आईपीएस अधिकारी विकास वैभव ने अपनी शादी का यादगार वीडियो शेयर किया.
पटना. बिहार के कुछ लोकप्रिय आईपीएस अधिकारियों में विकास वैभव ऐसे हैं जो सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहने के साथ ही सोशल मीडिया में भी एक्टिव रहते हैं. वे अक्सर यहां अपने मन की बातें भी व्यक्त करते हैं. सामाजिक जीवन की पारदर्शिता को और ऊंचा मुकाम देते हुए वे अपने पारिवारिक जीवन की भी कुछ-कुछ बातें बताते रहते हैं. इसी क्रम में उन्होंने अपने वैवाहिक जीवन के शुरुआत का एक वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर किया है. दरअसल, 17 फरवरी, 2005 को उनका विवाह हुआ था और इसी का एक वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने अपनी भावना व्यक्त की है, जिस पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.
आइपीएस विकास वैभव ने मंत्रोच्चार के बीच विवाह में पत्नी रूपांगी वैभव के संग वैवाहिक संस्कार का एक वीडियो शयर करते हुए लिखा,
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विकास वैभव ने अपने परिवार व पत्नी के लिए बीते वर्ष भी कुछ इसी अंदाज में अपनी भावना व्यक्त की थी. उन्होंने तब लिखा था- “सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखा। शान्ति: पत्नी क्षमा पुत्र: षडेते मम बान्धवा:॥ ” अर्थात – “सत्य मेरी माता, ज्ञान पिता, धर्म बन्धु, दया सखा, शान्ति पत्नी तथा क्षमा पुत्र है. यह सब मेरे संबंधी हैं.” विकास वैभव ने यह बताने का प्रयास किया था कि धर्म के अंगों की उपमाएं एक आदर्श परिवार के सदस्यों को दी गयी हैं. बता दें कि विकास वैभव का पर्यावरण और ऐतिहासिक धरोहरों से शुरू से ही विशेष प्रेम रहा है. साथ ही वह फोटोग्राफी का भी शौक रखते हैं.
बता दें कि बेगूसराय के बीहट के मूल निवासी ने कानपुर से आईआईटी किया था. इसके बाद 2003 में आईपीएस ऑफिसर बने. विकास वैभव का ननिहाल समस्तीपुर जिले के उजियारपुर थानान्तर्गत पचपैका गांव में है, जबकि इनका ससुराल भी समस्तीपुर जिले के ही दलसिंहसराय के केवटा गांव में है. परिवार में पत्नी रूपांगी वैभव व दो बच्चे हैं. अभी वे IG रैंक के अधिकारी हैं और बिहार में विशेष सचिव (गृह) के रूप में तैनात हैं. वे एटीएस में डीआइजी रह चुके हैं. इससे पहले बगहा, पटना, रोहतास व दरभंगा में SP/SSPके रूप में कार्य कर चुके हैं.
विकास वैभव का नाम सुर्खियों में तब आया जब उन्हें एनआईए, दिल्ली से वापस बुलाकर पटना का एसएसपी बनाया गया. विकास वैभव ने अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने माफिया डॉन, नेता अनंत सिंह समेत कई हाई प्रोफाइल गिरफ्तारियां की हैं. उनकी कई उपलब्धियां हैं. पटना में जब पहली पोस्टिंग हुई थी, तो 12 हजार केस पेंडिंग थे. 9 महीने के अंदर अनुसंधान तेज करवा के 6000 केस का निष्पादन करवाया. 10 साल से लंबित मामले केवल 9 महीने में आधे हो गए. क्राइम कंट्रोल में अहम रौल रहा.
इसके बाद बगहा में पोस्टिंग के दौरान संगठित अपराध को काफी हद तक खत्म किया. लोग अपहरण उद्योग कहते थे. लोगों के सहयोग से रत्नाकर और वाल्मीकि के उदाहण के साथ समझाया. मई 2008 में कुख्यात वासुदेव यादव समेत करीब 26 लोगों ने सरेंडर किया. इसके बाद रोहतास जिला के नक्सलग्रस्त क्षेत्र में शांति बहाल की. 2008 से 2010 के बीच कम्युनिटी पुलिसिंग के जरिये वहां बदलाव आए. पहली बार वहां तिरंगा फहराया, जो जारी है. नक्सलियों का समर्पण कराया.
रोहतास में ही सामुदायिक पुलिसिंग के तहत स्वर्ण महोत्सव आयोजन शुरू कराया. पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों में नक्सलियों के कारण चुनाव नहीं होते थे. 2009 में 16 अप्रैल को चुनाव होना था और 15 को बीएसएफ की कंपनी पर उग्रवादी हमला हुआ था, उसके बावजूद विकास वैभव ने चुनाव कराने की ठानी. मई 2009 में मतदान हुए. तीन बिल्डिंग के लिए 1600 जवान लगाए गए. जहां वोट ही नहीं होते थे, वहां 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ और यहीं से इस इलाके में लोकतंत्र की नींव पड़ गई.
वर्ष 2011 से 2015 के बीच मैं केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर एनआईए में था. तब आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के अपराधियों को दबोचने में कामयाब रहे. बिहार के महाबोधि मंदिर में ब्लास्ट हुआ था और फिर 2014 आम चुनाव से पहले जब नरेन्द्र मोदी पीएम उम्मीदवार थे तो उनकी रैली में भी ब्लास्ट हुए थे. यासीन भटकल जैसे आतंकी पकड़े गए. उसके बाद कई और गिरफ्तारियां हुई. और भी कई सारी घटनाएं हैं. काफी कुछ सीखने को भी मिला. इसी के साथ उन्होंने मुश्किल से मुश्किल केस को सुलझाया है.
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