बीते 8 मई को BPSC पीटी परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हो कर सोशल मीडिया में वायरल हो गया था जिसको लेकर कई तरह के सवाल उठे थे (प्रतीकात्मक तस्वीर)
पटना. बीपीएससी की 67वीं प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक कांड मामले की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. अब जांच की आंच राजधानी पटना के कोचिंग संचालकों तक पहुंच गई है. दरअसल अब तक इस मामले में सॉल्वर गैंग के जो सदस्य गिरफ्तार किए गए हैं उन अभियुक्तों से पूछताछ के बाद राजधानी के कोचिंग संचालकों की संदिग्ध भूमिका की बात सामने आई है. वायरल प्रश्न पत्र को सॉल्व कर परीक्षार्थियों तक पहुंचाने और छात्रों से बड़े पैमाने पर पैसे की वसूली में इनकी भूमिका सामने आई है. इस बात को लेकर आर्थिक अपराध इकाई की एसआईटी ने जांच शुरू कर दी है.
रडार पर आये कोचिंग संचालकों के विरुद्ध एसआईटी की टीम पुख्ता सबूत इकट्ठा करने में जुटी है. सूत्रों की मानें तो प्रश्न पत्र लीक करने वाला गिरोह पटना के कई कोचिंग संचालकों के संपर्क में लंबे अरसे से रहा है. गिरोह ने कोचिंग संचालकों की मदद से परीक्षा से पहले ही छात्रों को प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने का भरोसा भी दिया था. इसके लिए छात्रों से बड़ी राशि वसूली गई थी जिसमें कोचिंग संचालकों के मध्यस्तता और हिस्सेदारी थी. कई कोचिंग संचालक तो खुद सॉल्वर की भूमिका में भी जुड़े थे और कुछ ने अपने स्तर पर सॉल्वर उपलब्ध कराया था.
सॉल्वर गिरोह को यह पता था कि परीक्षा से कुछ समय पहले ही उन तक प्रश्नपत्र पहुंच जाएगा ऐसे में प्रश्नपत्र को सॉल्व करने के मकसद से बड़ी संख्या में लोगों को एकत्र कर रखा गया था. लोहानीपुर में जिस कंट्रोल रूम में सॉल्वर्स का ग्रुप बैठा हुआ था उसे वहां पर प्रश्न पत्र सॉल्व कराया गया था. इसके बदले में सॉल्वेर्स को डेढ़ से 2 लाख रुपए दिए जाने की बात सामने आई है. लंगरटोली इलाके से गिरफ्तार किये गये अमित कुमार सिंह से भी पूछताछ में इस गिरोह से जुड़ी कई बाते सामने आए हैं. एसआईटी के सामने कई नए नामों का खुलासा हुआ है जिनकी तलाश की जा रही है.
इस मामले में कृषि विभाग के सहायक राजेश कुमार और औरंगाबाद निवासी सुधीर सिंह की रिमांड पूरी हो गई है. इन दोनों से कई अहम जानकारियां आर्थिक अपराध इकाई की एसआईटी ने हासिल की है. अब आर्थिक अपराध इकाई दो अन्य अभियुक्त शिक्षक कृष्ण मोहन सिंह और निशिकांत कुमार राय को रिमांड पर लेने की योजना बना रही है.
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