बिहार में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं इसको लेकर सभी दल तैयारियों में जुड़े हैं (फाइल फोटो)
पटना. बिहार की चुनावी राजनीति (Election Politics) एक बार फिर परवान चढ़ने लगी है. पांच विधानसभा सीट (Assembly Seats) और एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव से बिहार के कई बड़े राजनीतिक नाम, जो लोकसभा चुनाव के बाद से अचानक से गायब हो गए थे. लोकसभा चुनाव के परिणाम ने एनडीए (NDA) के उन तमाम विपक्ष (Opposition) के बड़े नेताओं को सुन्न कर दिया जो चुनाव प्रचार में जमकर गरज रहे थे. वे न सिर्फ वापस लौट गए है बल्कि एक्शन में भी आने लगे हैं लेकिन कुछ नेता तो अभी भी ऐसे हैं जो जनता के हमदम बनने का दावा ठोकते रहे लेकिन पिछले कुछ समय में एक के बाद एक त्रासदी हुई लेकिन वे कहीं नजर नहीं आए. सोशल मीडिया तक उन्होंने अपना प्रजेंस नहीं दिखाया. ऐसे बड़े नाम अभी तक सीन से आउट ही हैं, अब वे कब लौटेंगे, कहना मुश्किल हैं.
बात उन नेताओं की, जो एक्शन में वापस लौट रहे हैं
तेजस्वी यादव
चुनाव के बाद अचानक से गायब हुए तेजस्वी यादव इस लिस्ट का सबसे बडा नाम रहा. लोकसभा चुनाव के बाद बिहार में कई बड़े मामले सामने आए. मुजफ्फरपुर का चमकी बुखार, समय से पहले कई जिलों में आई बाढ़, अचानक बढ़े अपराध और पटना का भीषण जलजमाव ऐसे कई मुद्दे थे जिन्हें लेकर तेजस्वी यादव की शिद्दत से खोज हुई लेकिन वो नहीं मिले. लेकिन उपचुनाव के बहाने उन्होंने फिर बिहार की राजनीति में वापसी की है और उनके अकेले के दम पर आरजेडी पांच विधानसीटों में से चार पर चुनाव लड़ा. तेजस्वी यादव का बहुत कुछ भविष्य उपचुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगा.
कन्हैया कुमार
बेगूसराय लोकसभा सीट पर जिस दिन से इस युवा नेता ने पर्चा दाखिल किया था, उसी दिन से सबकी नजरें इनकी और बीजेपी के फायरब्रांड लीडर गिरिराज सिंह की लड़ाई पर टिक गई थी. कन्हैया कुमार ने चुनाव में ऐसा शमा बांधा कि बेगूसराय की सीट बिहार की सबसे हॉट सीट बन गई, साथ ही देश के चुनिंदा हॉट सीटों में शुमार हो गई लेकिन रिजल्ट आने के बाद कन्हैया कहां गए, किसी को पता तक नहीं चला. तकरीबन पांच महीनों के बाद वो फिर से एक्टिव हो रहे हैं. पिछले दिनों बेगूसराय और मुंगेर के कुछ कार्यक्रमों में शिरकत कर उन्होंने अपनी वापसी के संकेत दिए हैं. आने वाले दिनों में उनकी क्या रणनीति होगी, यह अभी तय नहीं है.
अखिलेश सिंह
कभी आरजेडी के कद्दावर नेता रहे अखिलेश कांग्रेस में हैं. कांग्रेस ने उनके राजनीतिक कद को देखते हुए उन्हें बिहार चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया लेकिन पूरे चुनाव उन पर उनकी ही पार्टी के नेता तोहमत लगाते रहे कि पार्टी ने उन्हें पूरे राज्य के चुनाव अभियान का जिम्मा दिया था, लेकिन वे मोतिहारी में अपने बेटे आकाश सिंह के लिए ही काम करते रहे. चुनाव में न सिर्फ पार्टी हारी बल्कि बेटा भी चुनाव हार गए लिहाजा रिजल्ट आते ही वे भी गायब हो गए लेकिन 21 अक्टूबर को श्रीकृष्ण सिंह की जयंती में अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाकर उन्होंने अपनी वापसी के संकेत दिए.
शक्ति सिंह गोहिल
शक्ति सिंह गोहिल भले ही बिहार के नेता न हो, लेकिन कांग्रेस के बिहार के प्रभारी होने के नाते वे लंबे समय से बिहार से जुड़े हैं लेकिन चुनाव के बाद बिहार की किसी भी आपदा में पार्टी को मोटिवेट करने और जनता के साथ खडे होने के लिए वे कभी भी नजर नहीं आए. चुनावी धमक शुरु होते ही बिहार की राजनीति में उनकी कदमों की आहट सुनाई पड़ने लगी है.
वो नेता जो अभी भी हैं सीट से आउट
शत्रुध्न सिन्हा उर्फ शॉटगन
शत्रु बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व पर उंगली उठाकर बीजेपी से बाहर हो गए. कांग्रेस के कैंडिडेट बनकर पटना साहिब से अपने पुराने सहयोगी रविशंकर प्रसाद के खिलाफ चुनाव लड़ा. चुनाव के समय शत्रुध्न सिन्हा ने बार-बार कहा था कि सिचुएशन कोई भी हो, लोकेशन वही रहेगा लेकिन रिजल्ट ने शॉटगन को ऐसा खामोश किया कि वे आज तक खामोश ही हैं. उनके क्षेत्र पटना साहिब, उनके अपने घर कदमकुआं जहां सिचुएशन और लोकेशन दोनों ही खराब थी, लेकिन शत्रु कहीं नजर नहीं आए और आज तक सीट से आउट ही हैं.
तेजप्रताप यादव
चुनाव से पहले आरजेडी में लालू की विरासत का असली उत्तराधिकारी मानने वाले तेजप्रताप यादव भी राजनीतिक सीन से ऐसे आउट हुए कि वे अभी तक सामने नहीं आए हैं. तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी में यह कयास था कि तेजप्रताप यादव अपनी मौजूदगी दिखाएंगे, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. पूरे उपचुनाव के प्रचार में उनकी आहट तक सुनाई नहीं दी.
मीसा भारती
लालू यादव की राजनीतिक विरासत में दावेदारों में से एक मीसा भारती भी रहीं. पूरे लोकसभा चुनाव में उनके नाम की चर्चा होती रही. पाटलिपुत्र सीट पर उन्होंने पूरा दमखम दिखाया लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने खुद को ऐसा अलग-थलग किया कि पटना और उनके क्षेत्र दानापुर के गोला रोड के जलजमाव में एक बार कहीं नहीं दिखी. फिलहाल वो आरजेडी की किसी गतिविधि में शामिल नहीं दिख रही हैं.
बात उस नेता की, जो हाल के दिनों में सबसे अधिक चर्चा में रहा
पप्पू यादव
जन अधिकार पार्टी के नेता और पूर्व सांसद पप्पू यादव भले ही मधेपुरा से चुनाव हार गए हों लेकिन बिहार में कहीं भी कोई भी आपदा आई वो हर जगह पहुंचे. पटना के जलजमाव में उनके मौजूदगी और किये गए राहत कार्य की हर जगह चर्चा हुई. पप्पू यादव ही एकमात्र ऐसे नेता रहे जो जलजमाव को लेकर न सिर्फ त्रासदी के दिनों में पानी में उतरे बल्कि अभी भी लोगों को राहत देने में जुटे हैं.
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