इस साल हज की आखिरी रस्मों को पूरा करने के दौरान मची भगदड़ में लगभग 769 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 29 भारतीय भी हैं. यह भयावह हादसा शैतान को पत्थर मारे जाने की रस्म के दौरान हुआ.
इस साल हज की आखिरी रस्मों को पूरा करने के दौरान मची भगदड़ में लगभग 769 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 29 भारतीय भी हैं. यह भयावह हादसा शैतान को पत्थर मारे जाने की रस्म के दौरान हुआ.
इसी हादसे की आंखों देखी बयां कर रहे है, बिहार की राजधानी पटना से हज के लिए गए मोहम्मद अयूब.
कब हुआ हादसा?
शैतान को पत्थर मारने की रस्म को पूरा करते समय मची भगदड़ के समय यह हादसा हुआ. इस रस्म को पूरा करने के लिए बनाई गई सीढ़ियों पर एक समय में लगभग 20 से 30 हज़ार लोगों का जत्था जाता है. जब हम लोग वहां अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे, तब अचानक चारों तरफ शोर मचने लगा. लोग इधर से उधर भाग रहे थे और चारों तरफ अफरातफरी का माहौल था.
क्या थी हादसे की वजह?
शैतान को पत्थर मारने की रस्म को पूरा करने के लिए सीढ़ी पर चढ़े हुए लोगों ने वहां पर बढ़ रही गर्मी के कारण थोड़ी जल्दबाजी दिखाते हुए धकामुक्की शुरू कर दी. इसी के दौरान वहां पर भगदड़ का माहौल बन गया. इसका शिकार ख़ास कर के बुजुर्ग हाजी बन गए क्योंकि सीढ़ियों पर उस समय मौजूद लोगों की संख्या लगभग 30 हज़ार थी और इतनी भीड़ की वजह से लोग अपने को संभाल नहीं सके.
हादसे का बाद का दृश्य
कुछ ही देर में हमारे चारों तरफ लाशों का अम्बार लगा हुआ था. जहां थोड़े समय पहले तक सब जगह ख़ुशी का माहौल था, वहीं अब गम की लहर दौड़ रही थी. सब अपने साथ वाले लोगों को ढूंढ रहे थे. उस दृश्य को लफ्जों में बयान करना भी बहुत दर्दनाक है. इस हादसे में 700 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए है. खुदा का शुक्र है कि मैं और मेरे साथ वाले एकदम ठीक हैं.
हादसे के बाद
हादसे के बाद सऊदी सरकार ने वहां के हालातों को काबू में करने की कोशिश की और वो इसमें काफी हद तक सफल भी रही. हम सऊदी सरकार के शुक्रगुज़ार हैं कि ऐसे हालातों में भी हम लोगों को अपने देश से दूर होने का अहसास नहीं हुआ. इतने बड़े हादसे के बाद व्यवस्था थोड़ी तो बिगड़ ही जाती है, लेकिन यहां की सरकार ने उसको कम से कम खराब होने दिया है. यहां आने वाले हर हाजी के लिए खाने और रुकने के बढ़िया प्रबंध किए गए हैं. सड़कों के किनारे पर खाने के तंबू और साथ ही विश्राम घर भी बने हुए. सऊदी सरकार ने मृतकों और घायलों के लिए मुआवजे का ऐलान भी किया है.
क्यों हो रहे लगातार हादसे?
मैं पहली बार हज के लिए आया हूं, लेकिन मैं यहां पर मिली व्यवस्था का बहुत कायल हो गया ह्ं. सऊदी सरकार ने बहुत कोशिश की है कि सभी हज यात्रियों को जितनी अधिक हो सके सुविधाएं प्रदान करने की और उसमें वो काफी हद तक सफल भी रहे हैं. यहां हाजियों के खाने के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था और साथ ही यहां की सरकार की नुमाइंदो के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए जगह-जगह पर उनके मोबाइल नम्बर के इश्तिहार चिपके हुए हैं.
मैं अपनी और से सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि जो भी व्यक्ति अगले 3-4 साल में हज का विचार बना रहा है उसे अगले ही साल यहां आना चाहिए. अराफ़ात में जो सुकून है वो दुनिया के किसी भी कोने में और किसी भी चीज से हासिल नहीं हो सकता. अपनी बात को खत्म करते हुए में सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि जो लोग आए साल यहां होने वाली दुर्घटनाओं के कारण यहां आने के विचार को बदल देते हैं. उनके लिए किसी शायर की ये कुछ पंक्तियां बिलकुल मुनासिब रहेगी की.. "जिसे मौत ने भी ना मारा, उसे ज़िन्दगी ने मारा".
यह आंखों देखी हाल बिहार की राजधानी पटना से हज के लिए गए मोहम्मद आयुब ने न्यूज़ 18 से खास बातचीत में गौरी शंकर को बताया.
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Tags: Ayub Khan, Mecca stampede, Muslim traditions, पटना