क्या नियोजित शिक्षकों के 'गुस्से' से डर रहे हैं CM नीतीश?
News18 Bihar Updated: November 12, 2019, 9:45 AM IST

सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि रिटायरमेंट की उम्र 60 से बढ़ा देनी चाहिए. (फाइल फोटो)
10 मई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के समान वेतन देने का आदेश देने से इनकार किया था. शीर्ष अदालत ने पटना हाई कोर्ट का आदेश भी रद्द कर दिया था.
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- Last Updated: November 12, 2019, 9:45 AM IST
पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने की वकालत की है. शिक्षा दिवस (Education Day) पर राजधानी के ज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने किसी खास सेवा क्षेत्र का नाम तो नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि ऐसा कहकर उन्होंने नियोजित शिक्षकों (Contract Teachers) की नाराजगी कम करने की एक कोशिश की है.
दरअसल, सीएम नीतीश ने यह बात तब कही जब शिक्षा दिवस के मौक़े पर सम्मानित शिक्षाविद प्रेम वर्मा ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद भी लोगों में काम करने की ताक़त और हसरत दोनों होती है. बता दें कि प्रेम वर्मा मुम्बई के Income Tax कमिश्नर रह चुके हैं और रिटायरमेंट के बाद बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं.
निकाले जा रहे सियासी मायनेसीएम नीतीश ने खुद के केंद्र में मंत्री रहने के दौरान एक वाकये का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की सरकार से मांग की थी कि सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 58 से बढ़ाकर 60 कर दी जाए, जिसके बाद उनकी यह मांग मान ली गई. चुनावी साल में एक बार फिर सीएम नीतीश की इस मांग को सियासी नजरिये से इसलिए भी देखा जा रहा है, क्योंकि देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के जयंती समारोह के मौके पर उन्होंने शिक्षकों के बीच ये बयान दिया है.

पटना के ज्ञान भवन में शिक्षा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार व अन्य.
शिक्षक वर्ग है नाराज
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गौरतलब है कि बिहार के शिक्षक अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एक बार फिर से आंदोलन के मूड में हैं. इस कड़ी में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से विधानमंडल सत्र के दौरान 26 से 28 नववंबर के बीच विरोध-प्रदर्शन का निर्णिय लिया गया है.

बिहार के शिक्षकों का ये आंदोलन पटना में होगा
(फाइल फोटो)
बता दें कि इसी साल 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के समान वेतन देने का आदेश देने से इनकार किया था. कोर्ट ने बिहार सरकार याचिका मंजूर करते हुए पटना हाई कोर्ट का आदेश भी रद्द कर दिया था. इसके बाद अगस्त में नियोजित शिक्षकों की रिव्यू पिटिशन को भी सर्वोच्च न्यायलय ने खारिज कर दिया था.
हाई कोर्ट ने पक्ष में सुनाया था फैसला
इस मामले में 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नियोजित शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन दिया जाए. फिर राज्य सरकार की ओर से इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका लगाई गई.
सरकार का तर्क था कि समान कार्य के लिए समान वेतन के कैटेगरी में ये नियोजित शिक्षक नहीं आते. यदि इन्हें इस श्रेणी में लाया गया तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 36998 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा. फिर ये भी कहा जा रहा था कि अगर इनकी मांग मानी गई तो दूसरे राज्यों से भी ऐसे मामले आएंगे.
गौरतलब है कि बिहार में तकरीबन 3.7 लाख नियोजित शिक्षक कार्यरत हैं. शिक्षकों के वेतन का 70 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार और 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती है. वर्तमान में नियोजित शिक्षकों (ट्रेंड) को 20 से 25 हजार रुपए तक वेतन मिलता है. शिक्षक समान कार्य के बदले समान वेतन की मांग कर रहे थे. अगर ये मांग पूरी होती तो शिक्षकों का वेतन 35 से 44 हजार रुपए हो सकता था.
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First published: November 12, 2019, 9:06 AM IST
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