ड्यूटी से गायब रहनेवाले डॉक्टरों से सख्ती से निपटेगी नीतीश सरकार, हर महीने मांगी गई रिपोर्ट

बगैर सूचना ड्यूटी से गायब रहने वाले अफसरों पर एक्शन लेगी बिहार सरकार (सांकेतिक चित्र)
बिहार सरकार ने ये फैसला इस वजह से लिया है क्योंकि सरकारी अस्पतालों से अक्सर ये शिकायत आती है कि डॉक्टर अपनी ड्यूटी छोड़कर फरार हैं. विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने हिदायती पत्र के साथ ही एक फार्मेट भी जारी किया है.
- News18 Bihar
- Last Updated: March 2, 2021, 8:21 AM IST
पटना. बिहार सरकार अब ड्यूटी से गायब रहनेवाले डॉक्टरों (Bihar Government Doctor) से सख्ती के साथ निपटेगी. बिहार के बड़े से लेकर छोटे अस्पतालों में डॉक्टरों के ड्यूटी पर से गायब रहने का मामला सामने आता है लेकिन चेतावनी पर सरकार अनुपस्थित चिकित्सकों को छोड़ देती है. अब गायब रहनेवाले चिकित्सकों (Absent Doctors) पर सरकार ने सख्ती बरतने का फैसला लिया है. जिलों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात डॉक्टर और हेल्थ वर्कर्स पर अब सीधे सरकारी अधिकारियों की नजर होगी.
अब स्वास्थ्य कर्मी कितने दिन आए और कितनी ड्यूटी कर रहे और कितनी देर गायब रहे सब हिसाब सरकार लेगी. स्वास्थ्य विभाग ने यह कदम अस्पताल की व्यवस्था में सुधार लाने के उद्देश्य से उठाया है. अब तक डॉक्टर से लेकर नर्सों के रवैये देखने को मिलते रहे हैं कि गायब रहते हैं और मरीजों की जान तक चली जाती है. जिलों से लगातार इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग को शिकायतें मिलती रही हैं. इन शिकायतों को देखते हुए स्वास्थ्य के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने सभी चीफ मेडिकल अफसरों से जिलों में तैनात सामान्य डॉक्टर, विशेषज्ञ डॉक्टर, डेंटिस्ट, आयुष डॉक्टरों का पूरा विवरण हर महीने तलब किया है.
मेडिकल अफसर डॉक्टरों, हेल्थ वर्करों का पूरा विवरण सरकार को देंगे साथ ही उन्हें एक प्रमाण पत्र भी सरकार को देकर बताना होगा कि कौन से डॉक्टर, नर्स, आयुष डॉक्टर, डेंटिस्ट या दूसरे हेल्थ वर्कर कितने दिन काम पर आए और कब-कब छुट्टियों पर रहे. चीफ मेडिकल अफसर को जिम्मा दिया गया है कि लगातार सेवा से गायब रहने वाले मामलों की पहचान अलग से करेंगे और उनके गायब रहने की वजह बताते हुए सरकार को अलग से रिपोर्ट देंगे.
मेडिकल अफसरों को हिदायत दी गई है कि हर महीने पांच तारीख तक यह रिपोर्ट स्वास्थ्य मुख्यालय को भेज दी जाए. प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने हिदायती पत्र के साथ ही एक फार्मेट भी जारी किया है, जिसमें डॉक्टरों का पूरा विवरण भरना होगा. डॉक्टर का नाम, किस संस्थान में पदस्थापित हैं, कब से पोस्टिंग हैं और कब-कब गायब रहे जैसी जानकारियां इस फार्मेट में भरकर मुख्यालय को भेजनी होगी. देखनेवाली बात ये होती है कि डॉक्टरों के रवैये में इस रणनीति के बाद क्या कोई सुधार हो पाता है.
अब स्वास्थ्य कर्मी कितने दिन आए और कितनी ड्यूटी कर रहे और कितनी देर गायब रहे सब हिसाब सरकार लेगी. स्वास्थ्य विभाग ने यह कदम अस्पताल की व्यवस्था में सुधार लाने के उद्देश्य से उठाया है. अब तक डॉक्टर से लेकर नर्सों के रवैये देखने को मिलते रहे हैं कि गायब रहते हैं और मरीजों की जान तक चली जाती है. जिलों से लगातार इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग को शिकायतें मिलती रही हैं. इन शिकायतों को देखते हुए स्वास्थ्य के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने सभी चीफ मेडिकल अफसरों से जिलों में तैनात सामान्य डॉक्टर, विशेषज्ञ डॉक्टर, डेंटिस्ट, आयुष डॉक्टरों का पूरा विवरण हर महीने तलब किया है.
मेडिकल अफसर डॉक्टरों, हेल्थ वर्करों का पूरा विवरण सरकार को देंगे साथ ही उन्हें एक प्रमाण पत्र भी सरकार को देकर बताना होगा कि कौन से डॉक्टर, नर्स, आयुष डॉक्टर, डेंटिस्ट या दूसरे हेल्थ वर्कर कितने दिन काम पर आए और कब-कब छुट्टियों पर रहे. चीफ मेडिकल अफसर को जिम्मा दिया गया है कि लगातार सेवा से गायब रहने वाले मामलों की पहचान अलग से करेंगे और उनके गायब रहने की वजह बताते हुए सरकार को अलग से रिपोर्ट देंगे.