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Chaitra Navratri 7th Day: क्षण में खुश क्षण में नाराज हो जाती हैं मां कालरात्रि, जानें कैसे होती हैं भक्तों पर प्रसन्न

शनि की नियंत्रक हैं कालरात्रि.

शनि की नियंत्रक हैं कालरात्रि.

Patna News: कालरात्रि मां दुर्गा के नौ रूपों में सप्तम रूप है. इनका वर्ण घने अंधकार की तरह काला होता है. कालरात्रि का द ...अधिक पढ़ें

रिर्पोट – उधव कृष्ण

पटना. माता कालरात्रि को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है. जिनमें काली, चंडी, धूम्रवर्णा, चामुंडा आदि नाम शामिल हैं. माता कालरात्रि भूत, पिशाच, प्रेत और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली होती हैं. पंडित विनोद मिश्र बताते हैं कि इनकी पूजा करने वाले भक्तों को सिद्धियों, निधियों, ज्ञान, शक्ति व धन की प्राप्ति होती है. सभी पापों का नाश हो जाता है. इसके साथ ही भक्त को अक्षय पुण्यलोक की प्राप्ति होती है.

मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि को महायोगिनी और महायोगिश्वरी भी कहा जाता है. यह दिखने में भयानक लेकिन शुभ फल देने वाली होती हैं, इसलिए इन्हें शुभांकरी भी कहा जाता है. यह कृत्या प्रहार से पीड़ित, तंत्र-मंत्र से परेशान भक्तों का कल्याण करने वाली हैं. यह रोगों की नाशक, शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली और मन और मस्तिष्क के विकारों से मुक्त करने वाली देवी हैं.

विकराल स्वरूप वाली हैं कालरात्रि

तीन नेत्रों वाली कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह काला होता है. इनके सिर के बाल बिखरे हुए होते हैं, गले में बिजली की तरह चमकने वाली मुंड की माला रहती है. इनके नासिका के श्वास प्रस्वास से अग्नि की ज्वालाएं निकलती रहती है. इनका वाहन गर्दभ यानी गधा है. पंडित विनोद मिश्र बताते हैं कि मां कालरात्रि थोड़े से प्रयास से ही प्रसन्न हो जाती हैं, पर तुरंत ही क्रोधित भी जो जाती हैं. वे बताते हैं कि मां कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं, अतः इनकी पूजा से शनि ग्रह भी शांत होते हैं.

इस प्रकार होती है पूजा

मां कालरात्रि की पूजा का विशेष विधान है. पंडित विनोद मिश्र बताते हैं कि सप्तमी की रात सिद्धियों की रात कही जाती है. सप्तमी के दिन यानी मंगलवार (28 मार्च) को भक्त सुबह स्नान ध्यान से निवृत्त हो कर कलश पूजन से पूजा शुरू करें, तत्पश्चात सभी देवता, दसों दिग्पाल, परिवार के देवताओं की पूजा के बाद मां कालरात्रि की पूजा आरंभ करें. मां कालरात्रि को रोली, अक्षत, धूप और दीप अर्पित करें, अगर लाल चंदन, केसर, कुमकुम पूजा सामग्री में शामिल है तो बहुत अच्छा. पुष्प में मां कालरात्रि को रातरानी, चंपा का फूल चढ़ाएं. वहीं भोग में गुड़ और शहद भेंट चढ़ाने से माता प्रसन्न होती हैं. भक्त चाहें तो मां कालरात्रि की आरती, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ और चंदन या रुद्राक्ष की माला से मंत्र का जाप कर सकते हैं. अंत में अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे और मां से अपनी अर्जी कहें.

यह है मां कालरात्रि का मंत्र

ऊँ कालरात्र्यै नमः, एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णाकालरात्रिः भयंकरी।।

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