Goodbye Year 2020: नये दौर की ओर चल पड़ा बिहार, फिर एक बार नीतीशे कुमार

बिहार में राजग को जीत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास कार्यों की बड़ी भूमिका है. (फोटो: न्यूज़ 18 ग्राफिक्स)
बिहार चुनाव (Bihar Elections) में मिले जनादेश से एक बार फिर यह साबित हो गया कि 15 वर्ष तक बिहार में शासन करने के उपरांत भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) बेदाग चेहरा भी हैं और लोगों का भरोसा भी.
- News18Hindi
- Last Updated: December 3, 2020, 1:49 PM IST
पटना. वर्ष 2020 समाप्ति की ओर है और बीते वर्ष की यादों के साथ साल 2021 के नये दौर की तरफ बढ़ रहा है. देश की राजनीति की दृष्टि से देखें तो बिहार विधान सभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) सबसे अहम माना जा सकता है. प्रदेश में एक बार फिर सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व में सरकार बनी है जो अपने आप में महत्वपूर्ण है. दरअसल यह अहम उपलब्धि इसलिए भी है क्योंकि 15 वर्षों के लगातार शासन के बाद नीतीश सरकार सत्ता विरोधी प्रभाव का सामना कर रही थी. यह भी सच है कि सीएम नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को उम्मीद से कहीं कम सीटें मिलीं. लेकिन, भाजपा (BJP) के सहयोग से इसे प्रभावहीन करने में कामयाबी पाई तो यह बड़ा अचीवमेंट ही है.
बिहार के लोगों ने इस बात को रखा याद
बिहार चुनाव (Bihar Elections) में मिले जनादेश ने यह साफ कर दिया कि युवा तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) में एक सक्षम नेता बनने के गुण हैं तो यह भी बता दिया कि अभी लालू-राबड़ी शासनकाल के जंगलराज की यादें लोगों के जेहन से अभी नहीं गई हैं. साथ ही यह भी साबित हो गया कि 15 वर्ष तक बिहार में शासन करने के उपरांत भी नीतीश कुमार बेदाग चेहरा भी हैं और लोगों का भरोसा भी. जाहिर है बिहार में एनडीए की जीत का एक मुख्य कारण नीतीश कुमार का नेतृत्व रहा.
जब पीएम मोदी बोले- मुझे नीतीश चाहिएबिहार की सियासत में नीतीश कुमार की अहमियत कितनी रही इस बात का पता तब लगा जब नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार के दौरान यह कहा कि यह उनका अंतिम चुनाव है तो सूबे के सियासी गलियारों में भूचाल आ गया था. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी यह कहना पड़ा कि बिहार के विकास के लिए उन्हें नीतीश कुमार की जरूरत है. उन्होंने बिहार के जनता के नाम एक पत्र भी लिखा और यह जोर देकर कहा कि बिहार के विकास के लिए उन्हें नीतीश कुमार की जरूरत है.
बिहार में नीतीश के विकास मॉडल की जीत
बिहार विधानसभा के चुनाव परिणाम देखकर भी अब तो यही लगता है कि बिहार की जनता को भी ऐसा ही लगता है कि बिहार के विकास के लिए नीतीश कुमार जरूरी हैं. कई राजनीतिक जानकार भी यह मानते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के जीत की सबसे बड़ी वजह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भरोसेमंद चेहरा है. यही नहीं नीतीश कुमार का विकास मॉडल भी एनडीए की जीत का बड़ा फैक्टर है.
नीतीश के नेतृत्व को लेकर अडिग रही भाजपा
दरअसल नीतीश कुमार का समाज के हर तबके के लिए किया गया काम और सरकार में आने पर किये जाने वाले काम के वादे पर जनता ने भरोसा किया. एडीए से अलग होकर चुनाव लड़ी एलजेपी की लाख कोशिशों के बावजूद बीजेपी नेताओं का इस स्टैंड पर अड़े रहना कि सीटों की संख्या जो भी हो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे, ने उनके पक्ष में काम किया.
लोजपा ने गेम बिगाड़ा पर जनता ने जताया भरोसा
हालांकि यह भी स्पष्ट रहा कि जो मुकाबला भाजपा और जेडीयू की ओर एकतरफा नजर आ रहा था उसमें लोजपा के कारण अंतिम क्षणों में कांटे के मुकाबले में तब्दील हो गया. जाहिर है इसमें विपक्षी खेमे के योगदान के साथ ही चिराग पासवान की लोजपा का भी अहम रोल रहा. भले ही लोजपा ने भाजपा को इंडिविजुअली कम नुकसान किया, लेकिन एनडीए जेडीयू को काफी क्षति पहुंचाई. कम से कम 38 सीटें ऐसी रहीं जो लोजपा के कारण सीएम नतीश की जेडीयू को गंवानी पड़ी पर इसके बाद भी राजग ने जीत हासिल की.
नीतीश कुमार के साइलेंट वोटर्स ने कर दिया कमाल
जाहिर है बिहार चुनाव में एनडीए की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास के असर और नीतीश कुमार के जनकल्याणकारी एवं विकास कार्यों के चलते संभव हुआ. तमाम एंटी इंकंबेंसी फैक्टर, विपक्ष के जोरदार प्रचार और विपरीत माहौल के बावजूद नीतीश कुमार के साइलेंट वोटर्स ने कमाल कर दिया. चुनाव परिणाम स्पष्ट तौर पर यह बताते हैं कि 15 साल के सुशासन के प्रति जनता का विश्वास अखंड है और वादों-दावों के बीच भी शराबबंदी, पंचायतों व सरकारी नौकरियों में महिला आरक्षण जैसे कदमों के कारण महिला मतदाताओं को नीतीश के चेहरे पर ही भरोसा है.
नीतीश कुमार की जीत से अब भाजपा जीतेगी बंगाल!
बहरहाल बिहार के लोगों का राजनीतिक फैसला केवल राज्य तक ही सीमित नहीं है. यह फैसला राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डालने वाला है. बिहार की जीत जद-यू को एक बड़ी राहत देने वाली है तो भाजपा का मनोबल बढ़ाने वाली. नीतीश के नेतृत्व में बिहार चुनाव परिणाम से बढ़ा हुआ मनोबल कुछ समय बाद पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में वैसे ही अप्रत्याशित नतीजे दे सकता है, जैसे लोकसभा चुनाव के समय दिए थे जब भाजपा ने वहां 18 सीटें जीती थीं. जाहिर है अगर बंगाल चुनाव में में भाजपा अच्छा प्रदर्शन कर पाती है तो इसका कुछ हद तक श्रेय नीतीश कुमार को भी जाएगा.
बिहार के लोगों ने इस बात को रखा याद
बिहार चुनाव (Bihar Elections) में मिले जनादेश ने यह साफ कर दिया कि युवा तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) में एक सक्षम नेता बनने के गुण हैं तो यह भी बता दिया कि अभी लालू-राबड़ी शासनकाल के जंगलराज की यादें लोगों के जेहन से अभी नहीं गई हैं. साथ ही यह भी साबित हो गया कि 15 वर्ष तक बिहार में शासन करने के उपरांत भी नीतीश कुमार बेदाग चेहरा भी हैं और लोगों का भरोसा भी. जाहिर है बिहार में एनडीए की जीत का एक मुख्य कारण नीतीश कुमार का नेतृत्व रहा.
जब पीएम मोदी बोले- मुझे नीतीश चाहिएबिहार की सियासत में नीतीश कुमार की अहमियत कितनी रही इस बात का पता तब लगा जब नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार के दौरान यह कहा कि यह उनका अंतिम चुनाव है तो सूबे के सियासी गलियारों में भूचाल आ गया था. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी यह कहना पड़ा कि बिहार के विकास के लिए उन्हें नीतीश कुमार की जरूरत है. उन्होंने बिहार के जनता के नाम एक पत्र भी लिखा और यह जोर देकर कहा कि बिहार के विकास के लिए उन्हें नीतीश कुमार की जरूरत है.
बिहार में नीतीश के विकास मॉडल की जीत
बिहार विधानसभा के चुनाव परिणाम देखकर भी अब तो यही लगता है कि बिहार की जनता को भी ऐसा ही लगता है कि बिहार के विकास के लिए नीतीश कुमार जरूरी हैं. कई राजनीतिक जानकार भी यह मानते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के जीत की सबसे बड़ी वजह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भरोसेमंद चेहरा है. यही नहीं नीतीश कुमार का विकास मॉडल भी एनडीए की जीत का बड़ा फैक्टर है.
नीतीश के नेतृत्व को लेकर अडिग रही भाजपा
दरअसल नीतीश कुमार का समाज के हर तबके के लिए किया गया काम और सरकार में आने पर किये जाने वाले काम के वादे पर जनता ने भरोसा किया. एडीए से अलग होकर चुनाव लड़ी एलजेपी की लाख कोशिशों के बावजूद बीजेपी नेताओं का इस स्टैंड पर अड़े रहना कि सीटों की संख्या जो भी हो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे, ने उनके पक्ष में काम किया.
लोजपा ने गेम बिगाड़ा पर जनता ने जताया भरोसा
हालांकि यह भी स्पष्ट रहा कि जो मुकाबला भाजपा और जेडीयू की ओर एकतरफा नजर आ रहा था उसमें लोजपा के कारण अंतिम क्षणों में कांटे के मुकाबले में तब्दील हो गया. जाहिर है इसमें विपक्षी खेमे के योगदान के साथ ही चिराग पासवान की लोजपा का भी अहम रोल रहा. भले ही लोजपा ने भाजपा को इंडिविजुअली कम नुकसान किया, लेकिन एनडीए जेडीयू को काफी क्षति पहुंचाई. कम से कम 38 सीटें ऐसी रहीं जो लोजपा के कारण सीएम नतीश की जेडीयू को गंवानी पड़ी पर इसके बाद भी राजग ने जीत हासिल की.
नीतीश कुमार के साइलेंट वोटर्स ने कर दिया कमाल
जाहिर है बिहार चुनाव में एनडीए की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास के असर और नीतीश कुमार के जनकल्याणकारी एवं विकास कार्यों के चलते संभव हुआ. तमाम एंटी इंकंबेंसी फैक्टर, विपक्ष के जोरदार प्रचार और विपरीत माहौल के बावजूद नीतीश कुमार के साइलेंट वोटर्स ने कमाल कर दिया. चुनाव परिणाम स्पष्ट तौर पर यह बताते हैं कि 15 साल के सुशासन के प्रति जनता का विश्वास अखंड है और वादों-दावों के बीच भी शराबबंदी, पंचायतों व सरकारी नौकरियों में महिला आरक्षण जैसे कदमों के कारण महिला मतदाताओं को नीतीश के चेहरे पर ही भरोसा है.
नीतीश कुमार की जीत से अब भाजपा जीतेगी बंगाल!
बहरहाल बिहार के लोगों का राजनीतिक फैसला केवल राज्य तक ही सीमित नहीं है. यह फैसला राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डालने वाला है. बिहार की जीत जद-यू को एक बड़ी राहत देने वाली है तो भाजपा का मनोबल बढ़ाने वाली. नीतीश के नेतृत्व में बिहार चुनाव परिणाम से बढ़ा हुआ मनोबल कुछ समय बाद पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में वैसे ही अप्रत्याशित नतीजे दे सकता है, जैसे लोकसभा चुनाव के समय दिए थे जब भाजपा ने वहां 18 सीटें जीती थीं. जाहिर है अगर बंगाल चुनाव में में भाजपा अच्छा प्रदर्शन कर पाती है तो इसका कुछ हद तक श्रेय नीतीश कुमार को भी जाएगा.