटिक्स को साधने की कोशिश में लगे हैं.

बिहार के 3 बड़े नेता कुशवाहा पॉलिटिक्स को साधने की कोशिश में लगे हैं.

Bihar Politics: इन तीनों नेताओं की वजह से इन दिनों बिहार कि राजनीति गरमाई हुई है और इसके पीछे की मुख्य वजह है कुशवाहा व ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

बिहार के तीन बड़े नेता कुशवाहा पॉलिटिक्स को साधने की कोशिश में लगे हैं.
इन तीनों नेताओं की वजह से इन दिनों बिहार कि राजनीति गरमाई हुई.
तीनों के बीच कुशवाहा वोट बैंक को अपने पाले में करने की लड़ाई कड़ी लड़ाई छिड़ी है.

पटना. बिहार में इन दिनों सियासत के 3 खिलाड़ियों की खूब चर्चा हो रही है. दरअसल ये तीनों सूबे में कुशवाहा पॉलिटिक्स (Kushwaha Politics) को साधने की कोशिश में लगे हैं. इन तीन नेताओं में 90 और 10 प्रतिशत के बयान से चर्चा में आए आरजेडी नेता और बिहार सरकार में मंत्री आलोक मेहता, नीतीश कुमार से अपना हक मांग रहे जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा और नीतीश कुमार की कुर्सी छीनने तक पगड़ी बांधने की बात कहने वाले बीजेपी के फायर ब्रांड नेता सम्राट चौधरी शामिल हैं.

इन तीनों नेताओं की वजह से इन दिनों बिहार की राजनीति गरमाई हुई और इसके पीछे की मुख्य वजह है कुशवाहा वोट बैंक. दरअसल तीनों के बीच कुशवाहा वोट बैंक को अपने पाले में करने की बड़ी लड़ाई छिड़ी है. तीनों किसी भी कीमत पर कुशवाहा वोटरों के चहेते बनने की कोशिश में लगे हुए हैं.

उपेंद्र कुशवाहा: उपेन्द्र कुशवाह जदयू संसदीय बोर्ड के नेशनल प्रेसिडेंट हैं. उपेन्द्र कुशवाहा अपनी ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं और जदयू के शीर्ष नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगा ना सिर्फ़ हमला बोल रहे हैं बल्कि नीतीश कुमार से अपना हक भी मांग रहे हैं. यही नहीं उपेन्द्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार पर यह भी आरोप लगा दिया कि नीतीश कुमार जदयू में कुशवाहा समाज को दरकिनार कर रहे हैं. साफ है उपेन्द्र कुशवाहा पूरे कुशवाहा समाज को यह मैसेज देने की कोशिश में हैं कि उनके साथ ज्यादती हो रही है, यानी कुशवाहा समाज के साथ ज्यादती हो रही है.

इसके साथ ही दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज करा रहे उपेन्द्र कुशवाहा से मिलने के लिए जब बीजेपी के तीन नेता पहुंचे तो चर्चाओं का बाजार काफी काफी तेज हो गया था. जदयू ने आरोप लगाया था कि उपेन्द्र कुशवाहा को आगे कर बीजेपी कुशवाहा वोटर को साधने की कोशिश कर रही है क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी की राजनीति भी लव-कुश समीकरण पर ही आधारित मानी जाती है. इसमें कुशवाहा को तोड़ बीजेपी जदयू को कमजोर करना चाहती है. यही वजह है कि कुशवाहा पर सीधी करवाई करने से जदयू बचती दिख रही है.

आलोक मेहता: बिहार सरकार में मंत्री और राजद के सबसे बड़े कुशवाहा नेता आलोक मेहता भी इस वक्त चर्चा में है. उन्होंने नब्बे और दस की बात कह बिहार की सियासत गर्मा रखी है. आलोक मेहता बीजेपी के निशाने पर आ गए हैं, निशाना तो जदयू भी उनके बयान के बाद साध रही है. लेकिन उसकी धार मंद है. जाहिर है माना जा रहा है कि राजद उपेन्द्र कुशवाहा के काट में आलोक मेहता को आगे कर कुशवाहा समाज को साधने की कोशिश कर रही है. इसका इशारा भी तब मिला जब आलोक मेहता ने उपेन्द्र कुशवाहा पर जगदेव प्रसाद के जयंती समारोह के मौके निशाना साधा था.

’10 फीसदी वाले थे अंग्रेजों के दलाल, मंदिर में घंटी बजाना था काम’- बिहार सरकार के मंत्री आलोक मेहता ने दिया विवादित बयान

आलोक मेहता ने कहा था कि कुछ लोगों ने समाज को खानाबदोश बना दिया है. कुशवाहा समाज का कभी घर बनने ही नहीं दिया. हमेशा अलग-अलग पार्टियों मे जाकर बंधक बना दिया. सभी एकजुट रहे तो राजद इतिहास बनाकर दिखाएगा. साफ है कि आलोक मेहता अपने बयान से विवाद तो बढ़ा ही रहे हैं, साथ ही उन्हें आरजेडी का भी पूरा संदेश मिल रहा है. तभी तो तेजस्वी यादव ने भी भरे मंच से आलोक मेहता के पीछे पूरी मज़बूती से खड़े होने का संदेश दिया है.

सम्राट चौधरी: वहीं बीजेपी के फायर ब्रांड नेता सम्राट चौधरी भी चर्चा में है और बीजेपी में उनका कद भी बढ़ा है. वह भी कुशवाहा समाज को बड़ा मैसेज देने की कोशिश में हैं. यही वजह है कि सम्राट अशोक का मामला हो या सासाराम में अशोक के शिलालेख विवाद का बीजेपी ने सम्राट चौधरी को आगे किया और सम्राट चौधरी भी लगातार कई मुद्दों पर मुखर दिखते हैं. सम्राट चौधरी का कद बढ़ न जाए इसी वजह से पूरी रणनीति के साथ जदयू का कोई भी बड़ा नेता सम्राट चौधरी पर हमला नहीं बोलता. हालांकि, कुछेक मामलों में नीतीश कुमार ने सम्राट चौधरी पर काफी तीखा हमला बोला था.

सम्राट चौधरी ने पूछा- लालू सरकार ने मेरा घर तीन दिन में तोड़ा फिर अंकित के हत्यारों में क्यों हो रही देर ?

दरअसल नीतीश कुमार का प्रमुख वोट बैंक है लव-कुश और इसी के नाम पर नीतीश कुमार की राजनीति की शुरुआत भी हुई थी. अगर सम्राट चौधरी कुशवाहा समाज में लोकप्रिय होते चले गए तो नीतीश कुमार का पुराना वोट बैंक पर असर पड़ सकता है जिसका नुक़सान नीतीश कुमार को हो जाएगा. यही वजह है कि बीजेपी के सम्राट चौधरी पर नीतीश कुमार कोई बयान नहीं देते हैं. कुछ ऐसा ही हाल नीतीश कुमार का उपेंद्र कुशवाहा को लेकर है, क्योंकि दोनों नेता में कुशवाहा वोटर को अपने पाले में करने की काबिलियत है. ऐसी चर्चा है कि उपेन्द्र कुशवाहा बीजेपी के साथ आ सकते है. अगर ऐसा हुआ तो कुशवाहा राजनीति में एक बड़ा बदलाव हो सकता है जिसे लेकर महागठबंधन चिंतित नजर आता है.

Tags: Bihar News, Bihar politics, Upendra kushwaha

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें