आपके लिए इसका मतलब: बिहार की सियासत में शाहनवाज हुसैन की एंट्री से क्यों खुश हैं मुस्लिम नेता

बीजेपी ने बड़ा सियासी दांव चलते हुए शाहनवाज हुसैन को एमएलसी बनाया है.
Explainer: बीजेपी के बड़े नेताओ में शुमार शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) की बिहार में एंट्री के बाद तमाम राजनीतिक पार्टियों के मुस्लिम नेताओं की उम्मीदों को पंख लग गए हैं. एक तथ्य यह भी है कि बिहार के जितने भी राजनीतिक दल हैं, किसी के पास फिलहाल कोई ऐसा मुस्लिम चेहरा नहीं है जिसके नाम पर मुस्लिम वोटर गोलबंद हो जाएं.
- Last Updated: January 22, 2021, 9:32 PM IST
पटना. लंबे समय से बिहार की सियासत में मुस्लिम राजनीति हाशिए पर दिख रही थी. विधान सभा चुनाव के वक्त AIMIM पार्टी के प्रमुख असुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने मुस्लिम सियासत को नए सिर से हवा दी. अब बीजेपी के बड़े नेताओ में शुमार शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) की बिहार में एंट्री हो गई है. बीजेपी ने उन्हें MLC बनाया है. बीजेपी के इस सियासी दांव के बाद, बिहार की तमाम राजनीतिक पार्टियों में राजनीति करने वाले मुस्लिम नेताओं की उम्मीदों को पंख लग गए हैं. उन्हें लगता है कि उनकी पार्टी में मुस्लिम नेताओं की पूछ बढ़ेगी. इसके पीछे तर्क भी बेहद मजबूत है. दरअसल विधान सभा चुनाव हो या लोक सभा चुनाव, मुस्लिम नेताओ की संख्या घटती जा रही है.
बिहार के जितने भी राजनीतिक दल हैं, चाहे राष्ट्रीय हो या क्षेत्रीय, किसी के पास फिलहाल कोई ऐसा मुस्लिम चेहरा नहीं है जिसके नाम पर मुस्लिम वोटर गोलबंद हो जाएं. यही वजह है कि हैदराबाद की राजनिति करने वाले ओवेसी जैसे नेता बिहार आते हैं और मुस्लिम वोटरों को लुभाने में सफल होकर पांच सीट जीत जाते हैं. तमाम क्षेत्रीय पार्टियों के साथ-साथ बड़े राजनीतिक पार्टियों ने भी मुस्लिम वोटरों को लुभाने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो पाए. इनके पास एक अदद मुस्लिम चेहरा तक नहीं था लेकिन अब ओवैसी के बाद शाहनवाज हुसैन की एंट्री से बिहार के तमाम राजनीतिक दल में हलचल तेज हो गई है.
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि बिहार के सियासी दलों के सामने बड़ी चुनौती है कि जल्द से जल्द मुस्लिम चेहरों को आगे बढ़ाएं ताकि आने वाले समय में मुस्लिम वोटरों के सामने पार्टी का कोई चेहरा ना होने की समस्या ना खड़ी हो जाए. डर ये भी है कि जिन मुस्लिम वोटरों की सियासत कर राजनीतिक लाभ लेते रहे हैं, उसमे बड़ी सेंध ना लग जाए. जरूरत हो या मजबूरी तमाम राजनीतिक पार्टियों के सामने शाहनवाज हुसैन और ओवेसी जैसे नेताओ के आगमन ने मुस्लिम सियासत के लिए अच्छे दिन लाने की कवायद शुरू कर दी है. इसकी सुगबुगाहट बहुत जल्द सुनाई भी पड़ सकती है. जब नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. साथ ही आरजेडी और कांग्रेस जैसी पार्टियों में भी मुस्लिम चेहरे को बड़ी ज़िम्मेदारी मिल सकती है.
बिहार के तमाम राजनीतिक दल में हलचल तेज
बिहार के जितने भी राजनीतिक दल हैं, चाहे राष्ट्रीय हो या क्षेत्रीय, किसी के पास फिलहाल कोई ऐसा मुस्लिम चेहरा नहीं है जिसके नाम पर मुस्लिम वोटर गोलबंद हो जाएं. यही वजह है कि हैदराबाद की राजनिति करने वाले ओवेसी जैसे नेता बिहार आते हैं और मुस्लिम वोटरों को लुभाने में सफल होकर पांच सीट जीत जाते हैं. तमाम क्षेत्रीय पार्टियों के साथ-साथ बड़े राजनीतिक पार्टियों ने भी मुस्लिम वोटरों को लुभाने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो पाए. इनके पास एक अदद मुस्लिम चेहरा तक नहीं था लेकिन अब ओवैसी के बाद शाहनवाज हुसैन की एंट्री से बिहार के तमाम राजनीतिक दल में हलचल तेज हो गई है.
मुस्लिम चेहरों को मिल सकती है बड़ी ज़िम्मेदारी
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि बिहार के सियासी दलों के सामने बड़ी चुनौती है कि जल्द से जल्द मुस्लिम चेहरों को आगे बढ़ाएं ताकि आने वाले समय में मुस्लिम वोटरों के सामने पार्टी का कोई चेहरा ना होने की समस्या ना खड़ी हो जाए. डर ये भी है कि जिन मुस्लिम वोटरों की सियासत कर राजनीतिक लाभ लेते रहे हैं, उसमे बड़ी सेंध ना लग जाए. जरूरत हो या मजबूरी तमाम राजनीतिक पार्टियों के सामने शाहनवाज हुसैन और ओवेसी जैसे नेताओ के आगमन ने मुस्लिम सियासत के लिए अच्छे दिन लाने की कवायद शुरू कर दी है. इसकी सुगबुगाहट बहुत जल्द सुनाई भी पड़ सकती है. जब नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. साथ ही आरजेडी और कांग्रेस जैसी पार्टियों में भी मुस्लिम चेहरे को बड़ी ज़िम्मेदारी मिल सकती है.