बिहार सीएम नीतीश कुमार (File Photo)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 14 जुलाई को पटना में कहा था कि तीन से चार हफ्तों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तरफ से सीट-शेयरिंग का प्रस्ताव आ जाएगा. कोई औपचारिक प्रस्ताव तो नहीं आया पर एक माह बाद 20-20 के पुराने फॉर्मूले के आधार पर जेडीयू को 12 सीटें देने की ख़बर आई. अब जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि फॉर्मूले के आधार पर सिर्फ 12 सीटें देना किसी सूरत में स्वीकार नहीं है. कुछ वरिष्ठ नेताओं ने न्यूज18 को बताया कि सम्मानजक सीटें नहीं मिलने पर नीतीश कुमार बड़ा फैसला लेने की तैयारी कर रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने अकेले चुनावी समर में उतरने का विकल्प भी खुला रखा है. दरअसल 20-20 का प्रस्ताव खुद ग़ैर भाजपाई एनडीए दलों ने अप्रैल में ही तैयार किया था. तब भाजपा के आक्रामक तेवर के मद्देनजर नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा एकजुट हुए थे. तय हुआ था कि बीजेपी 20 सीटें अपने पास रखे और बाकी 20 उनके लिए छोड़ दे.
इसी बीच कैराना लोकसभा उपचुनाव और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की मंद पड़ती धार को जेडीयू ने भांप लिया. आठ जुलाई को दिल्ली में पार्टी की कार्यकारिणी में इस विकल्प चर्चा हुई कि अगर जेडीयू और बीजेपी दोनों 17-17 सीटों पर लड़ें तो पार्टी के लिए बढ़िया सौदा होगा. ऐसी स्थिति में लोजपा और कुशवाहा के खाते में छह सीटें जाएंगी. हालांकि जेडीयू के नेता ये मान कर चल रहे हैं कि कुशवाहा आज नहीं तो कल विपक्षी खेमे का हिस्सा बनेंगे और ऐसी स्थिति में रामविलास के लिए भी छह सीटें सम्मान का सौदा होगा.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सीट बंटवारे को लेकर हो रही तनातनी की वजह से जेडीयू 2019 लोकसभा चुनाव में अकेले ही मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है. सबसे बड़ी बात यह है कि बीजेपी के विश्वसनीय सूत्रों ने बिहार में सीट बंटवारे को लेकर अपने सहयोगी दलों के बीच सहमति बनने की बात की थी. जिसमें 20-20 का फार्मूला तय हुआ था.
बिहार के 40 लोकसभा सीटों में से खुद बीजेपी 20 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा था तो बाकी 20 सीट अपने सहयोगी जेडीयू एलजेपी और आरएलएसपी को दिया था. बीजेपी के 20-20 फार्मूले के मुताबिक बाकी बची 20 सीटों में 12-14 सीटें जेडीयू, 5-6 सीट एलजेपी, 3 सीट में से 2 सीट आरएलएसपी (उपेन्द्र कुशवाहा गुट) तो 1 सीट अरुण कुमार को देना तय हुआ है.
वैसे पार्टी के शीर्ष नेताओं के मुताबिक, एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर नेताओं के बीच बातचीत जारी है. अब तक एनडीए के सभी घटक दलों के नेताओं ने सीट शेयरिंग के फाइनल होने से इनकार किया है. हालांकि जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, एक सप्ताह पहले सामने आए आंकड़ों में अगर जरा भी सच्चाई है तो जेडीयू को यह मंजूर नहीं है. ऐसे में जेडीयू ने इस आंकड़े के मद्देनजर सभी सीटों पर अपना उम्मीद्वार उतारने की तैयारी शुरू कर दी है.
जेडीयू के नेताओं के मुताबिक, बिहार में सीटों के बंटवारे में भी वो बड़े भाई की भूमिका में होगी. वैसे जेडीयू 16-16 और 5-3 के फार्मूले पर साथ चुनाव मैदान में जाने का मन बना सकती है. लेकिन इस फार्मूले में जेडीयू के साथ छेड़छाड़ हुई तो बिहार में एक बार फिर से राजनीतिक राहे बदल सकती हैं.
बता दें, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 22 सीटें, एलजेपी 6 सीटें, आरएलएसपी ने 3 सीटें जीती थीं. इस तरह कुल मिलाकर एनडीए को 31 सीटें मिली थीं. तब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ नहीं थे. उसमें नीतीश कुमार की जेडीयू अकेले दम पर चुनाव में उतरी थी और उसको महज दो सीटों से संतोष करना पड़ा था. पर सीटो के बंटवारे को लेकर जो स्थिती अभी पैदा हुई है, ऐसे में जेडीयू का फार्मूला फेल होता है तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि राहे फिर से जुदा हो जाएंगी.
(बिहार ब्यूरो इनपुट के साथ)
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