सच्चिदानन्द
पटना. बिहार की राजधानी पटना में बिहार तकनीकी सेवा आयोग यानी बीटीएससी के हजारों छात्र सोमवार को सड़कों पर उतर आए. यह सभी बीटीएससी कनीय अभियंता (असैनिक, यांत्रिक, विद्युत) के अभ्यर्थी थे, जिनकी मांग थी कि रिजल्ट दो या फिर इच्छामृत्यु दो. फिलहाल इन अभ्यर्थियों को नौकरी तो नहीं मिली, लेकिन पुलिस के द्वारा की गई हल्की लाठीचार्ज के दौरान कई अभ्यर्थियों को लाठी खानी पड़ी. इन अभ्यर्थियों का कहना है कि बीटीएससी के द्वारा वर्ष 2019 में विज्ञापन निकाला गया था. उसके अनुसार वर्ष 2022 में रिजल्ट आया, लेकिन इसमें जमकर धांधली हुई थी. इसके बाद आयोग ने रिजल्ट को रद्द कर दिया और संशोधित रिजल्ट जारी करने की बात कही, जो अभी तक जारी नहीं किया गया है.
प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि बीटीएससी के द्वारा वर्ष 2019 में निकले गए विज्ञापन में कहा गया था कि इस पद के लिए बिहार के सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा करने वाले छात्रों को 40 प्रतिशत पदों पर प्राथिमकता दी जाएगी. जबकि निजी कॉलेजों से डिप्लोमा करने वाले छात्रों की बचे हुए 60 फीसदी पदों पर बहाली की जाएगी. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सभी छात्रों पर एक समान नियम लागू होगा. 40-60 के अनुपात को खत्म करने की बात हाईकोर्ट द्वारा कही गई थी.
इसके बाद, आयोग के द्वारा संशोधित रिजल्ट जारी करने की बात कही गई थी. लेकिन, अभी तक संशोधित रिजल्ट जारी नहीं किया गया है. इस वजह से अभ्यर्थी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
इच्छामृत्यु की मांग कर रहे हैं अभ्यार्थी
प्रदर्शन कर रहे एक अभ्यर्थी ने बताया कि जब पहली बार रिजल्ट जारी हुआ, उस समय घर में खुशी का माहौल था. लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद अब गांववाले ताने मारते हैं. लाखों रुपए कर्ज लेकर परिवार ने डिग्री दिलवाया, मेरिट लिस्ट में नाम भी आया. इसके बावजूद रिजल्ट रद्द कर दिया गया. अब परिवार पर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. साथ ही, रिजल्ट की चिंता में मानसिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही है. रिजल्ट के इंतजार करते करते सब्र का बांध टूट गया है, अब आयोग या तो रिजल्ट जारी करे या फिर हमें मौत दे.
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