ऋतु रोहिणी
पटना. गायघाट स्थित रिमांड होम में यौनशोषण के आरोप के मामले ने तूल पकड़ लिया है. इसको लेकर दिल्ली निर्भया केस की वकील सीमा कुशवाहा भी पीड़ित पक्ष की ओर से खड़ी हो गई हैं. गुरुवार को पटना में महिला विकास मंच ने कांसा पिकोला रेस्टोरेंट के बैंक्वेट हॉल में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इस मौके पर सीमा कुशवाहा के साथ इस मंच की राष्ट्रीय संरक्षक मीना मानवी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष फाहिमा खातून, कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास और गायघाट रिमांड होम केस की अधिवक्ता मीनू कुमार साथ थीं. निर्भया मामले की चर्चित वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि पटना की सड़कों पर एक बेटी पिछले 5 दिनों से न्याय की भीख मांग रही है, लेकिन कोई नहीं सुन रहा. यह मामला भी कहीं न कहीं मुजफ्फरपुर शेल्टर होम जैसा ही है. समाज कल्याण विभाग ने बिना कोई जांच किए मामले को रफा-दफा कर दिया. जो हुआ वो 21वीं सदी के भारत पर धब्बा है.
सीमा कुशवाहा ने कहा कि रिमांड होम की अधीक्षक वंदना गुप्ता पर केवल एक पीड़िता नहीं आरोप लगा रही, और भी कई बच्चियां हैं जो अपनी पीड़ा बता रही है. प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का उद्देश्य इस मुद्दे को उठाना है कि आखिर पटना में लड़कियों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है? प्रशासन संवेदनशील नहीं है. लगातार फोन आ रहे हैं, लेकिन पहले कोई एफआईआर तक लॉज करने को तैयार नहीं. उल्टा लड़की को उदंड बता रहे हैं, उसके चरित्र पर सवाल उठा रहे हैं.
निर्भया के वकील ने कहा कि इस पूरे केस में बिहार सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए और कमिटी का गठन करना चाहिए. इसकी जांच के लिए एसआईटी बननी चाहिए और इस केस की मॉनिटरिंग हाई कोर्ट करे. उन्होंने कहा कि देश के सभी रिमांड और शेल्टर होम से सालाना रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए. कोर्ट इनसे रिपोर्ट मांगे.
सुनिए, गायघाट रिमांड होम की दूसरी गवाह का ऑडियो
सीमा कुशवाहा ने सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या शेल्टर होम लड़कियों का रेप करने के लिए बनाया गया है? ये विषय बहुत गम्भीर है. अधीक्षक वंदना गुप्ता को सस्पेंड किया जाए, फिर मामले की पुख्ता जांच हो. दूसरी पीड़िता का वीडियो रिलीज किया गया है. जरूरत पड़ी तो तीसरी विक्टिम भी है. लेकिन, इन विक्टिम को मीडिया के सामने पेश नहीं किया जाएगा, वो केवल कोर्ट में पेश होंगी.
बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने गायघाट महिला रिमांड होम मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. अदालत ने पुलिस और राज्य समाज कल्याण विभाग को जमकर लताड़ लगाई है. कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया और पूछा कि मामला सामने आने के बाद भी पीड़िता के बयान पर अभी तक कोई प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज क्यों नहीं की गई. वहीं, इससे एक दिन पहले समाज कल्याण विभाग द्वारा महिला रिमांड होम को लेकर आरोप लगाने वाली युवती के ‘कैरेक्टर’ पर सवाल उठाया था.
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