रिपोर्ट – उधव कृष्ण
पटना. बिहार में बहुत से शहरों की विभिन्न प्रकार की मिठाई काफी फेमस है. बिहार की कई जगहें कुछ खास खाद्य पदार्थों के स्वाद के साथ जुड़ी हुई है. जैसे लीची के साथ मुजफ्फरपुर, केला के साथ हाजीपुर, लड्डू के साथ मनेर, खाजा के साथ शिलाव इत्यादि. ऐसे ही बाढ़ शहर की पहचान यहां बनने वाले मशहूर ‘लाई’ से भी है. वैसे तो यहां ‘लाई’ बनाने का कारोबार तकरीबन आजादी के बाद से ही शुरू हो गया था. लेकिन तब शुरुआत में यहां के चोंदी मोहल्ले में केवल सादा और हल्का ‘लाई’ ही बनाया जाता था.
1955 से बन रही ये लाई
चोंदी मोहल्ले की पहचान मावेदार ‘लाई’ तैयार करने वाले मोहल्ला के रूप में है. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस स्वादिष्ट और सुपाच्य ‘लाई’ के जन्मदाता इसी मोहल्ले के मरहूम रामपदारथ साव थे. जो सादी ‘लाई’ के जमाने में यानी 1955 के आसपास गो पालन करते थे. किन्हीं वजहों से उनका दूध बिकना दो-तीन दिनों के लिए बंद हो गया. उस दूध को बर्बाद होने से बचाने के लिए उन्होंने उसे मावा बना लिया और सादे ‘लाई’ में मिलाकर ‘मावेदार लाई’ बना दिया. इस लाई को जिसने भी खाया उसका मुरीद हो गया और देखते ही देखते इसकी मांग बढ़ गई.
60 से अधिक है कारखाना और 200 दुकान
आज की तारीख में इस मावेदार ‘लाई’ की मांग इस कदर बढ़ गई है कि सिर्फ बाढ़ शहर में लगभग 60 कारखाने चल रहे हैं. यहां कई लोगों की आमदनी का आज यह बड़ा जरिया बन चुका है. इसकी प्रसिद्धि इससे भी परिलक्षित होती है कि बिहार का बॉर्डर घुसते ही रेल में भी ‘बाढ़ की मशहूर मिठाई, बाढ़ की लाई’ की आवाज सुनाई देती है.
जैसे-जैसे इसकी मांग बढ़ती जा रही है यह रोजगार दूसरे शहरों में भी फैलता जा रहा है. क्योंकि इस रोजगार को शुरू करने में अधिक पूंजी की जरूरत नहीं होती है और न ही कोई बड़े उपकरण की, इसे बनाने का तरीका भी बहुत आसान है. जिसे एक दिन में भी सीखा जा सकता है. साथ ही बहुत कम साजो-सामान के साथ एक कमरे में भी शुरू किया जा सकता है.
क्वालिटी का रखा जाता है ख्याल
इस धंधे में सबसे ज्यादा ख्याल इसकी क्वालिटी पर रखा जाता है. यही वजह है कि यहां की ‘लाई’ रूस ,अमेरिका और इंग्लैंड तक जाती है. प्योर ‘मावा’ से बने होने के कारण यह मिठाई बिल्कुल स्वादिष्ट और सुपाच्य तो है ही साथ ही बगैर फ्रिज के भी कुछ दिनों तक रखा जा सकता है. इसे बनाने में चीनी, मावा, इलायची, काजू- किशमिश और रामदाना की जरूरत होती है, जो आसानी से हर जगह उपलब्ध है. वर्तमान में यह स्पेशल लाई 330 से 350 प्रति किलो तक बिकती है.
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